पंजाब में बड़े पैमाने पर हो रहा नैशनल हैल्थ मिशन की ग्रांटों का दुरुपयोग

Edited By Updated: 13 May, 2017 08:35 AM

misuse of national health mission grants in large scale in punjab

पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने देश में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत सुधारने तथा सरकारी सुविधाओं का लाभ निचले स्तर तक उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से 2005 में नैशनल हैल्थ मिशन को लागू किया था, जो 12 सालों के बाद भी सफलतापूर्वक चल रहा है

जालंधर (खुराना): पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने देश में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत सुधारने तथा सरकारी सुविधाओं का लाभ निचले स्तर तक उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से 2005 में नैशनल हैल्थ मिशन को लागू किया था, जो 12 सालों के बाद भी सफलतापूर्वक चल रहा है और इसके सार्थक परिणाम भी दिखाई दे रहे हैं परंतु पंजाब में भ्रष्ट अफसरशाही के चलते नैशनल हैल्थ मिशन के तहत केन्द्र से प्राप्त ग्रांटों का जमकर दुरुपयोग हो रहा है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने जहां इस मिशन में हो रहे घोटालों को गंभीरता से लिया है वहीं अमरेन्द्र सरकार पर भी दबाव है कि वह स्वास्थ्य विभाग में पहले भ्रष्टाचार का सफाया करे और नैशनल हैल्थ मिशन की ग्रांट के दुरुपयोग को रोके। 


कुछ साल पहले दवाओं तथा चिकित्सा से संबंधित अन्य सामान की खरीद को लेकर जालंधर के सिविल सर्जन आफिस में बड़ा घोटाला हुआ था जिसकी काफी चर्चा हुई थी और अब फिर ऐसे ही घोटालों बारे आरोप स्वास्थ्य मंत्री तथा विभाग के उच्चाधिकारियों तक पहुंच रहे हैं जिनकी यदि गहराई से जांच करवाई जाए तो कई अधिकारी फंस सकते हैं। 


एन.एच.एम. की ग्रांटों में हो रहे घोटाले का आरोप नैशनल हैल्थ मिशन के एक डिस्ट्रिक प्रोग्राम मैनेजर ने ही लगाया है और उन्होंने मिशन डायरैक्टर को विस्तार से पत्र भी लिखा है। आरोप है कि जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत जिला जालंधर सिविल सर्जन कार्यालय को 8 लाख रुपए तक की दवाओं की खरीद की पावर है परंतु इस कार्यालय ने 77 लाख की दवाओं की खरीद की। इसी तरह लैब टैस्ट से संबंधित सामान 55 लाख तक खरीदा जा सकता है जो 82 लाख रुपए का खरीद लिया गया। इसी तरह एन.एच.एम. के तहत एमरजैंसी प्रोक्योरमैंट आफ ड्रग, मैडीसन, अस्पताल से संबंधित सामान, 2.08 करोड़ का खरीद लिया गया। 


हालांकि यह वेयर हाऊस द्वारा खरीदा जाना चाहिए था। जनरल ड्रग्स भी 47 लाख रुपए की खरीद ली गईं, जिन्हें स्टेट की मार्फत खरीदा जाना चाहिए था।  शिकायतकत्र्ता का आरोप है कि दवाइयों, लैब टैस्ट मैटीरियल तथा अस्पताल से संबंधित सामान की सप्लाई में मोटा कमीशन मिलता है जिसके लालच में ज्यादातरजिले नियमों के विरुद्ध जाकर पावर से कहीं ज्यादा खरीदारी कर रहे हैं। जो सामान प्राइमरी या कम्युनिटी हैल्थ सैंटर के स्तर पर खरीदा जाना चाहिए उसे भी जिला सिविल सर्जनों की मार्फत खरीदा जा रहा है, जिस कारण दाल में काला दिखाई दे रहा है। पूरे मामले को राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्म मङ्क्षहद्रा के समक्ष भी उठाया जा रहा है और माना जा रहा है कि जल्द नैशनल हैल्थ मिशन की ग्रांटों के दुरुपयोग के मामलों की विस्तृत जांच शुरू हो जाएगी। गौरतलब है कि एन.एच.एम. के तहत पंजाब को केन्द्र से 500 करोड़ से ज्यादा की ग्रांट प्राप्त होती है। 

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