ईराक में मारे गए पंजाबियों के शव पहुंचते ही पसरा शोक,मां बोली हाय मेरे शेर पुत्तरा,वापस आजा तूं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Apr, 2018 08:17 AM

bodies of 38 indians killed in iraq to reach india

ईराक में मारे गए भारतीय युवकों के अभिभावक अमृतसर एयरपोर्ट पर भारी संख्या में मौजूद थे। मृतकों के परिवारों को इस बात का सबसे अधिक दुख था कि यदि हरदीप मसीह की बात को सुन लिया जाता तो उनकी जान बच सकती थी। मृतकों के परिवारों में अधिकतर ऐसे थे जिनकी कमाई...

अमृतसर  (इन्द्रजीत/नवदीप) : ईराक में मारे गए भारतीय युवकों के अभिभावक अमृतसर एयरपोर्ट पर भारी संख्या में मौजूद थे। मृतकों के परिवारों को इस बात का सबसे अधिक दुख था कि यदि हरदीप मसीह की बात को सुन लिया जाता तो उनकी जान बच सकती थी। मृतकों के परिवारों में अधिकतर ऐसे थे जिनकी कमाई का कोई साधन नहीं था।इस मौके पर अवशेष लाने वाले विमान के पहिए जैसे ही रनवे को छूते हैं तो मृतकों के परिवारों के लोगों के ‘हाय मेरे शेर पुत्रा, हाय वे रखड़ी वाले वीरा, ओ मां दे कलेजे दे टुकडिय़ा वापस आजा तूं’ ऐसे करुणामय विलाप सुनते हुए ऐसा प्रतीत होता था कि इन 38 मृतकों के परिवारों के दुख में आसमान भी शामिल हो रहा है। ऐसे ही एक दुखियारी मां अपने पुत्र की याद आते 
बेहोश होकर गिर पड़ी। पेश है पंजाब केसरी द्वारा मृतक परिवारों के साथ संवेदना प्रकट करते हुए लिए गए कुछ अंश:

 

सब कुछ बेचकर गया था धूरी का प्रितपाल शर्मा


संगरूर के धूरी निवासी प्रितपाल शर्मा (52) परिवार में अकेला कमाने वाला था। बेटी दीक्षा की शादी व नीरज को कारोबार करवाने की इच्छा में अपना सब कुछ बेचकर वह ईराक चला गया। मृतक के साले नंद लाल शर्मा भाई महेन्द्रपाल शर्मा, अवतार बहादुर ने बताया कि अपने परिवार के लिए प्रितपाल हमेशा ङ्क्षचता में रहता था, इसीलिए इस उम्र में भी वह कड़ी मेहनत करने का जज्बा लेकर ईराक गया था, किन्तु उसकी मौत की सूचना पाकर पूरा परिवार शोक में डूब गया है। उन्होंने बताया कि वहां पर उसे 40 हजर रुपए वेतन मिलता था। अंतिम बार उसने जून 2014 के महीने में फोन किया था उसके बाद उसकी कोई सूचना नहीं मिली। 

 

बेटे की आस में मौत को रोके बैठा है कैंसर का मरीज पिता 

मेहता के जलाल उसमा बाबा बकाला क्षेत्र का गुरचरण सिंह (35) बड़ी उम्मीदें लेकर बाहर गया था, इसमें उसकी जमीन भी बिक गई थी। माता जसविन्द्र कौर (67) बीमार रहती है, पिता को कैंसर है, 45 हजार रुपया महीने की दवाई उसे खानी पड़ती है। बचने की उम्मीद नहीं किन्तु पुत्र को मिलने की इच्छा ने कैंसर होने के बावजूद भी उसे वर्षों जिंदा रखा है। मृतक के 9 वर्षीय पुत्र अमनदीप सिंह और 12 वर्षीय बेटी नवदीप कौर को उम्मीद थी कि उनके पापा किसी वक्त भी आ जाएंगे किन्तु उनके इस दुनिया में न रहने की खबर के बाद दोनों बच्चे व 30 वर्षीय पत्नी खामोश रहते हैं। 

 

जमीन बेचकर अमीर बनना चाहता था मलविन्द्र 

भोएवाल का मलविन्द्र (24) अपनी जमीन बेचकर 4.50 लाख रुपए एजैंट को देकर ईराक चला गया। उसकी बहन गुरपिन्द्र कौर, पिता हरदीप सिंह, चाचा तेजिन्द्रपाल सिंह ने बताया कि उन्हें अपने होनहार बेटे से बड़ी उम्मीदें थीं। उनका जवान पुत्र बेहद खूबसूरत और खुशदिल था। उसे सोच-सोच कर परिवार के लोग गम में डूब गए हैं कि यहां तक कि पूरा इलाका उसकी मौत से आंसुओं में डूबा हुआ है।

 

सदमे में बेहोश हुई मां

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अमृतसर एयरपोर्ट पर अपने बेटे के अवशेष आने से पहले सदमे में आकर बहोश हुई एक मां। (नवदीप)

 

वृद्ध निर्मल सिंह के बुझे दोनों चिराग

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फगवाड़ा जिला के बोहानी क्षेत्र के रहने वाले 61 वर्षीय वृद्ध निर्मल सिंह मेहनत-मजदूरी करते हैं। उनका पुत्र सतविन्द्र सिंह (30) ईराक में गया था। उसकी खबर सुनते ही वृद्ध चिल्ला उठा, मेरी दोनों आंखें बुझ गई है, मृतक का एक और भाई भी था जो 1997 में इस नश्वर संसार को छोड़ गया था। उसका गम भुलाने के लिए वृद्ध निर्मल सिंह को उम्मीद थी कि मेरा पुत्र आएगा और मेरे पोते होंगे जो मेरे पहले गुजर चुके पुत्र की कमी पूरी कर देंगे किन्तु उसे क्या उम्मीद थी कि उसका दूसरा पुत्र भी असमय काल का ग्रास बन जाएगा। निर्मल सिंह ने बताया कि अब जीने के लिए कोई सहारा नहीं रहा। 

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