मंडीरा वाला प्राइमरी स्कूल के कमरे की छत गिरी

Edited By bharti,Updated: 11 Sep, 2018 11:05 AM

the roof of the primary school room with a pedestrian wall

एक तरफ जहां समय-समय की सरकारें बच्चों के माता-पिता को अपने बच्चों को अच्छी व सस्ती शिक्षा देने के ...

बाघापुराना (राकेश): एक तरफ जहां समय-समय की सरकारें बच्चों के माता-पिता को अपने बच्चों को अच्छी व सस्ती शिक्षा देने के लिए सरकारी स्कूलों में दाखिल करवाने के लिए जोर डालती हैं, वहीं दूसरी तरफ स्कूलों में पूरा स्टाफ, इमारतें व अन्य जरूरतों को पूरा करने की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहीं जिसे देखकर लगता है कि सरकार को बच्चों की कोई परवाह नहीं है। इसके चलते स्कूलों में बच्चों को छोटी क्लासों में योग्य प्रबंध न किए जाने के कारण अक्सर माता-पिता को अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में महंगी पढ़ाई तो जरूर करवानी पड़ती है।

यहां के नजदीकी गांव मंडीरा वाला के सरकारी प्राइमरी स्कूल की ताजा मिसाल सामने आई है, जहां 1964 से लेकर किसी भी सरकार ने स्कूल की इमारत की हालत सुधारने के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं समझी। स्कूल में 6 कमरे हैं, जो डैमेज हो चुके हैं। स्कूल के बच्चे गर्मी, सर्दी, बारिश व आंधी में वृक्षों के नीचे बैठकर पढ़ाई करते हैं। गांववासी हरविन्द्र सिंह, नायब सिंह, गुरमुख सिंह, सरपंच दविन्द्र सिंह, जगसीर सिंह तथा स्कूल की अध्यापक गुरिन्द्रजीत कौर ने बताया कि एक कमरे की छत गिरने से सारा मलबा नीचे आ गया है, जो एक चिंता का विषय है। 
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गांववासियों ने की छतों की मुरम्मत करवाने की मांग
गांववासियों ने मांग की कि प्रशासन को चाहिए कि वह एमरजैंसी में फंड मुहैया करवाकर स्कूल की छतों की मुरम्मत करवाकर दे, ताकि बच्चे खतरे से बच सकें। स्कूल मैडम ने कहा कि ऐसी हालत में पढ़ाई करवानी अति मुश्किल है। यदि इमारत बढिय़ा होगी, तो बच्चों का मन भी स्कूल में लगेगा। उन्होंने बताया कि स्कूल में छोटे बच्चे होने के कारण यहां हमेशा ही खतरे का डर बना रहता है।

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