Exclusive: फतेहवीर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, इस कारण हुई मौत

Edited By Vaneet,Updated: 11 Jun, 2019 10:19 PM

fatehveer post mortem report released

फतेहवीर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट डॉक्टर की तरफ से जारी कर दी गई है। पीजीआई के डॉक्टरों मुताबिक जब तक फते...

जालंधर(वेब डैस्क): फतेहवीर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट डॉक्टर की तरफ से जारी कर दी गई है। पीजीआई के डॉक्टरों मुताबिक जब तक फतेह को अस्पताल लाया गया तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। डॉक्टरों का यह भी कहना है कि जब बोरवेल से फतेह को बाहर निकाला गया उससे 3-4 दिन पहले ही उसकी मौत हो चुकी थी। फतेहवीर का पोस्टमार्टम पीजीआई के असिस्टेंट प्रोफैसर डा. सैंथिल कुमार आर तथा एच.ओ.डी प्रोफैसर वाई.एस. बांसल की देख-रेख में किया गया। फतेह की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह साफ हो गया है कि वह शुक्रवार या शनिवार ही मौत के मुंह में चला गया था। मौत का असली कारण सांस रुकने की वजह बताया गया है।

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फतेहवीर को गांव वालों ने दी अश्रुपूर्ण विदाई 
5 दिनों से अधिक समय तक चले असफल बचाव कार्य के बाद बोरवेल से मृत अवस्था में निकाले गए दो वर्ष के फतेहवीर सिंह को गांव वालों ने अश्रुपूर्ण विदाई दी। फतेह का अंतिम संस्कार किए जाने से पहले जब उसे लकड़ी के बने ताबूत में रखा गया तो संगरूर जिले के भगवानपुरा गांव के निवासी और फतेह के परिवार के सदस्य अपने आंसू नहीं रोक पाए। एक अधिकारी ने बताया कि करीब 110 घंटे तक बोरवेल में रहने के बाद बचावकर्मियों ने सुबह पौने पांच बजे बच्चे को बाहर निकाला।

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बचाव अभियान में देरी के कारण लोगों में गुस्सा
अधिकारी फतेह तक ऑक्सीजन पहुंचाने में तो सफल रहे थे लेकिन वे उस तक खाना-पीना नहीं पहुंचा पाए थे। ठोरी ने मीडिया को बताया कि यह 100 फुट से अधिक गहराई पर एनडीआरएफ द्वारा चलाए गए सबसे कठिन अभियानों में से एक था। बच्चे को बचाने के लिए बोरवेल के समानांतर एक दूसरा बोरवेल खोदा गया था और उसमें कंक्रीट के बने 36 इंच व्यास के पाइप डाले गए थे। बचाव अभियान में देरी के कारण स्थानीय लोगों ने सोमवार को जिला प्रशासन और राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था। सुनाम-मानसा मार्ग को गांववालों ने बाधित कर दिया था।

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इस तरह हुआ हादसा
गौरतलब है कि सुनाम इलाके में पड़ते सुगरूर जिले के गांव भगवानपुरा निवासी सुखविंदर सिंह का परिवार खेत में काम कर रहा था। इस दौरान उनका खेल रहा 2 साल का बेटा फतेहवीर सिंह न जाने कब उस तरफ चला गया, जहां पिछले 10 साल से बंद पड़े बोरवेल को प्लास्टिक की बोरी से ढ़क रखा था। धूप और बारिश वगैरह में कमजोर हो चुकी बोरी पर जैसे ही बच्चे का पैर पड़ा, वह उसी में ही उलझकर बोरवैल में नीचे चला गया। बच्चा 120 फुट गहराई और 9 इंच की पाइप में फंस गया था। बच्चे के नीचे गिरने का पता चलते ही घर वालों के हाथ-पैर फूल गए। उन्होंने आनन-फानन में पुलिस प्रशासन को सूचित किया। प्रशासन घटनास्थल पर हाजिर हो गया व तुरंत बचाव कार्य शुरू कर दिया गया था। बच्चे को निकालने के लिए एन.डी.आर.एफ., डेरा प्रेमी और आर्मी की टीमें जुटी रही थी। 

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