Edited By Vatika,Updated: 11 May, 2018 01:21 PM
स्कूलों में फीस वृद्धि को लेकर पिछले कुछ समय से पेरैंट्स विरोध के रास्ते पर हैं। पेरैट्स व स्कूलों के बीच चल रहे इस फीस विवाद के बीच तेजी से वायरल हो रहे एक मैसेज को पढ़कर जहां अभिभावकों को राहत मिल रही है, वहीं स्कूल असमंजस में पड़ गए हैं।...
लुधियाना (विक्की): स्कूलों में फीस वृद्धि को लेकर पिछले कुछ समय से पेरैंट्स विरोध के रास्ते पर हैं। पेरैट्स व स्कूलों के बीच चल रहे इस फीस विवाद के बीच तेजी से वायरल हो रहे एक मैसेज को पढ़कर जहां अभिभावकों को राहत मिल रही है, वहीं स्कूल असमंजस में पड़ गए हैं। व्हाट्सएप पर वायरल हुए इस मैसेज का आधार व सच्चाई क्या है, इस बारे अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं हो पा रहा लेकिन पेरैंट्स व स्कूलों में सच्चाई जानने के लिए हलचल शुरू हो गई है। इस मैसेज में हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए लिखा गया है कि कोई भी प्राइवेट स्कूल छुट्टियों के दिनों यानी जून-जुलाई महीने की फीस नहीं ले सकेगा। यह आदेश कौन से हाईकोर्ट के हैं, इस बारे भी स्पष्ट नहीं है। इस मैसेज के संबंध में एक ओर आदेशों की कापी भी वायरल हो रही है जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि उक्त आदेश पाकिस्तान के कराची हाईकोर्ट ने जारी किए हैं। लेकिन उक्त आदेश वास्तव में वहीं के हैं या नहीं इस बारे भी कुछ प्रमाणित नहीं है। कराची हाईकोर्ट के आदेशों को भारत में क्यों वायरल किया गया यह भी एक सवाल है? ताज्जुब की बात तो यह है कि कराची हाईकोर्ट के आदेश बताकर जो कापी वायरल हो रही है वह भी अक्तबर 2016 की है जबकि मैसेज में जो आर्डर की तारीख लिखी है वह 5 मार्च 2018 का है।
पेरैंट्स में शुरू हुई चर्चा
इस मैसेज के बाद पेरैंट्स में चर्चा शुरू हो गई है कि स्कूलों को छुट्टियों के दिनों यानी जून व जुलाई की फीस नहीं लेनी चाहिए। अभिभावक संजीव जोशी ने कहा कि पेरैंट्स बच्चों को स्कूल में पढ़ाने की फीस अदा करते हैं लेकिन गर्मियों की छुट्टियों में अगर बच्चा स्कूल ही नहीं गया तो स्कूल किस बात की फीस लेते हैं। पेरैंट्स एसो. लुधियाना के प्रधान राजिंद्र घई ने कहा कि बेशक यह मैसेज वायरल हो रहा है या आदेश कराची हाईकोर्ट के कहे जा रहे हैं लेकिन स्कूल बताएं कि वे जून की छुट्टियों की फीस किस आधार पर वसूलते हैं।
यह लिखा है मैसेज में
वायरल मैसेज के मुताबिक अगर स्कूल ने फीस वसूली की तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। स्कूल की मान्यता भी रद्द हो सकती है। पेरैंट्स स्कूल की शिकायत पुलिस में भी कर सकते हैं। अगर किसी ने एडवांस फीस जमा करवा दी तो वापस मांग लें या फिर अगले महीने में एडजस्ट करवा दें। स्कूल फीस न दे या एडजस्ट न करे तो पुलिस में शिकायत करें। पुलिस न सुने तो सी.एम. विंडो पर शिकायत करें। मैसेज में इसके आगे जागो ग्राहक जागो लिखकर इस जानकारी को शेयर करने के लिए कहा गया है।
मैसेज बारे स्कूलों ने भी दिया अपना तर्क
मुझे नहीं पता की इस मैसेज में कितनी सच्चार्इ है लेकिन छुट्टियों में अध्यापकों व नॉन टीचिंग स्टाफ को सैलरी रूटीन में रिलीज की जाती है। छुट्टियों के इन 40 दिनों में ही स्कूल का पूरा प्रशासनिक काम चलने के अलावा मैंटेनैंस का काम होता है। बच्चों की सुविधा के लिए नया इंफ्रास्ट्रक्चर इन्हीं दिनों में लगाने को पहल दी जाती है। अगर फीस नहीं लेंगे तो स्टाफ को सैलरी कहां से देंगे।
- प्रिंसीपल नविता पुरी, के.वी.एम. स्कूल
वायरल हो रहे मैसेज बारे मुझे कोई जानकारी नहीं। लेकिन गर्मियों की छुटिटयां केवल बच्चों को होती है जबकि अध्यापकों के सैमीनार लगते रहते हैं। ऐसे में स्कूल का प्रशासनिक काम भी चलने के अलावा बोर्ड रिजल्ट छुट्टियों में आते हैं। बोर्ड कक्षाओं के स्टूडैंट्स को हर तरह की जानकारी व दस्तावेज देने के लिए स्टाफ को हाजिर रखा जाता है। अगर जून महीने की फीस नहीं लेंगे तो स्टाफ को तनख्वाह नहीं मिल सकती। स्टाफ को तनख्वाह न मिली तो वे ड्यूटी कैसे करेंगे?
- मोना सिंह, प्रिंसीपल गुरु नानक पब्लिक स्कूल।