Edited By Updated: 24 Nov, 2016 09:52 AM
क्रिकेटर से राजनेता बने नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) दोनों के साथ सौदेबाजी तब तक करते रहे जब तक कांग्रेस ने उनको
नई दिल्ली: क्रिकेटर से राजनेता बने नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) दोनों के साथ सौदेबाजी तब तक करते रहे जब तक कांग्रेस ने उनको राजनीतिक तौर पर शून्य नहीं कर दिया। सिद्धू का आवाज-ए-पंजाब मोर्चा उस समय तहस-नहस हो गया जब लुधियाना से निर्दलीय विधायक बैंस ब्रदर्स ने ‘आप’ का दामन थाम लिया।
अब सिद्धू, ओलिम्पियन और पूर्व अकाली विधायक परगट सिंह तथा सिद्धू की विधायक पत्नी नवजोत कौर सिद्धू के पास कांग्रेस में शामिल होने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। सिद्धू के मोर्चे का कांग्रेस में विलय होगा क्योंकि कांग्रेस हमेशा यही चाहती थी। वह सिद्धू के साथ गठबंधन के पक्ष में नहीं थी। कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल को एक साधारण विचार दिया था कि सिद्धू के ‘आप’ में जाने से पंजाब में कांग्रेस की जीत की संभावना धूमिल हो सकती है। इसलिए कांग्रेस ने सिद्धू को अपनी और करने के लिए कई बैठकें कीं जिसमें किशोर और राहुल के साथ सिद्धू की बैठकें हुईं। ‘आप’ ने भी सिद्धू को अपने साथ रखने के लिए काफी मेहनत की। बैंस ब्रदर्स को सिद्धू को साथ लाने के लिए कहा गया। मगर बैंस ब्रदर्स ऐसा नहीं कर सके और वह खुद ही ‘आप’ में शामिल हो गए।
सिमरजीत बैंस के अनुसार कांग्रेस ने सिद्धू को मुख्यमंत्री पद की पेशकश की थी। केवल सिद्धू ही कांग्रेस हाईकमान के सम्पर्क में थे। सिद्धू ने हमें बताया कि राहुल गांधी, उनकी बहन प्रियंका गांधी, प्रशांत किशोर, गुलाम नबी आजाद और अहमद पटेल ने उनसे मुलाकात की। पार्टी हाईकमान ने मुझे मुख्यमंत्री पद की पेशकश की थी, बशर्ते पार्टी सत्ता में आए। सिमरजीत ने बताया कि हम इसके बाद प्रतीक्षा करते रहे, मगर कांग्रेस ने कोई ठोस वायदा नहीं किया। क्या कांग्रेस हाईकमान इस चरण पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की उपेक्षा करेगी जबकि समूचा अभियान कैप्टन के इर्द-गिर्द घूमता रहा है। सिमरजीत ने कहा कि वह सिद्धू और परगट को ‘आप’ में शामिल होने के लिए मनाते रहे। हम नियमित रूप से बैठकें करते रहे, मगर कोई नतीजा नहीं निकला।