पंजाबः नई राजनीतिक पार्टी बनाएंगे पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह

Edited By Sunita sarangal,Updated: 19 Oct, 2021 10:50 PM

former chief minister captain amarendra singh will form a new political party

कांग्रेस नेता और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को कहा कि वह जल्द ही अपने राजनीतिक दल के गठन की घोषणा करेंगे और अगर किसान आंदोलन का समाधान किसानों के पक्ष में होता है तो उन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ

चंडीगढ़/नई दिल्लीः कांग्रेस नेता और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को कहा कि वह जल्द ही अपने राजनीतिक दल के गठन की घोषणा करेंगे और अगर किसान आंदोलन का समाधान किसानों के पक्ष में होता है तो उन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ सीटों को लेकर समझौता होने की उम्मीद है। 

कांग्रेस की पंजाब इकाई के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के साथ मतभेद और प्रदेश कांग्रेस में अंदरुनी कलह के बाद अमरिंदर ने मुख्यमंत्री पद से पिछले महीने इस्तीफा दे दिया था। पार्टी ने उनके स्थान पर चरणजीत सिंह चन्नी को नया मुख्यमंत्री बनाया है। सिंह ने मंगलवार को कहा, ‘‘पंजाब के भविष्य को लेकर लड़ाई जारी है। मैं जल्द ही अपनी राजनीतिक पार्टी के गठन की घोषणा करूंगा, ताकि पंजाब और उसके लोगों, साथ ही पिछले एक साल से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे किसानों के हितों के लिए काम किया जा सके।'' उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘मैं अपने लोगों और अपने राज्य'' का भविष्य सुरक्षित बनाने तक चैन की सांस नहीं लूंगा। 

अमरिंदर के मीडिया सलाहकार ने एक ट्वीट में उनके हवाले से कहा, ‘‘पंजाब को राजनीतिक स्थिरता और आंतरिक तथा बाहरी खतरों से सुरक्षा की जरूरत है। मैं अपने लोगों से वादा करता हूं कि शांति और सुरक्षा के लिए जो भी करना होगा, मैं करूंगा, क्योंकि फिलहाल दोनों खतरे में हैं।'' सिंह ने कहा, ‘‘अगर किसान आंदोलन का समाधान किसानों के हित में होता है तो 2022 के पंजाब विधानसभा में भाजपा के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर आशान्वित हूं। इसके अलावा समान विचार रखने वाली पार्टियों के साथ समझौते के बारे में भी विचार किया जा रहा है... जैसे अकाली दल से टूट कर अलग हुए समूह, खासतौर से सुखदेव सिंह ढींढसा और रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा गुट।'' 

ढींडसा ने शिरोमणि अकाली दल (लोकतांत्रिक) का गठन किया था जबकि ब्रह्मपुरा ने शिअद (टकसाली) का गठन किया। बाद में, दोनों नेताओं ने शिअद (संयुक्त) का गठन किया। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद सिंह ने कहा था कि वह खुद को ‘अपमानित' महसूस कर रहे हैं। बाद में उन्होंने कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को ‘‘अनुभवहीन'' भी कहा था। 

सिंह ने प्रदेश कांग्रेस प्रमुख सिद्धू को ‘‘राष्ट्र विरोधी'' और ‘‘खतरनाक'' करार दिया था और कहा था कि वह आगामी विधानसभा चुनावों में सिद्धू के खिलाफ एक मजबूत उम्मीदवार खड़ा करेंगे। सिंह ने पिछले महीने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी और तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के साथ संकट को तत्काल हल करने का आग्रह करते हुए उनसे लंबे समय से जारी किसान आंदोलन पर चर्चा की थी। 

शाह के साथ मुलाकात से सिंह के भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई थीं। बाद में उन्होंने भाजपा में शामिल होने की अटकलों को खारिज कर दिया, लेकिन यह भी कहा कि वह कांग्रेस छोड़ देंगे। उन्होंने जोर देकर कहा था कि पार्टी में वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी की जा रही है। 79 वर्षीय नेता ने कहा था, ‘‘मैं भाजपा में शामिल नहीं होऊंगा, (लेकिन) मैं कांग्रेस पार्टी में नहीं रहूंगा।'' पिछले साल सितंबर में तीन नए कृषि कानून लागू होने के बाद 26 नवंबर से ही दिल्ली की सीमाओं पर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के सैकड़ों किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। 

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