Edited By Vatika,Updated: 18 Feb, 2019 02:46 PM
पंजाब के अतिरिक्त मुख्य सचिव सतीश चंद्रा ने स्वाइन फ्लू को महामारी घोषित करके नोटीफिकेशन जारी की है और नोटीफिकेशन की अवहेलना करने वाले अस्पतालों पर भारतीय दंड संहिता की धारा-188 के तहत कार्रवाई करने के प्रावधान जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि हर...
लुधियाना(सहगल): पंजाब के अतिरिक्त मुख्य सचिव सतीश चंद्रा ने स्वाइन फ्लू को महामारी घोषित करके नोटीफिकेशन जारी की है और नोटीफिकेशन की अवहेलना करने वाले अस्पतालों पर भारतीय दंड संहिता की धारा-188 के तहत कार्रवाई करने के प्रावधान जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि हर अस्पताल में स्वाइन फ्लू कॉर्नर बनाए जाएं ताकि स्वाइन फ्लू के संदिग्ध मामलों की स्क्रीनिंग की जा सके।
शिकायतों का निपटारा करने के लिए कमेटियां गठित
इस मामले में शिकायतों का निपटारा करने के लिए जिला स्तर पर सिविल सर्जन की अध्यक्षता में कमेटियों का गठन किया गया है, जिसमें एक मैडीकल स्पैशलिस्ट, शिशु रोग विशेषज्ञ, मलेरिया अफसर व एनिथिस्ट शामिल होंगे। रा’य स्तर पर स्वास्थ्य निदेशक की अध्यक्षता में बनी कमेटी में एक डिप्टी डायरैक्टर, एक सहायक डायरैक्टर व स्टेट प्रोग्राम अफसर शामिल होंगे। शिकायतों के जवाब से संतुष्ट न होने पर उसे एपिडोमिक डिजीज एक्ट की धारा-& व सैक्शन 16 के तहत कार्रवाई के लिए सम्बोधित जिले के सिविल सर्जन के पास भेज दिया जाएगा।
अस्पतालों को जारी निर्देश
-स्वाइन फ्लू के पॉजीटिव मामलों की सूचना सेहत विभाग को देना लाजिमी होगा।
- हर अस्पताल को स्वाइन फ्लू के मरीजों की कैटागरी के अनुरूप जांच व उपचार के निर्धारित नियम अपनाने होंगे।
-स्वाइन फ्लू के लक्षणों वाले मरीज जो कैटागरी बी के अंतर्गत आते हैं, को भारत सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस के अनुसार उपचार देना होगा।
-जिला व राज्य के नोडल अफसरों के फोन नम्बर ई-मेल विभाग की वैबसाइट पर डालना अनिवार्य होगा।
-स्वाइन फ्लू के संदिग्ध व पॉजीटिव मरीजों को दूसरे मरीजों से अलग आईसोलेशन में रखना अनिवार्य होगा।
-किसी व्यक्ति, अस्पताल अथवा संस्थान द्वारा नोटीफिकेशन की अवहेलना करने पर संबंधित जिले के सिविल सर्जन नोटिस जारी करेंगे।
अब निजी लैब भी कर सकेगी स्वाइन फ्लू की जांच
राज्य सरकार ने निजी लैब को स्वाइन फ्लू की जांच के लिए 21 फरवरी तक सरकार के पास आवेदन करने को कहा है। यह आवेदन साधारण तौर पर सिविल सर्जन के माध्यम से किया जा सकता है। मापदंडों का पालन करते हुए कैटागरी ए, बी व सी के मरीजों की जांच करना अनिवार्य होगा।