Edited By Updated: 02 Nov, 2016 12:05 PM
पंजाब विधानसभा के आगामी वर्ष में होने वाले चुनावों के बाद सत्तासीन होने की बड़ी उम्मीद लगाए बैठी आम आदमी पार्टी (आप) के रणनीतिकारों द्वारा ‘डेरा’ व ‘धर्म’ पर आधारित राजनीति की तरफ बढऩे के कारण नेताओं में अंतर्विरोध पैदा होने लगा है।
चंडीगढ़ (रमनजीत): पंजाब विधानसभा के आगामी वर्ष में होने वाले चुनावों के बाद सत्तासीन होने की बड़ी उम्मीद लगाए बैठी आम आदमी पार्टी (आप) के रणनीतिकारों द्वारा ‘डेरा’ व ‘धर्म’ पर आधारित राजनीति की तरफ बढऩे के कारण नेताओं में अंतर्विरोध पैदा होने लगा है।
आम आदमी पार्टी के रणनीतिकार अरविंद केजरीवाल के तकरीबन हर पंजाब दौरे के दौरान समय की उपलब्धता के मुताबिक 3 से 4 डेरों या बाबाओं के यहां केजरीवाल की मौजूदगी को सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। हाल ही में केजरीवाल द्वारा 3 दिन के पंजाब दौरे के दौरान भी माझा के 1, दोआबा के 2 और मालवा के एक डेरा बाबा के यहां हाजिरी लगाई गई थी। इसके साथ ही पंथक वोटों को ध्यान में रखते हुए भटिंडा के तलवंडी साबो स्थित तख्त श्री दमदमा साहिब में भी माथा टेका था। आम आदमी पार्टी नेताओं द्वारा इस तरह डेरों के चक्कर लगाने से ‘आप’ के कई नेता खासे परेशान हैं।
‘आप’ के मालवा इलाके से जुड़े एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यह ठीक है कि हरेक वोटर किसी न किसी धर्म या सम्प्रदाय से जुड़ा होता है लेकिन आम लोगों की बात करने वाली पार्टी के नेताओं द्वारा इस तरह से ‘वोट बैंक’ को लालायित करने का प्रयास करना उचित नहीं है। इससे पार्टी की सैकुलर और क्रांतिकारी राजनीति वाली छवि को नुक्सान पहुंच रहा है।