Edited By Updated: 06 May, 2017 08:35 AM
पंजाब में अगर कहीं बिजली गुल होती है और फाल्ट को निर्धारित 4 घंटे की समय सीमा तक दुरुस्त नहीं किया जाता है
चंडीगढ़ (एच.सी. शर्मा) : पंजाब में अगर कहीं बिजली गुल होती है और फाल्ट को निर्धारित 4 घंटे की समय सीमा तक दुरुस्त नहीं किया जाता है तो उसके बाद कंज्यूमर हर दो घंटे के ब्लॉक के 100 रुपए मुआवजा हासिल करने का हकदार होगा। पावरकॉम ने हर शिकायत के निपटारे को लेकर समयावधि निर्धारित कर रखी है। उस दौरान फाल्ट को दूर नहीं किया जाता तो जहां अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई है,वहीं उचित मुआवजे का प्रावधान भी है। इसको लेकर एक शिकायत निवारण कमेटी का गठन किया गया है जहां कंज्यूमर अपना मामला लेकर जा सकता है। यहां सर्वसम्मति से फैसला न होने की स्थिति में शिकायत फोरम को भेजी जाएगी। फोरम के फैसले पर किसी भी पक्ष को एतराज हो तो प्रभावित पक्ष बिजली लोकपाल के पास अपील कर सकता है। कंज्यूमर सिर्फ कमेटी और फोरम के समक्ष ही सीधा मामला रख सकता है।
शैड्यूल्ड पावर कट से लेकर वोल्टेज फ्लक्चुएशन तक सभी मामलों में मुआवजे का प्रावधान
शैड्यूल्ड पावर कट 6 घंटे से ज्यादा तो मिलेंगे 200 रुपए प्रति डिफाल्ट
अप्रैल से अक्तूबर के महीने में शैड्यूल्ड पावर कट एक बार में 6 घंटे तक ही लगाया जा सकता है। वहीं, नवम्बर से मार्च में यह अवधि बढ़ाकर अधिकतम 8 घंटे तय की गई है। इसके अलावा पावरकॉम बिजली कट शाम 6 बजे के बाद नहीं लगा सकेगा। इससे पहले बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करनी होगी।
6 घंटे में पुन: बिजली सुचारू न कर पाने पर शिकायतकत्र्ता को 200 रुपए प्रति डिफाल्ट मिलेगा। वहीं, एक से ज्यादा या ग्रुप वाले शिकायकत्र्ताओं को 100 रुपए प्रति डिफाल्ट मुआवजा मिलेगा। इसके लिए जेई या क्षेत्र का प्रभारी जिम्मेदार होगा।
लाइनमैन होगा जिम्मेदार
साधारण बिजली गुल होने पर उसे अधिकतम 4 घंटे के अंदर दुरुस्त करना होगा। ऐसा न होने पर शहरी क्षेत्र में चार घंटे के बाद हर 2 घंटे के ब्लॉक पर 100 रुपए वहीं ग्रामीण क्षेत्र में खराबी को 8 घंटे के अंदर दूर करना होगा। ऐसा न कर पाने पर अगले चार घंटे के ब्लॉक पर 100 रुपए जुर्माना देना होगा। इसके लिए संबंधित लाइनमैन जिम्मेदार होगा।
वोल्टेज फ्लक्चुएशन 4 घंटे में करनी होगी दूर, नहीं तो 200 रु. तक जुर्माना
लूज ज्वाइंट्स के चलते फलक्चुएशन की दिक्कत को चार घंटे में दुरुस्त करना होगा अन्यथा 200 रुपए प्रति 2 घंटे के ब्लॉक पर मुआवजा ले सकते हैं। जहां नैटवर्क में बढ़ौतरी की जरूरत नहीं है वहां दो कार्य दिवस में ठीक न होने पर 200 रुपए प्रतिदिन मुआवजे का प्रावधान है। इसके लिए जेई/क्षेत्र प्रभारी जिम्मेदार होगा। जहां विपणन प्रणाली के अपग्रेडेशन की जरूरत है वहां 30 दिनों के अंदर फॉल्ट को दुरुस्त करना होगा। ऐसा न होने पर 500 रुपए प्रतिदिन के अनुसार मुआवजे का प्रावधान है। इसके लिए ए.ई./ए.ई.ई. जिम्मेदार होगा।
