Edited By Vatika,Updated: 22 May, 2018 03:25 PM
धार्मिक संस्थाओं द्वारा मुफ्त में परोसा जाने वाला लंगर एवं भंडारे को केन्द्रीय माल एवं सेवाकर (जी.एस.टी.) से छूट देने की तैयारी चल रही है। इसको लेकर केंद्र सरकार थोड़ा नरम होती दिख रही है। साथ ही चौतरफा सियासी दबाव को देखते हुए जल्द ही अपने बिल में...
नई दिल्ली(सुनील पाण्डेय): धार्मिक संस्थाओं द्वारा मुफ्त में परोसा जाने वाला लंगर एवं भंडारे को केन्द्रीय माल एवं सेवाकर (जी.एस.टी.) से छूट देने की तैयारी चल रही है। इसको लेकर केंद्र सरकार थोड़ा नरम होती दिख रही है। साथ ही चौतरफा सियासी दबाव को देखते हुए जल्द ही अपने बिल में बदलाव करने जा रही है। इसमें देशभर के ऐतिहासिक गुरुद्वारों में परोसा जाने वाला लंगर और ऐतिहासिक मंदिरों में अनवरत चलने वाले भंडारे को राहत मिलने की संभावना है। सिखों की समूह संस्थाओं और खुद केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के दबाव में केन्द्र सरकार जी.एस.टी. को लेकर थोड़ा झुकती नजर आ रही है। उन्होंने खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इसको लेकर विशेष आग्रह किया था।
स्वर्ण मंदिर में चलता है दुनिया का सबसे बड़ा लंगर
स्वर्ण मंदिर अमृतसर में दुनिया का सबसे बड़ा लंगर चलता है। इसमें लाखों लोगों को साल भर मुफ्त भोजन मुहैया कराया जाता है। प्रत्येक दिन अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में हजारों लोग गुरुद्वारा का दर्शन कर लंगर खाने यहां पहुंचते हैं। साथ ही यहां बेसहारा लोगों के रहने व खाने का भी इंतजाम किया जाता है। इसके लिए चंदा श्रद्धालुओं के चढ़ावे से आता है। इसे मुफ्त लंगर वितरित करने पर खर्च किया जाता है। फिलहाल लंगर में इस्तेमाल होने वाली सामग्री जैसे देसी घी, दूध पाऊडर, तेल, चीनी, सिलैंडर और अन्य वस्तुओं पर 18 फीसदी तक जी.एस.टी. लगता है।