वाजपेयी ने जब नेहरू की मौत पर कहा था- 'भारत माता ने अपना लोकप्रिय युवराज खो दिया'

Edited By Vatika,Updated: 18 Aug, 2018 03:49 PM

atal bihari vajpayee

27 मई 1964 को जब देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की मौत हुई थी तो उस समय अटल बिहारी वाजपेयी की आयु 40 वर्ष की थी। पं. नेहरू की मौत पर वाजपेयी को भी गहरा सदमा लगा था तथा उन्होंने उस समय कहा था कि भारत माता ने अपना लोकप्रिय युवराज खो...

जालन्धर (धवन): 27 मई 1964 को जब देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की मौत हुई थी तो उस समय अटल बिहारी वाजपेयी की आयु 40 वर्ष की थी। पं. नेहरू की मौत पर वाजपेयी को भी गहरा सदमा लगा था तथा उन्होंने उस समय कहा था कि भारत माता ने अपना लोकप्रिय युवराज खो दिया है। उस समय वाजपेयी राज्यसभा के सदस्य थे तथा उन्होंने प्रधानमंत्री नेहरू की मौत पर सदन में ही उक्त बयान दिया था।

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वाजपेयी ने उस समय कहा था कि सपने चकनाचूर हो गए हैं, गीतों पर लगाम लग गई है तथा एक ज्योति हमेशा के लिए बुझ गई है। वाजपेयी ने कहा था कि मौत एक सत्य है तथा यह शरीर नाशवान है। वाजपेयी ने कहा था कि भारत माता को आज गहरा सदमा लगा है क्योंकि उसने अपना लोकप्रिय युवराज खोया है। पूरे देश में मानवता आज दुखी है। आम जनता की आंखों की ज्योति बुझ गई है। पर्दे नीचे गिर गए हैं। विश्व का प्रमुख अभिनेता अपनी अंतिम भूमिका निभा कर आलोप हो गया है। वाजपेयी ने यह भी कहा था कि पंडित जी के जीवन से उन्हें यह झलक देखने को मिली कि वह शांति के पुजारी हैं परन्तु फिर भी उनके अंदर क्रांति की एक ज्वाला थी। वाजपेयी ने यह भी कहा था कि पंडित नेहरू जहां व्यक्तिगत स्वतंत्रता के पक्ष में थे वहीं पर वह आर्थिक समानता के पक्ष में भी थे। पंडित नेहरू ने जीवन में कभी किसी से समझौता नहीं किया। 
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वाजपेयी ने यह भी लिखा था कि जब चीन ने भारत को आंखें दिखाने की कोशिशें की थीं तो कुछ हमारे पश्चिमी दोस्तों ने कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ समझौते पर पहुंचने की सलाह दी थी। जब पंडित नेहरू को ऐसा बताया गया था तो उन्होंने कहा था कि हम दोनों फ्रंटों पर लडऩे के लिए तैयार हैं। कश्मीर समस्या पर हम कोई समझौता नहीं करेंगे। वह किसी दबाव में आकर काम नहीं करते थे। वाजपेयी ने यह भी कहा था कि संसद को पंडित नेहरू के जाने से जो नुक्सान हुआ है, उसकी भरपाई असंभव है। ऐसा व्यक्ति अब दोबारा तीन मूर्ति में नहीं आ सकता है। आकर्षक व्यक्तित्व आलोप हो गया है। वाजपेयी ने यह भी कहा था कि पंडित नेहरू से वैचारिक मतभेद होने के बावजूद देश से जुड़े मामलों में हम सब इकट्ठे थे क्योंकि पंडित नेहरू का देश के प्रति प्यार सर्वोपरि था। इस तरह स्व. वाजपेयी ने पंडित नेहरू के निधन पर सियासी हितों से ऊपर उठ कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी थी।

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