150 रुपए महीना दो और जमकर उड़ाओ ट्रैफिक नियमों की धज्जियां

Edited By Vatika,Updated: 17 Dec, 2018 10:10 AM

traffic rules ludhiana news

नगर में टैम्पों यूनियनों के नाम पर बनी कई संस्थाएं कमर्शियल वाहनों के चालकों से हर माह वैल्फैयर के नाम पर पैसे ऐंठनें का गौरखधंधा चला रही है। यूनियन संचालक दावा करते हैं कि अगर चालक के पास उनकी यूनियन का मासिक कार्ड व स्टिकर होगा तो सड़कों पर पुलिस...

लुधियाना: नगर में टैम्पों यूनियनों के नाम पर बनी कई संस्थाएं कमर्शियल वाहनों के चालकों से हर माह वैल्फैयर के नाम पर पैसे ऐंठनें का गौरखधंधा चला रही है। यूनियन संचालक दावा करते हैं कि अगर चालक के पास उनकी यूनियन का मासिक कार्ड व स्टिकर होगा तो सड़कों पर पुलिस उन्हें कुछ नहीं कहेगी। यूनियनों द्वारा मासिक कार्ड की कीमत डेढ़ सौ रुपए रखी गई है।

डेढ़ सौ रुपए महीना किसी एक यूनियन को देकर कमर्शियल वाहनों के चालक सड़कों पर बिना कागजात, बिना टैक्स या ट्रैफिक नियमों को धत्ता बताते हुए वाहन चलाएं, लेकिन सड़कों पर चालान नहीं होगा, बल्कि स्टिकर को देखकर पुलिस कर्मी पीछे हट जाएंगे। हालांकि कुछ अधिकारियों का दावा है कि ऐसी किसी यूनियन को कोई रियायत नहीं दी जाती बल्कि बिना किसी पक्षपात के उनके भी रोजाना दर्जनों की संख्या में चालान किए जाते हैं, लेकिन नगर में दौड़ रहे कमर्शियल चाहनों में से 90 फीसदी वाहनों के आगे के शीशे पर लगे स्टिकर सारी कहानी बयां कर रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार इस समय नगर में आधा दर्जन से अधिक ऐसी यूनियनें चल रही हैं, जो कमर्शियल वाहनों के चालकों को पुलिस से बचाव का भरोसा देकर हर महीने कार्ड बेच रही है। इनमें रेत, बजरी, फैक्टरी, टैपों, छोटे ट्रक, छोटा हाथी व कारोबार की श्रेणी के अनुसार अलग-अलग यूनियनें सक्रिय हैं व हर वाहन के लिए महीनावार अलग भाव नियमित हैं।

अधिकारियों की अपनी मजबूरी
वहीं सारे मामले को करीब से देखने पर पता चला कि कार्ड बेचने वाली यूनियनों को कुछ रियायत देने में सरकारी अधिकारियों की अपनी मजबूरी छिपी हुई है। चुनाव प्रक्रिया करवाने, दंगे-फसाद की स्थिति में, किसी प्राकृतिक आपदा के समय, स्टेट गैस्ट आने पर, अधिकारियों का घरेलू व ऑफिस का सामान एक शहर से दूसरीे शहर ले जाने, अन्य राज्यों में आपदा की घड़ी में राहत पहुंचाने आदि की स्थिति में यूनियन वाले ही अधिकारियों को एक बार में ही सस्ते दाम पर या फिर तेल खर्च पर ही वाहन मुहैया करवा देते हैं। इसके साथ ही दूसरी तरफ यूनियन के नुमाइंदों का तर्क होता है कि चालक से 100 या 200 रुपए लेकर इस पैसे को चालकों की वैल्फेयर के काम में लगाया जाता है, लेकिन वाहनों के आगे स्टिकर क्यों लगाए जाते हैं, इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

खटारा गाडिय़ों तक को दिए कार्ड और स्टिकर
यूनियनों का हाल यह है कि उनके नुमाइंदों ने खटारा व सड़क पर न चल सकने वाली गाडिय़ों के चालकों को भी मासिक कार्ड और स्टिकर जारी कर रखे हैं। स्टिकर मिलते ही उसे खटारा गाड़ी के आगे चिपकाकर ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए चालकों को आम ही देखा जा सकता है।

सी.एम. तक पहुंचाएंगे मामला
जस्सल गदर लहर संस्था के राष्ट्रीय प्रधान वजीर सिंह जस्सल का कहना है कि उन्होंनें कुछ वर्ष पूर्व कई विभागों को कार्ड बेचने वाली यूनियनों की शिकायत भेजी थी, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब सारा मामला रा४य के सी.एम. कैप्टन अमरेन्द्र सिंह तक पहुंचाकर मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाने की मांग की जाएगी, ताकि गरीब चालकों को लूट से बचाया जा सके।

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