भारत में तलाक की दर सबसे कम, जानें 5 कारण

Edited By Mohit,Updated: 31 Jan, 2019 08:54 PM

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दुनियाभर में भारत एक मात्र ऐसा देश है जहां तलाक की दर सबसे कम है यानि कि भारत में 1000 शादियों में केवल 13 मामलों में ही तलाक होता है। क्या इसका यह अर्थ है कि भारतीय इस मामले में भाग्यशाली हैं और अन्य देशों की तुलना में भारत में शादी के बाद दम्पति...

नई दिल्लीः दुनियाभर में भारत एक मात्र ऐसा देश है जहां तलाक की दर सबसे कम है यानि कि भारत में 1000 शादियों में केवल 13 मामलों में ही तलाक होता है। क्या इसका यह अर्थ है कि भारतीय इस मामले में भाग्यशाली हैं और अन्य देशों की तुलना में भारत में शादी के बाद दम्पति खुश रहती है। क्या ये इस बात का सबूत है कि अरेंज मैरिज से होने वाली शादियां श्रेष्ठ हैं। ऐसी संभावनाओं में खुश होना स्वभाविक है लेकिन सच्चाई से कोसो दूर है। यहां 5 ऐसे कारण हैं जिससे तलाक की दर कम होना अच्छी बात है।

महिलाओं की कोई सुनवाई नहीं 
भारत में हुए एक अध्ययन के अनुसार उत्तरप्रदेश, बिहार, हरियाणा और राजस्थान में तलाक के दर सबसे कम हैं। तलाक के दर इसलिए कम हैं क्योंकि अधिक महिलाएं अपने परिवार के साथ बोलने की स्थिति में नहीं है। अगर महिलाएं शादी से अलग होना चुन भी लें तो वे खुद वित्तय और भावनात्मक रुप से समर्थन नहीं प्राप्त कर सकती। उपचारिक रुप से तलाक का अर्थ यह होगा कि महिला को अलग रहने का अधिकार मिल जाएगा और साथ में बच्चों को रखने और देखभाल करने की जिम्मेदारी उसकी हो सकती है।

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खुशियों पर संस्कार
यह केवल महिलाएं ही नहीं जो खराब शादियों की उतपीड़ना सहन करती हैं। भारतीय कभी भी यह शिक्षा नहीं देते कि नीजि खुशियों पर किसी को नुक्सान पहुंचे। तलाक बहुत ही गंभीर परिस्थितियों के बाद ही उठाए जाने वाला कदम होता है। इस मामले में लिंग को भी भूमिका निभानी होती है। जिस परिवार में महिला अपने पति को खुश नहीं रख सकती, पुरुष और महिला दोनों एक दूसरे के खिलाफ हो जाते हैं और प्रताड़ित होते हैं। यह बात ध्यानयोग्य है कि जनगणना के आंकड़ों के अनुसार अधिक महिलाएं पुरुषों के मुकाबले खुद तलाक देने की घोषणा करती हैं।

लंबी कानूनी प्रक्रिया
तलाक के मामलों में विभारिक प्रक्रिया भी होती है। जहां तक तलाक के कानून का संबंध है, भारतीय अधिक प्रगतिशील, आधुनिक लोक तांत्रिक व्यवस्था में हैं। आजादी के पहले दशक में ही हिंदू कोड बिल संसद में पारित किया गया था जिससे पुरुषों और महिलाओं को समान रुप से तलाक देने और किसी से शादी करने का अधिकार दिया गया था मगर कभी-कभी तलाक की प्रक्रिया मुसीबत बन जाती है। अदालतों में केस लंबे समय तक लटकते हैं जिससे धन और समय की बर्बादी होती है।

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कानून के प्रति नैतिकता 
अगर आप कानूनी प्रक्रिया अपनाना चाहते हैं तो भारत में तलाक लेना आसान नहीं। तलाक का फैसला देने वाले जज भी हमारे समाज की देन हैं। उनका नजरिया पति-पत्नी को अलग करने की बजाय मेल मिलाप पर होता है। आपसी सहमति से तलाक लेने वाली दम्पति को भी कई दोरों से गुजरना पड़ता है मगर तलाक लेने की प्रक्रिया लंबी हो जाती है।

धर्म
भारतीय शादियों के लंबे समय तक बरकरार रहने के पीछे अंतिम सबसे बड़ा कारण धर्म है। भारत में हिंदू धर्म प्रभावशाली है जहां शादी को एक पवित्र बंधन माना जाता है और लोग इसका पालन भी करते हैं। इसलिए धार्मिक प्रवति के लोग तलाक लेने में विश्वास नहीं रखते और वह अपने परिवार को बांधे रखते हैं। 


 

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