अगर आज न जागे तो मरुस्थल बन जाएगा पंजाब

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Jul, 2018 01:57 PM

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पंजाब कृषि प्रधान राज्य है। इसके अधिकतर निवासियों की आमदन कृषि पर ही निर्भर है। कुछ वर्ष पहले पंजाब में सभी फसलों जैसे गेहूं, धान, कपास, नरमा, मक्की, गन्ना, मूंगफली, सरसों, दालें, गुआरा, बाजरा आदि की खेती बड़े स्तर पर की जाती थी। फसलों को बेचने के...

नत्थूवाला गर्बी(राजवीर): पंजाब कृषि प्रधान राज्य है। इसके अधिकतर निवासियों की आमदन कृषि पर ही निर्भर है। कुछ वर्ष पहले पंजाब में सभी फसलों जैसे गेहूं, धान, कपास, नरमा, मक्की, गन्ना, मूंगफली, सरसों, दालें, गुआरा, बाजरा आदि की खेती बड़े स्तर पर की जाती थी। फसलों को बेचने के समय मंडीकरण की कोई समस्या नहीं थी लेकिन जब से खेती के लिए नई तकनीकें आई हैं तो किसानों में फसलों की अधिक पैदावार लेने की होड़ मच गई है। पंजाब में धान का रकबा बढऩे के कारण भू-जल स्तर बहुत ही नीचे चला गया है।इससे सरकार की नींद भी खुली और उसने फसली विभिन्नता लाने व धान का रकबा घटाने के लिए किसानों को जागरूक करना शुरू किया। किसानों ने समय की नजाकत को समझते हुए अन्य फसलों की बिजाई करना शुरू की। 

पंजाब की हालत चिंताजनक बनी
पंजाब के जो हालत आज बने हुए हैं, यदि इसको न रोका गया तो पंजाब बहुत जल्द मरुस्थल बन जाएगा। पंजाब के मोगा सहित तकरीबन 8-10 जिलों में पानी का स्तर 100 से 150 फुट नीचे तक पहुंच गया है जोकि बहुत चिंताजनक बात है। अब इन जिलों में अधिकतर गांवों में से तो नलकूप भी गायब हो गए हैं तथा इनकी जगह सबमर्सिबल पम्पों ने ले ली है।

मजबूरीवश किसान दोबारा धान की तरफ  लौटे
चाहे खेतीबाड़ी विभाग तथा खेती यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने समय-समय पर किसानों के लिए नए-नए बीज मुहैया करवाए हैं, जो कम पानी की लागत से फसल तैयार होती है, जैसे बासमती 1121, बासमती 1509, बासमती मु‘छल, बासमती पाकिस्तानी तथा सुगंधि आदि। कुछ साल किसानों ने इन फसलों का बड़े स्तर पर उत्पाद भी किया लेकिन सरकार ने फिर किसानों की सहायता नहीं की तथा व्यापारियों ने किसानों की लूट की। इस कारण इस बार किसान फिर रिवायती धान की किस्में पूसा-44, धान-14, 18, 11 आदि की तरफ दोबारा लौट गए हैं। इसका सबसे बड़ा कारण किसानों को अपनी फसल की लागत के मुताबिक ठीक मूल्य न मिलना है। 

स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें लागू करे सरकार
गांव वासियों तथा भाकियू इकाई भलूर के सदस्यों जत्थेदार गुरनाम सिंह, रूप सिंह गिल, लायक सिंह, बिन्द्र सिंह, मस्सा सिंह, रेशम सिंह, सुखदेव सिंह, बलदेव सिंह, मक्खन सिंह, दर्शन सिंह आदि किसानों ने मांग की कि यदि सरकारें सही अर्थों में किसानों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए संजीदा हैं तो स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को तुरंत लागू करें तथा किसी भी फसल का मूल्य उस पर लागत कीमत से दोगुना या तीन गुणा तय हो तथा किसान को व्यापारियों के चंगुल से आजाद करवाया जाए।

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