नाराज सहयोगी दलों को मनाने के लिए चलाया भाजपा ने अभियान

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Feb, 2018 11:16 AM

bjp campaigned for celebrating angry allies

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के लिए बोलने उठे तो लोकसभा में हंगामा शुरू हो गया।

जालंधर(पाहवा): प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के लिए बोलने उठे तो लोकसभा में हंगामा शुरू हो गया। हंगामा करने वालों में उनकी अपनी सरकार में शामिल गठबंधन के सांसद भी थे।  ये सांसद थे तेलुगु देशम पार्टी के नेता चंद्रबाबू नायडू जो आंध्र प्रदेश के लिए विशेष पैकेज न मिलने से खफा हैं। उन्होंने अपने सांसदों को संसद में आंध्र के हितों को जोर-शोर से उठाने की हिदायत दी है।

नाराजगी दूर करने में जुटी भाजपा 


भारतीय जनता पार्टी अपनी सहयोगी पाॢटयों की नाराजगी को हलके में नहीं ले रही है। सहयोगी पार्टियों की नाराजगी दूर करने के लिए पार्टी ने तत्काल प्रयास शुरू किए हैं। बताया जा रहा है कि भाजपा के आला नेताओं ने दो पुरानी सहयोगी पार्टियों को मनाने का ठोस प्रयास किया है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की पार्टी के तेवर देखते हुए भाजपा ने तुरंत उनके साथ बातचीत का चैनल खोला और उनकी मांग पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने टी.डी.पी. के नेताओं से मुलाकात की है और राज्य के लिए विशेष पैकेज का एक हिस्सा तुरंत देने का वादा किया है। आंध्र प्रदेश की नई राजधानी के निर्माण में सहयोग से लेकर वहां संवैधानिक संस्थाओं के निर्माण में मदद देने का भरोसा सरकार ने दिलाया है। पार्टी के महासचिव राम माधव और दक्षिण भारत के दूसरे नेता जी.वी.एल. नरसिंह राव को सक्रिय किया गया और दोनों टी.डी.पी. नेताओं के साथ बात की। अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल की बहू और केंद्र सरकार में मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने हर साल किए जाने वाले भोज का आयोजन किया तो अरुण जेटली वहां लगातार मौजूद रहे। बताया जा रहा है कि जेटली ने अकाली नेताओं की नाराजगी दूर की है। तभी पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल ने एक बयान देकर कहा कि भाजपा और अकाली दल का गठबंधन चट्टान की तरह मजबूत है। 


 

टी.डी.पी. चाहती है हैसियत बढ़े 
आंध्र प्रदेश में अगले साल लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में चंद्रबाबू नायडू केंद्र पर दबाव बनाकर गठबंधन में अपनी हैसियत बढ़ाना चाहते हैं। जानकारों की मानें तो राज्य में टी.डी.पी. बड़े भाई की भूमिका में है। जानकारों की मानें तो राज्य में टी.डी.पी. बड़े भाई की भूमिका बरकरार रखना चाहती है तो वहीं लोकसभा में वह अपने टिकट पर अधिक से अधिक सांसद भी भेजने की खुवाहिश रखती है। 
ऐसा होने से न केवल देश की राजनीति में उसका महत्व बरकरार रहेगा बल्कि राज्य के विकास के नाम पर नायडू को बड़ा पैकेज मिलने की संभावना भी बनी रहेगी। भाजपा अमित शाह के नेतृत्व में जिस तरह से हर राज्य में अकेले दम पर अपनी सरकार बनाने की रणनीति पर काम कर रही है, नायडू उससे भी आशंकित हो सकते हैं, इसीलिए उन्होंने बजट में आंध्र प्रदेश की अनदेखी का आरोप लगाते हुए भाजपा पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। 

 

शिवसेना पर तवज्जो कम 

जहां तक शिवसेना की नाराजगी का सवाल है तो पार्टी उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रही है। पार्टी के जानकार नेताओं का कहना है कि शिवसेना की नाराजगी राजनीतिक है, वास्तविक नहीं है। वास्तविक नाराजगी दूर की जा सकती है, पर राजनीतिक नाराजगी नहीं। अगर शिवसेना को लगेगा कि कांग्रेस और एन.सी.पी. एलायंस की वजह से वह अकेले बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाएगी तो वह अपने आप भाजपा से बात करेगी। वहां भाजपा अगर अभी से उसको भाव देगी तो भाजपा को समझौते में उसके लिए ज्यादा सीटें छोडऩी पड़ सकती हैं। 

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