मोदी-शाह फार्मूले से परेशान भाजपा के धुरंधर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Jan, 2018 10:59 AM

modi shah formula gets angry with bjp

भाजपा में एक अनौपचारिक नियम है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपाध्यक्ष अमित शाह ने बनाया है। इसके दायरे में भाजपा के बड़े- बड़े नेता हैं। यह मौखिक नियम बड़ा सीधा है-अगर बेटा मंत्री बनेगा तो पिता को मंत्री पद से दूर रहना होगा।

जालंधर  (पाहवा): भाजपा में एक अनौपचारिक नियम है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपाध्यक्ष अमित शाह ने बनाया है। इसके दायरे में भाजपा के बड़े- बड़े नेता हैं। यह मौखिक नियम बड़ा सीधा है-अगर बेटा मंत्री बनेगा तो पिता को मंत्री पद से दूर रहना होगा। अगर माता या पिता में से कोई मंत्री या मुख्यमंत्री है तो किसी भी सूरत में बेटे या बेटी को प्रदेश या केंद्र सरकार में मंत्री नहीं बनाया जाएगा।

 

सिन्हा के बगावती सुर
पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के सामने भी यही प्रश्न रखा गया था कि वह अपने बेटे जयंत सिन्हा को मंत्री बनाएंगे या फिर खुद सांसद बनेंगे। यशवंत ने जयंत सिन्हा को अपने चुनावी हलके हजारीबाग से चुनाव लड़ाया। वह राज्य मंत्री भी बने लेकिन यशवंत सिन्हा को कहीं भी ‘एडजस्ट’ नहीं किया गया। इसके बाद से बड़े सिन्हा बागी हो गए हैं और इसका कुछ नुक्सान जयंत को भी उठाना तो पड़ ही रहा है।

 

रमन सिंह का दर्द
भाजपा के 3 कद्दावर मुख्यमंत्री इस नियम से बेहद परेशान हैं। इनमें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे शामिल हैं। डा. रमन सिंह अपने बेटे अभिषेक सिंह के लिए लोकसभा का टिकट मांग रहे थे। अभिषेक के सांसद बन जाने के बाद उन्हें केंद्र में राज्यमंत्री बनाने की पैरवी भी की थी लेकिन उनके हाथ निराशा ही लगी।


 

बेटे दुष्यंत की खातिर मोदी से नाराज वसुंधरा
 राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के बीच मनमुटाव की सबसे बड़ी वजह उनके बेटे और सांसद दुष्यंत सिंह का मंत्री नहीं बनना बताया जाता है। भाजपा के मुख्यमंत्री पुत्रों में से दुष्यंत सबसे पुराने सांसद हैं। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने राजस्थान की 25 में से 25 सीटें जिताकर नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने में अपनी अहम भूमिका अदा की लेकिन जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की पहली मुलाकात हुई तो दुष्यंत को मंत्री बनाने का सपना टूट गया। उसके बाद से दोनों ही तरफ से थोड़ी असहजता साफ दिखती है।


 

अडवानी भी कम परेशान नहीं
 गुजरात में भी कुछ ऐसा हुआ जो किसी ने नहीं सोचा था। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण अडवानी अब अपनी बेटी प्रतिभा अडवानी को सियासत में लाना चाहते हैं लेकिन उनके सामने भी वही शर्त है कि अडवानी को अपनी गांधीनगर की सीट छोडऩी होगी। पिछली बार भी उनके सामने यही विकल्प रखा गया था लेकिन उस वक्त अडवानी सियासत से रिटायर होने के मूड में नहीं थे इसलिए प्रतिभा का नाम वेटिंग लिस्ट में रखा गया और अडवानी को कन्फर्म टिकट मिला। अब खबर है कि 2019 के चुनाव में अडवानी की सीट से प्रतिभा ही चुनाव लड़ेंगी।


 

अनुराग-धूमल को राहत
 हिमाचल में भी ऐसा ही होता अगर प्रेम कुमार धूमल चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बन जाते लेकिन धूमल का चुनाव हारना और मुख्यमंत्री न बनना उनके पुत्र अनुराग ठाकुर को मंत्री बना सकता है। दिल्ली के सियासी समीकरण को समझें तो अनुराग ठाकुर वित्त मंत्री अरुण जेतली गुट के माने जाते हैं, जबकि स्वास्थ्य मंत्री और धूमल विरोधी कहे जाने वाले जे.पी.नड्डा अमित शाह के खास हैं। अब तक अनुराग ठाकुर के मंत्री बनने के हर सवाल पर अमित शाह सिर्फ यह कह कर विराम लगा देते थे कि उनके पिता को हिमाचल का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। 

 

पत्नी व बेटों की एंट्री को तरस रहे शिवराज

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी पत्नी साधना सिंह को सियासत में लाना चाहते हैं लेकिन अभी तक उन्हें चुनाव लडऩे का टिकट नहीं मिल सका। एक ताकतवर महिला केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह की कई बार पैरवी कर चुकी हैं लेकिन उन्हें हर बार मना कर दिया गया। पिछले कुछ समय से शिवराज सिंह चौहान के बेटे भी सियासी मंच पर दिखने लगे हैं लेकिन दिल्ली का रुख एकदम साफ है कि जब तक शिवराज मुख्यमंत्री हैं तब तक उनके परिवार के किसी और सदस्य की सियासत में एंट्री नहीं होगी।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!