पंजाब पुलिस चाहे तो किसी की चप्पल तक नहीं चोरी हो सकती, ड्रग माफिया तो चीज ही क्या है!

Edited By Suraj Thakur,Updated: 26 Jun, 2019 09:32 AM

drug rackets has been steadily rising in punjab

international Day Against Drug Abuse: स्मगलरों के इनपुट होने के बावजूद नशे के कारोबार पर नकेल कसने में सरकारें नाकाम।

जालंधर। (सूरज ठाकुर) जबसे इस इस बात का खुलासा हुआ है कि पंजाब पुलिस के कुछ अधिकारी और कर्मचारी भी ड्रग्स के धंधे में संलिप्त हैं, तो यहां कहना यह उचित होगा कि "पंजाब पुलिस है तो सब मुमकिन" है। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि पंजाब पुलिस चाहे तो कोई किसी की चप्पल तक नहीं चुरा सकता, ड्रग माफिया तो चीज ही क्या है! फिर सवाल यहां पैदा होता है कि मजबूरी कहां है?  इस बात का खुलासा पहली बार नहीं हुआ है कि ड्रग्स के धंधे में कुछ पुलिस वालों का हाथ है। यह खुलासा तो पंजाब पुलिस के पूर्व डीजीपी जेल  शशिकांत 2014 में ही कर चुके हैं। उन्होंने मीडिया में दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि पंजाब में नशे का मकड़जाल पुलिस, राजनेताओं और सुरक्षा एजेंसियों के कुछ अधिकारियों का नेक्सस है। सच तो यह है सूबे में अकाली-भाजपा और वर्तमान कांग्रेस सरकार बड़े स्मगलरों के इनपुट होने के बावजूद नशे के कारोबार पर नकेल कसने में नाकाम रही हैं।PunjabKesari
 

ऐसे फैला पंजाब में ड्रग्स का कारोबार
300 बीसी से 1947 तक व्यापारिक गतिविधियों के लिए पाकिस्तान से भारत सिल्क रूट के नाम से विख्यात था। यह रूट चीन से शुरू होता था और अफगानिस्तान में डायवर्ट होकर मौजूदा पाकिस्तान के रास्ते भारत में प्रवेश करता था। आजादी से पहले तक इसी रास्ते से सिल्क का व्यापार भारत के लिए होता रहा। 1947 में हुए बंटवारे के बाद गोल्ड की स्मगलिंग ने इसे येलो रूट नाम दिया। 1980 के बाद से हेरोइन सहित अन्य नशीले पदार्थों की सप्लाई की वजह से अब यह व्हाइट रूट में परिवर्तित हो चुका है। इस दौर में आईएसआई के भारत स्थित व्हाइट रूट कुरियरों के जरिए यूरोपियन और अमेरिकी देशों में ड्रग्स की स्मलिंग ने जोर पकड़ लिया। इस धंधे में होने वाली करोड़ों की कमाई के कारण पंजाब भी ड्रग्स के कारोबार की चपेट में आ गया।PunjabKesari

आजादी के बाद ड्रग्स का कारोबार फैलाने में आईएसआई का हाथ
बताते हैं कि आजादी के बाद पाकिस्तान के रास्ते गोल्ड की स्मगलिंग व्यापक स्तर पर हो रही थी। उस दौरान सोने कई बड़े कारोबारी और राजनीति लोग इस धंधे में आ गए। पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई ने इसमें अपने हित देखते हुए गोल्ड स्मलिंग को बढ़ावा देना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे सीमा पार से ड्रग्स को धंधा भी फलने फूलने लगा। पंजाब में आतंकवाद के दौर में आईएसआई ने भारत में हथियारों के साथ हेरोइन जैसे नशीले पदार्थों की खेप भेजनी भी शुरू कर दी। यह धंधा एक नेक्सस की सरपरस्ती में फलने-फूलने लगा, जिसका जिक्र हम पहले ही कर चुके हैं। PunjabKesari 

