Edited By Anjna,Updated: 25 Apr, 2018 01:25 PM
पंजाब के गांवों,शहरों व कस्बों में जगह-जगह फिरते आवारा कुत्तों के झुंड राहगीरों की जिंदगी के लिए खतरा बनते जा रहे हैं, जबकि पशु पालन विभाग, स्वास्थ्य विभाग, स्थानीय निकाय विभाग ऐसे खतरों को खत्म करने के लिए सतर्क नहीं है।
बाघापुराना(चुटानी): पंजाब के गांवों,शहरों व कस्बों में जगह-जगह फिरते आवारा कुत्तों के झुंड राहगीरों की जिंदगी के लिए खतरा बनते जा रहे हैं, जबकि पशु पालन विभाग, स्वास्थ्य विभाग, स्थानीय निकाय विभाग ऐसे खतरों को खत्म करने के लिए सतर्क नहीं है।
आवारा कुत्तों की तादाद में निरंतर हो रही बढ़ौतरी न सिर्फ मनुष्य की जिंदगी के लिए, बल्कि यह पालतू पशुओं के लिए भी एक बड़ी चुनौती बना खड़ा है। पिछले एक वर्ष दौरान जिला मोगा में ऐसे खुंखार कुत्तों ने 150 से भी अधिक लोगों को काटा है, जबकि कई पशु ऐसे कुत्तों की दहशत का शिकार हो चुके हैं। सांप, नेवले तथा छिपकली आदि जहरीले जानवर खाकर हलकाए हुए कुत्तों द्वारा काटे गए लोगों में से 90 प्रतिशत लोग इस दुनिया से रुख्सत हो चुके हैं।
कम नसबंदी होने के कारण बढ़ रही है संख्या
पशु कंट्रोल संस्था के अनुसार नसबंदी की अनुपातक दर पिछले मुकाबले कम ही है। कुत्तों के काटने वाले व्यक्तियों के इलाज के लिए पंजाब भर में 150 के करीब क्लीनिक हैं, लेकिन जहां इन क्लीनिकों की गिनती कम है, वहीं इनमें दवाइयां, टीके व डाक्टरी स्टाफ की भी कमी है। कुत्तों की नसबंदी के लिए भी माहिर उपलब्ध नहीं हैं और न ही नसबंदी वाले कुत्तों की उचित संभाल तथा खुराक के ही पुख्ता प्रबंध सरकार के पास हैं।