बरगाड़ी कांड : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मंजीत सिंह ने छोड़ी गद्दी

Edited By Pardeep,Updated: 09 Oct, 2018 12:27 AM

manjit singh chairman of delhi sikh gurdwara management committee left

शिरोमणि अकाली दल (बादल) अपनी स्थापना के 98वें वर्ष में अंदर व बाहर गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा है। 2015 में डेरा सिरसा प्रमुख को श्री अकाल तख्त साहिब से माफी दिलवाने तथा पंजाब के बरगाड़ी में श्री गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं के चलते पार्टी में...

नई दिल्ली(सुनील पाण्डेय): शिरोमणि अकाली दल (बादल) अपनी स्थापना के 98वें वर्ष में अंदर व बाहर गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा है। 2015 में डेरा सिरसा प्रमुख को श्री अकाल तख्त साहिब से माफी दिलवाने तथा पंजाब के बरगाड़ी में श्री गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं के चलते पार्टी में आंतरिक घमासान मच गया है। नतीजतन पंजाब से शुरू हुई बगावत की आंधी अब दिल्ली पहुंच गई है। 

यहां वरिष्ठ अकाली नेता एवं दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मंजीत सिंह जी.के. पार्टी की नीतियों से खफा होकर बगावत की राह चल पड़े हैं। जी.के. ने बेअदबी मामलों पर पार्टी के आत्मघाती रुख से इत्तेफाक न रखते हुए कमेटी अध्यक्ष की कुर्सी छोड़ दी है। साथ ही अपनी पावर वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरमीत सिंह कालका को देकर अज्ञातवास पर चले गए हैं। जी.के. के बाद कुछ और पुराने टकसाली अकाली हैं जो इस राह चल सकते हैं। 

इससे पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा, रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा, पूर्व शिरोमणि कमेटी अध्यक्ष अवतार सिंह मक्कड़, पूर्व सांसद रतन सिंह अजनाला तथा पूर्व कैबिनेट मंत्री सेवा सिंह सेखवां नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। सूत्रों की मानें तो मीडिया और सोशल मीडिया में अकाली दल के खिलाफ हो रहे नकारात्मक हमलों का सार्थक तरीके से सामना करने की बजाय पार्टी द्वारा सिर्फ कांग्रेस को 1984 सिख दंगों के नाम पर निशाना बनाने से पार्टी का कद नहीं बढ़ पा रहा है। सिख संगत आज भी पार्टी हाईकमान की गलतियों को न स्वीकारने को लेकर कोपित है। पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल द्वारा पूर्व पुलिस महानिदेशक सुमेध सिंह सैनी तथा अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह के खिलाफ न बोलने के कारण अकाली नेता जनता के सामने अपने आपको असहाय महसूस कर रहे हैं। 

सूत्रों की मानें तो सुखबीर सिंह बादल के कुछ करीबी लोग सुखबीर को जमीन पर उतरने की बजाय हवा में ही रहने देने की रणनीति बनाने में लगे रहते हैं जिस कारण जमीन से जुड़े टकसाली अकाली नेता लोगों के आक्रोश को अपने पर हावी नहीं होने देना चाहते। पहले 31 जनवरी, 2017 को भी दिल्ली कमेटी के अध्यक्ष मंजीत सिंह जी.के. ने बठिंडा में प्रैस कॉन्फ्रैंस कर डेरा प्रमुख को मिली माफी के खिलाफ सवाल उठाए थे। इसके अलावा जी.के. कई बार स्टेजों पर खुलकर बोल चुके हैं कि उनके लिए गुरु ग्रंथ साहिब के अदब से ज्यादा कुछ महत्वपूर्ण नहीं है। इसलिए बदले सियासी घटनाक्रम और चौतरफा पड़ रहे दबाव को देखते हुए मंजीत सिंह जी.के. ने मैदान छोड़कर पैवेलियन में कूच करने के लिए अपनी शक्तियां छोड़ दी हैं।

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