माता वैष्णो देवी यात्रा में नहीं श्रद्धालुओं के लिए लंगर की व्यवस्था

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Nov, 2017 12:10 AM

arrangement of anchor for devotees not to visit mata vaishno devi

श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड भारत के अति धनाड्य हिन्दू धार्मिक संस्थानों में शुमार है, जिसकी आमदनी सैंकड़ों करोड़ रुपए है। यहां एक वर्ष में देश भर से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी 80 लाख से 1 करोड़ है। ...

अमृतसर(कुमार): श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड भारत के अति धनाड्य हिन्दू धार्मिक संस्थानों में शुमार है, जिसकी आमदनी सैंकड़ों करोड़ रुपए है। यहां एक वर्ष में देश भर से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी 80 लाख से 1 करोड़ है। 


यूं तो हिन्दू धर्म की इस प्रमुख संस्था के खाते में ऐसे अनेक सराहनीय कार्य गिनवाए जा सकते हैं, जिससे धार्मिक पर्यटन ने नए शिखर छुए परन्तु इसके बावजूद श्राइन बोर्ड द्वारा श्रद्धालुओं की कुछ जायज मांगों को नजरअंदाज करने से इसकी आलोचना भी की जा रही है। यह कटु सत्य है कि श्राइन बोर्ड द्वारा आज भी सैंकड़ों कि.मी. का सफर तय कर यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक भी लंगर नहीं लगाया जाता।


आर.टी.आई. के अंतर्गत रजनीश खोसला द्वारा यह खुलासा किया गया है कि श्राइन बोर्ड के समकालीन माने जाते हिमाचल सरकार द्वारा नियंत्रित प्रसिद्ध धार्मिक संस्थानों जिनमें श्री माता ङ्क्षचतपूर्णी न्यास, श्री माता नयना देवी, माता ज्वाला जी इत्यादि मंदिर न्यासों के अलावा बाबा बालक नाथ मंदिर न्यास की ओर से श्रद्धालुओं के लिए लंगर लगाया जाता है। 


इतना ही नहीं, भारत के दक्षिण में स्थित श्री बाला जी तिरुपति न्यास द्वारा प्रतिदिन लगभग 3 लाख श्रद्धालुओं को नि:शुल्क लंगर खिलाया जाता है। अब जबकि देश के अन्य सरकार नियंत्रित मंदिर न्यासों की ओर से दूर-दराज से आए श्रद्धालुओं को लंगर परोसा जाता है तो धनाड्य श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड से इसी प्रकार की आशा होना स्वाभाविक है। 


भोजनालय के रेट में भी कोई खास रियायत नहीं:एक अन्य तथ्य यह भी है श्राइन बोर्ड द्वारा संचालत अनेक भोजनालयों में भी श्रद्धालुओं को रियायती दर पर भोजन उपलब्ध नहीं करवाया जाता। इस पहलू पर श्राइन बोर्ड प्रबंधन की कुछ आलोचना भी की जाती है। वैष्णो देवी पहुंचने वाले अनेक श्रद्धालुओं में निम्न तथा मध्यम वर्ग के लोग भी होते हैं जो सैंकड़ों कि.मी. की यात्रा कर जम्मू-कश्मीर के कटड़ा धाम पहुंचते हैं। 


अनेक श्रद्धालु यह प्रश्र करते हैं कि यह धनाड्य बोर्ड जब सैंकड़ों करोड़ की भारी-भरकम राशि मल्टीपल अस्पताल, यूनिवॢसटी तथा अन्य गतिविधियों पर खर्च कर वाहवाही बटोरता है तो गरीब तथा मध्यम वर्गीय श्रद्धालुओं के प्रति ऐसा निष्ठुर रवैया क्यों? उधर सूत्रों की मानें तो श्राइन बोर्ड को इन भोजनालयों से करोड़ों रूपए की आमदनी होती है।


 श्रद्धालु कहते हैं कि भोजनालयों में खाद्य पदार्थ रियायती दरों पर अवश्य उपलब्ध हों ताकि गरीब, जरूरतमंद श्रद्धालुओं की जेब पर यात्रा भार कुछ कम हो सके। उधर श्राइन बोर्ड के अनुसार भवन पर कतार में श्रद्धालुओं को नि:शुल्क चाय दिया जाना हाल ही में शुरु किया गया है।

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