Indian Army Day:जानिए भारतीय सेना के जीत और बलिदान की गाथा

Edited By Suraj Thakur,Updated: 15 Jan, 2019 10:38 AM

indian army day is celebrated on 15 january every year

भारतीय सेना दिवस देश के पहले कमांडिंग इन चीफ  के.एम. करियप्पा के सम्मान में  आज मंगलवार को दिल्ली और देश के सभी सेना मुख्यालयों में मनाया जा रहा है।

नेशनल डेस्क: (सूरज ठाकुर) भारतीय सेना दिवस देश के पहले कमांडिंग इन चीफ  के.एम. करियप्पा के सम्मान में आज मंगलवार को दिल्ली और देश के सभी सेना मुख्यालयों में मनाया जा रहा है। आजादी के बाद इसी दिन 1949 में  लेफ्टिनेंट जनरल के. एम. करियप्पा ने थल सेना के कमांडिग इन चीफ का पद संभाला था। उन्होंने अंतिम ब्रिटिश कमांडर इन चीफ जनरल सर फ्रेंसिस बूचर को पद्भार मुक्त किया और बाद में फील्ड मार्शल भी बने। सेना दिवस पर भारतीय सेना अपनी आधुनिक हथियारों की प्रदर्शनी के साथ-साथ अपनी मारक क्षमता का भी प्रदर्शन कर रही है। इस मौके पर आपको punjabkesari.in बताने जा रहा है भारतीय सेना के जीत और बलिदान की गाथा...PunjabKesari

कश्मीर का पहला युद्ध...

भारत सरकार रियासतों को एकजुट करने में लगी हुई थी। इसी दौरान 22 अक्टूबर 1947 में पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला बोल दिया। यह लड़ाई करीब एक साल तक चली। इस युद्ध की खासियत यह थी कि आजादी के बाद सेना का भी बंटवारा हुआ था और कभी थल सेना में एक साथ रहे सैनिक बंदूकें ताने हुए एक दूसरे के सामने थे। PunjabKesari

हैदराबाद में निजाम से युद्ध...

भारत के बंटवारे के बाद जब सभी रियासतों को एकजुट करने का दौर चला तो इस दौरान हैदराबाद के निजाम स्वतंत्र रहना चाहते थे। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 12 सितंबर 1948 को सेना को हैदराबाद को कब्जे में लेने के आदेश दिए। मेजर जनरल जयन्तो नाथ चौधरी के नेतृत्व में सेना ने पांच दिन के अंदर निजाम को हरा दिया। हैदाराबाद पर फतहे करने के बाद मेजर जनरल जयन्तो नाथ चौधरी को वहां का सैन्य शासक घोषित किया गया।PunjabKesari

संयुक्त राष्ट्र संघ में भारतीय सेना का योगदान...

भारतीय सेना ने संयुक्त राष्ट्र का सहयोग करते हुए कई देशों में शांति बहाली में अहम भूमिका निभाई है। इन देशों में अंगोला, कंबोडिया, साइप्रस, लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो, अल साल्वाडोर, लेबनान, लाइबेरिया, मोजाम्बिक, रवाण्डा, सोमालिया, श्रीलंका और वियतनाम शामिल हैं। PunjabKesari hindi news, army day image

गोवा, दमन और दीव पर 26 घंटे में कब्जा...

आजादी के बाद भारतीय उपमहाद्वीप, गोवा, दमन और दीव में पुर्तगालियों के अधीन थे। पुर्तगालियों को भारत सरकार ने मसले को हल करने के लिए कई बार बातचीत के लिए बुलाया। बातचीत को अस्वीकार करने पर भारतीय सेना ने 26 घंटे के अंदर गोवा, दमन और दीव को कब्जे में लेकर इन्हें भारत का हिस्सा करार दे दिया।PunjabKesari

कश्मीर को लेकर दूसरा भारत-पाक युद्ध...

आजादी के बाद ही भारत और पाकिस्तान में कश्मीर को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। कश्मीर को लेकर अगस्त 1965 से लेकर सितंबर 1965 तक भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को बुरी तरह से खदेड़ा था। युद्ध की खासियत यह भी रही कि भारतीय सेना ने लाहौर तक मोर्चा खोल दिया था। PunjabKesari

1971 का युद्ध और बांग्लादेश की स्थापना...

पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना की बर्बरता बढ़ती जा रही थी। इतिहासकारों के मुताबिक पाकिस्तानी सेना द्वारा लगभग 2 लाख महिलाओं के साथ रेप किया गया था और लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था। इस दौरान करीब एक करोड़ लोगों ने भागकर भारत में शरण ली थी। पाकिस्तान के इस कृत्य के चलते 3 दिसंबर, 1971 को भारतीय सेना ने पाक पर हमला बोल दिया था। बांग्लादेश की आजादी के लिए भारतीय फौज ने अमरीका की धमकी को भी नजरअंदाज कर दिया था। अमरीका ने बंगाल की खाड़ी में अपनी नौसेना का 7 वां बेड़ा भारत को डराने के लिए तैनात कर दिया था। 13 दिनों तक चले युद्ध के बाद पाकिस्तानी सेना से 16 दिसंबर को हथियार डाल दिए थे। इस युद्ध में  पाकिस्तान के जनरल ए.ए.के नियाजी ने 90 हजार सैनिकों के साथ आत्मसर्म्पण किया था और पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश नाम का एक स्वतंत्र राष्ट्र बना था।PunjabKesari

कारगिल युद्ध...

1998 में पाकिस्तानी सेना की मदद से घुसपैठियों ने कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया था। मई 1999 में एक लोकल ग्वाले से मिली सूचना के बाद जब बटालिक सेक्टर में ले. सौरभ कालिया के पेट्रोल पर हमला हुआ तो सेना ने इन्हें खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय चलाया। करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल में लड़ी गई इस जंग में 527 भारतीय जवान शहीद हुए थे, जबकि 1363 जवान घायल हुए थे। यह ऑपरेशन 8 मई 1999 को शुरू किया गया और 26 जुलाई 1999 को खत्म हुआ। इस युद्ध में पाकिस्तान दावा करता है कि उसके 357 सैनिक मारे गए थे, जबकि हकीकत यह है कि करीब तीन हजार उसके सैनिक इस युद्ध में मारे गए थे।

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