21 सिख नौजवानों के कत्ल के बयान पर राजनीति तेज,कैप्टन के विरोध में उठे सुर

Edited By Updated: 20 May, 2017 11:32 AM

captain amarinder singh testify against brutalized murder of 21 sikh sad

मुकेरियां के गांव मुरादपुर अवागां के 12 वर्षीय हरविन्द्र सिंह ने 9 साल तक कैंसर के खिलाफ जंग लड़ते हुए आज अंतिम सांस ली।

चंडीगढ़ः मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के 21 सिख नौजवानों के कत्ल से संबंधित बयान पर पंजाब में सियासत तेज हो गई है। शिरोमणि अकाली दल ने कैप्टन को इस मामले में गवाही देने को कहा है। अकाली नेता सरदार विरसा सिंह ने कहा कि यह अच्छी बात है कि अमरेंद्र ने 1990 के दौरान 21 सिख नौजवानों का प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के आगे आत्मसमर्पण करवा कर उनकाे मौत के मुंह में धकेलने वाली बात का पछतावा किया है। इस तरह उन्‍होंने अपनी आत्मा से बोझ उतार दिया है। अफसोस इस बात का है कि सिर्फ पछतावा करके कैप्टन ने इस मसले से खुद को मुक्त कर लिया।

उन्‍होंने कहा कि 2002-2007 के दौरान पंजाब का मुख्यमंत्री रहने के बावजूद इस केस को लेकर कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि अब भी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है। अमरेंद्र अपनी आत्मा का बोझ हलका कर सकते हैं। वह जानते हैं कि यह घटना कब हुई थी। वह उनको भी जानते हैं, जो उस दौर के बड़े पुलिस अफसर थे। उन्होंने कहा कि अमरेंद्र को 21 सिख नौजवानों को खत्म करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करने का हुक्म देना चाहिए।

कैप्टन ने अपनी किताब में इस बात का जिक्र करते हुए कहा कि तत्‍कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के समक्ष 21 उग्रवादी नौजवानों को आत्मसमर्पण कराया था। इन नौजवानों को जिन्हें बाद में मौत के घाट उतार दिया गया था। इसका पता उन्हें छह माह बाद लगा था। वह खुद को उन लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार मानते हैं।

अकाली नेता ने कहा कि यह बयान काफी नहीं है कि छह महीने बाद जब कैप्टन को पता चला कि 21 नौजवानों को खत्म किया जा चुका है तो उसके बाद उन्होंने चंद्रशेखर को कभी नहीं बात की। उन्होंने कहा कि अमरेंद्र की 21 नौजवानों के प्रति जिम्मेदारी थी कि तुरंत पीडि़तों की पहचान करनी चाहिए और परिवारों को मुआवजा देना चाहिए। इसके अलावा दोषियों को सजा दिलवानी चाहिए।

अकाली नेता ने कहा कि यह मानवाधिकारों के उल्लंघन का मामला था। इसलिए राज्य मानवाधिकार आयोग को भी इस संबंध में केस दर्ज करना चाहिए। आयोग दोषियों की पहचान के लिए राज्‍य सरकार से अपेक्षित रिकॉर्ड तलब कर सकता है।


खालड़ा मिशन ऑर्गेनाइजेशन प्रमुख परमजीत खालड़ा, मुख्य वक्ता सतविंदर सिंह पलासोर, प्रधान हरमनदीप सिंह, उपप्रधान विरसा सिंहं, केंद्रीय समिति मेंबर सतवंत सिंह मानक और पंजाब मानवाधिकार संगठन के डिप्टी चेयरमैन कृपाल सिंह रंधावा ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन को इस मामले में पूरा सच सामने लाना चाहिए।

इन नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री ने ऐसा बयान देकर एक बार फिर जंगलराज को सार्वजनिक किया है। शहीद भाई जसवंत सिंह खालड़ा ने कहा था कि पंजाब में 25 हजार सिख युवकों को झूठे मुकाबलों में मार कर उनके शवों को अज्ञात बताकर उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया था। हजारों नौजवानों की लाशें दरिया व नहरों में बहा दी गई थीं। भाई खालड़ा ने शहादत दे कर दिल्ली दरबार और केपीएस गिल को बेनकाब किया था।

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