इसलिए भी बंध जाते हैं पुलिस के हाथ
हैरत की बात तो यह है कि बादल सरकार के समय 2014 में जब बड़े पैमाने पर नशे को लेकर पूर्व डीजीपी शशिकांत ने खुलासा किया था तो उस वक्त विपक्ष में बैठी कांग्रेस के कान बंद नहीं थे। आम जनता को भी यह मालूम था कि इस मसले को लेकर पूर्व डीजीपी शशिकांत ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में एक शपथ पत्र भी दायर किया था, जिसमें उन्होंने  पुलिस, राजनेताओं और सुरक्षा एजेंसियों के कुछ अधिकारियों का नेक्सस होने का दावा करते हुए सीबीआई की जांच की मांग की थी। यह अलग बात है कि उस दौरान उनकी मांग को अस्वीकृत कर दिया गया था। इस सब के चलते यहां यह कहना भी लाजमी हो गया है कि पंजाब में बढ़ते हुए नशे के लिए सूबे में रही बादल और कैप्टन सरकारें दोनों ही जिम्मेदार हैं। राजनेता ही अगर इस नेक्सस में शामिल हो जाएं तो पुलिस के कार्रवाई में हाथ बंध जाते हैं और पुलिस ही संगठित स्मलिंग में साथ देने लगे तो ड्रग्स के धंधे में संलिप्त बड़े मगरमच्छ उस तालाब में तैरने के लिए आजाद हो जाते हैं जहां ड्रग्स का अरबों का काला कारोबार हो रहा है।PunjabKesari

"मन की बात"में मोदी ने भी किया था बयां पंजाब का दर्द
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालने के बाद पहली बार 14 दिसंबर 2014  को आकाशवाणी पर ‘मन की बात’ कार्यक्रम में पंजाब के दर्द को बयां किया था। उन्होंने युवाओं में बढ़ रहे नशे पर बात की थी। पीएम ने कहा था कि नशा परिवार, समाज और देश को तबाह कर रहा है। युवाओं में नशे की लत आतंकियों को मदद पहुंचा रही है क्योंकि नशे के कारोबार से आने वाले पैसे से आतंकी हथियार खरीदते हैं और उन्हीं हथियारों से वे देश की रक्षा में जुटे हमारे जवानों पर हमला करते हैं।पीएम ने कहा था कि हमें नशे की लत का मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और चिकित्सा तीनों रूपों में उपचार करना होगा। इसके लिए नशे के आदी व्यक्ति, उसके परिवार, दोस्तों, समाज, सरकार और कानून सबको मिलकर काम करना पड़ेगा। एनडीए सरकार दोबारा सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह अब पंजाब में फैल रहे ड्रग्स के कारोाबर को लेकर पीएम मोदी को लेकर एक नेशनल पॉलिसी बनाने की मांग कर रहे हैं। जिससे यह साबित होता है कि अकेले ड्रग्स की समस्या से लड़ना राज्य सरकार के बस में नहीं है। हालांकि इसी मुद्दे ने उन्हें सीएम की कुर्सी पर बिठाया है। यहां आपको यह बताना आसान है कि पंजाब में ड्रग्स को लेकर पीएम मोदी की "मन की बात" और कैप्टन की "नेशनल ड्रग पॉलिसी" की मांग सियासत से कितनी प्ररेरित है।PunjabKesari 

समय रहते ड्रग्स की समस्या पर किया जा सकता था काबू
पंजाब के पूर्व डीजीपी शशिकांत ने 2014 में ही ड्रग तस्करी में कथित तौर पर शामिल पंजाब के दो मंत्रियों और 3 विधायकों के नामों का खुलासा किया था। उन्होंने दावा किया था कि इनमें कांग्रेस का एक विधायक भी शामिल है। एक प्रेस वार्ता में उन्होंने दावा किया था कि उन्होंने ड्रग ट्रेड में शामिल ऐसे 98 नेताओं की सूची मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को सौंप दी थी, लेकिन बादल ने उन्हें नसीहत दे डाली कि, ‘ऐदाँ दे कॅम तुसी ना करिया करो’। उनका दावा था कि चार पेज की इस सूची के बदले उलटा उनको ऐसे काम न करने की नसीहत दे डाली गई थी। बहरहाल पंजाब में पूर्व बादल सरकार और वर्तमान कैप्टन सरकार ड्रग्स के मामले में कितनी गंभीर रही है इस बात का सहजता के साथ अंदाजा लगाया जा सकता है। मामले को 2014 में इमानदारी से ही गंभीरता से लिया होता तो यह समस्या इतनी गंभीर नहीं होती।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!