जानिए, कैसे 94 फुट लंबी सुरंग खोदकर जेल से फरार हुआ था बेअंत का कातिल तारा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Mar, 2018 04:12 PM

jagtar singh how burail jail break

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह हत्याकांड मामले में आतंकी जगतार सिंह तारा को दोषी करार दिया गया है जिसके बाद चंडीगढ़ की बुड़ैल जेल में सीबीअई की अदालत उसे सजा सुनाएगी।

चंडीगढ़ः पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह हत्याकांड मामले में आतंकी जगतार सिंह तारा को चंडीगढ़ की बुड़ैल जेल में लगी सीबीअई की अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 

 

गौरतलब है कि 2004 में जगतार सिंह तारा अपने तीन साथियों के साथ जेल के 94 फुट लंबी सुरंग बनाकर फरार हो गया था। इनमें जगतार सिंह तारा तथा उसके एक साथी को पुलिस को गिरफ्तार करने में 10 साल लग गए जबकि चौथा साथी कहीं पाकिस्तान में बताया जा रहा है। हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे जेल में पुलिस की नाक तले सुरंग तैयार की गर्इ और कैसे फरार हो गया था तारा...

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बुड़ैल जेलब्रेक की साजिश 1998 और 2002 के बीच ही शुरू हो गर्इ थी। जेल पुलिस प्रशासन के पास इसकी सूचना भी थी, लेकिन प्रशासन इसे असंभव मान कर गंभीरता से नहीं ले रहा था। 22 नवंबर 2004 को सुबह जब इस बात का खुलासा हुआ कि बेअंत सिंह के कातिल 14 फुट गहरी, 2.5 चौड़ी और 94 फुट लंबी सुरंग बनाकर बुड़ैल जेल से फरार हो गए। इनमें जगतार सिंह तारा, परमजीत सिंह भियौरा, जगतार सिंह हवारा और देवी सिंह शामिल थे। घाटना का खुलासा होते ही जेल पुलिस प्रशासन के हाथ पांव फूल गए। पुलिस प्रशासन को समझ नहीं आ रहा था कि इतनी लंबी सुरंग जेल से बाहर के लिए कब खोद दी गर्इ। 

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इतनी लम्बी सुरंग एक-दो दिन में खोदना संभव ही नहीं था। विशेषज्ञों की मानें तो इतनी लंबी सुरंग खोदने में कम से कम 6 महीने का समय लगा होगा। बाद में जांच में  पाया गया कि जमीन खोदने के बाद ये आतंकी मिट्टी को अलमारी के पीछे डाल देते थे और बाद में इसे पानी से बहा देते थे। बताते हैं कि जिस दिन चारों सुरंग के जरिए जेल से फरार हुए उस दिन उनके एक साथी नारायण सिंह चौरा ने जेल के बाहर खड़े होकर जेल की बिजली दो बार गुल कर दी और इस दौरान जेल का जैनरेटर भी खराब हो गया था। नारायण सिहं चौरा फरारी से पहले हवारा को जेल में मिलने आया था और उसी दिन घटना को अंजाम देने का खाका तैयार कर लिया था। 

 

जेल ब्रेक के बाद पुलिस ने सबसे पहले बिजली गुल करने वाला नारायण सिंह को गिरफ्तार किया था। उसके बाद करीब डेढ़ साल बाद हवारा को गिरफ्तार कर लिया गया। तारा तथा परमजीत सिंह भियौरा के फरार होने के करीब 10 साल बाद गिरफ्तार किया गया। बताते हैं कि चौथा आरोपी देवी सिंह अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।

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