मीटर खराब होने पर 7 दिनों में करनी होगी जांच, 10 दिनों में होगा बदलना
मीटर धीमा चलता है या तेज, इसकी जांच 7 दिनों के दौरान करनी होगी। खराबी पाए जाने पर 10 दिनों में बदलना होगा। ऐसा न करने पर 200 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मुआवजा देना होगा। अगर किसी कारण मीटर जल गया है तो शिकायत के पांच दिनों में बदलना होगा अन्यथा 300 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मुआवजा मिलेगा। इसके लिए जे.ई./क्षेत्र प्रभारी जिम्मेदार होगा।
नया कनैक्शन: आवेदन के 7 दिनों में घरेलू और गैर-घरेलू सप्लाई मुहैया करवानी होगी। अन्य श्रेणी के कंज्यूमर्स को 15 दिनों में सप्लाई देनी होगी। ऐसा न होने पर 200 रुपए प्रतिदिन मुआवजे का प्रावधान है। इसके लिए ए.ई./ए.ई.ई. जिम्मेदार होगा।
बिजली बिल को लेकर शिकायत
विवादित बिल की शिकायत पर यदि अतिरिक्त जानकारी नहीं चाहिए तो 24 घंटे में निपटारा करना होगा। अतिरिक्त जानकारी वाले मामले में 7 कार्य दिवस में निपटान करना होगा अन्यथा 200 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मुआवजे का प्रावधान है। वहीं, बिल न देने पर कनैक्शन काट दिया गया है तो भुगतान के 24 घंटे में आपूर्ति पुन: शुरू करनी होगी अन्यथा 400 रुपए प्रतिदिन का मुआवजा पात्र होगा।
उपभोक्ता शिकायत निवारण प्रणाली
पावर कंज्यूमर्स की शिकायत के निवारण के लिए रैगुलेटरी कमीशन की ओर से डिविजनल,सर्कल तथा जोनल डिस्प्यूट सैटलमैंट कमेटियों के साथ-साथ उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम तथा बिजली लोकपाल का गठन किया गया है। गैर-वित्तीय व सॢवस कनैक्शन जारी करने में देरी, मीटर में खराबी, बिजली आपूॢत बाधित होने,वोल्टेज फ्लक्चुएशन जैसी सामान्य सेवाओं के लिए क्षेत्र प्रभारी ए.ई. या ए.ई.ई. की ओर से तय समय सीमा में सेवाएं प्रदान न करने पर उपभोक्ता डिविजनल कमेटी के पास शिकायत कर सकता है। इसके अलावा कमेटी 1 लाख रुपए तक के वित्तीय विवादों पर भी निर्णय ले सकती है। सर्कल कमेटी को 1 से 4 लाख तथा जोनल कमेटी को 4 लाख से अधिक के विवादों पर विचार का अधिकार है लेकिन यह कमेटियां सर्वसम्मति से ही फैसला ले सकती हैं। सर्वसम्मति न होने पर मामले को शिकायत मान कर फोरम को रैफर कर दिया जाएगा। फोरम मुख्यालय पटियाला में स्थित है। फोरम के फैसले से नाखुश कंज्यूमर्स मोहाली स्थित बिजली लोकपाल के समक्ष अपील दायर कर सकता है। लोकपाल का फैसला दोनों पक्षों के लिए मान्य होगा।
लोकपाल ने तीन महीनों में सिर्फ 9 मामले ही निपटाए
आमतौर पर कंज्यूमर्स शिकायत निवारण की लंबी प्रक्रिया और मामूली मुआवजे के चलते अपनी शिकायत फोरम तक या लोकपाल तक पहुंचाने में दिलचस्पी नहीं लेते। फोरम या लोकपाल के समक्ष बड़े वित्तीय विवाद के मामले ही पहुंच पाते हैं। यही कारण है कि इस वर्ष की पहली तिमाही में फोरम ने 63 व लोकपाल ने सिर्फ 9 मामलों का ही निपटारा किया है।