पुलों वाला खन्ना नाम से प्रसिद्व थे विनोद, देहांत से गुरदासपुर में शोक की लहर

Edited By Updated: 27 Apr, 2017 02:29 PM

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फिल्म अभिनेता तथा चार बार गुरदासपुर से सांसद रहे विनोद खन्ना के देहांत से उनके हलके में शोक की लहर है। खन्ना ने पहली बार 1997 में चुनाव लड़ा था। पांच बार चुनाव लड़े थे खन्ना लेकिन जीत उन्हें 4 बार ही मिली।

गुरदासपुर (विनोद): फिल्म अभिनेता तथा चार बार गुरदासपुर से सांसद रहे विनोद खन्ना के देहांत से उनके हलके में शोक की लहर है। खन्ना ने पहली बार 1997 में चुनाव लड़ा था। पांच बार चुनाव लड़े थे खन्ना लेकिन जीत उन्हें 4 बार ही मिली।


वर्ष 1997 और 1999 में वे दो बार पंजाब के गुरदासपुर क्षेत्र से भाजपा की ओर से सांसद चुने गए। 2002 में वे संस्कृति और पर्यटन के केन्द्रिय मंत्री भी रहे। सिर्फ 6 माह पश्चात् ही उनको अति महत्वपूर्ण विदेश मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री बना दिया गया। इसके बाद फिर वे सांसद बने। विनोद खन्ना एक सफल अभिनेता,प्रोड्यूसर तथा राजनीतिज्ञ थे। जिस क्षेत्र में विनोद खन्ना ने कदम रखा उसमे उन्हें भरभूर सफलता मिली। पंरतु जिन्दगी की जंग वह आज हार गए। 

पाकिस्तान के शहर पेशावर में 6 अक्तूबर 1946 में कमला तथा किश्न चंद खन्ना के घर पैदा हुए विनोद खन्ना की तीन बहने तथा एक भाई हैं। उनके जन्म के कुछ साल बाद ही भारत पाकिस्तान विभाजन के समय उनका परिवार भारत आ बसा। 

फिल्म इंडस्ट्री में बहुत कम एैसे कलाकार होंगे जो नैगेटिव या साईड रोल से तरक्की कर हीरों के रूप मे प्रसिद्व हुए। विनोद खन्ना उनमे से एक हैं जिन्होने नैगेटिव व साईड रोल की भूमिका  में अपना लोहा जमाने के बाद हीरों के रूप में फिल्मे बनाई।  
          
वर्ष 1997 में विनोद खन्ना ने अपना राजनीतिक जीवन भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर किया। वह वर्ष 1997 के लोकसभा चुनाव में गुरदासपुर से भाजपा अकाली गठबंधन उम्मीदवार के रूप मे खड़े हुए तथा भारी बहुमत से चुनाव जीते। वर्ष 1999 में फिर  वह चुनाव जीत गए तथा केन्द्र सरकार के राज्यमंत्री बने। वर्ष 2004 मे हुए लोकसभा चुनाव में भी वह चुनाव जीत गए जबकि वर्ष 2009 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।  वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में वह फिर गुरदासपुर से चुनाव जीते तथा इस समय गुरदासपुर से ही वह लोकसभा मैंबर थे।


वर्ष 1971 में उन्होंने गितांजली से विवाह किया तथा उनके दो बेटे राहुल खन्ना तथा अक्षय खन्ना हुए। 1989 में वह ओशो गुरू रजनीश के सम्पर्क में आए तथा रजनीशपूरम चले गए तथा बाद में अमरीका चले गए। जिस कारण उनकी पत्नी गीतांजली से उनके मतभेद हो गए तथा बात तलाक पर समाप्त हुई।
        
उसके बाद विनोद खन्ना ने वर्ष 1990 में कविता खन्ना से विवाह करवा लिया तथा उनके दो बच्चे है।
 

ये रहा बिमारी का कारण
विनोद खन्ना को लम्बे समय से पीठ दर्द की शिकायत थी तथा बहुत अधिक ईलाज भी करवाया। उन्होंने इस संबंधी अमरीका से आप्रेशन भी करवाया था,पंरतु उन्हें रीढ की हडडी में कैंसर की शिकायत हो गई। जिस कारण वह कमजोर होते गए। 

लोकसभा हल्का गुरदासपुर में उनकी मुख्य देन क्या हैं
विनोद खन्ना ने प्रथम चुनाव में ही लोगों की मुख्य समस्याओं को जानने की कोशिश की। जब वे सांसद बने उस समय मुख्य समस्या ब्यास दरिया पर शाला पत्तन के पास तथा रावी दरिया पर नरोट मैहरा के पास पुल बनाया जाना था। इन पुलों के न होने के कारण नरोट मैहरा ईलाके के लोग वाया कठूआ जिला गुरदासपुर आते थे जिस कारण उन्हें लगभग 40 किलोमीटर अधिक सफर तय करना पड़ता था। इसी तरह ब्यास दरिया पर पुल न होने के कारण गुरदासपुर के लोगों को चंडीगढ़ आदि जाने के लिए वाया पठानकोट या वाया बटाला जाना पड़ता था। इन दोनो पुलों का निर्माण उन्होने प्राथमिकता से करवाया। उसके बाद उन्होंने होटल मैंनेजमैंट कालेज,हर सरकारी लड़कियों के स्कूल में शौचालय तथा चार दिवारी करवाई। रंजीत सागर डैम का निर्माण पूरा करवाया तथा सबसे महत्वपूर्ण उन्होंने इस ईलाके के जितने भी बच्चे जिनके दिल के छेक था उनका ईलाज पूर्णता मुफ्त करवाया। गुरदासपुर में बाल किश्न मित्तल परिवार के साथ उनका गहरा संबंध रहा।  


 

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