विद्यार्थी से छेड़छाड़ अध्यापक को पड़ेगी भारी

Edited By Vatika,Updated: 09 Oct, 2018 01:26 PM

student molestation

स्कूलों में पढ़ा रहे अध्यापकों व स्टाफ ने अब अगर स्कूल में किसी बच्चे के साथ हो रही यौन शोषण व छेड़छाड़ की घटनाओं को छुपाया तो उसका खमियाजा उन्हें भुगतना पड़ेगा, क्योंकि स्टेट कमिशन फॉर प्रोटैक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स ने स्कूलों द्वारा ऐसे मामलों में...

लुधियाना (विक्की): स्कूलों में पढ़ा रहे अध्यापकों व स्टाफ ने अब अगर स्कूल में किसी बच्चे के साथ हो रही यौन शोषण व छेड़छाड़ की घटनाओं को छुपाया तो उसका खमियाजा उन्हें भुगतना पड़ेगा, क्योंकि स्टेट कमिशन फॉर प्रोटैक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स ने स्कूलों द्वारा ऐसे मामलों में बरती जा रही लापरवाहियों को गंभीरता से लिया है।

यही नहीं स्कूलों में सामने आ रहे ऐसे केसों को संजीदगी से लेते हुए स्कूल पिं्रसीपलों को बाकायदा पत्र देकर चेतावनी दी है। कमीशन का मानना है कि स्कूली बच्चों के साथ यौन शोषण की बढ़ रही घटनाओं बारे कमीशन द्वारा खुद नोटिस लिए जाने व शिकायतों पर कार्रवाई दौरान यह बात सामने आई है कि संबंधित स्कूल के स्टाफ द्वारा ऐसी घटनाओं की सूचना पुलिस को सही समय पर न देने के कारण कार्रवाई में देरी हो जाती है।अब अगर किसी भी स्कूल का अध्यापक और स्टाफ किसी बच्चे के साथ हुई ऐसी घटना को छुपाता है तो उसके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई हो सकती है। स्टेट कमिशन फॉर प्रोटैैक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स के सैक्रेटरी कविता सिंह आई.ए.एस. द्वारा शिक्षा विभाग पंजाब के सैक्रेटरी कृष्ण कुमार को भी बाकायदा एक पत्र लिखा गया है।  

सही समय पर शिकायत न मिलने से कार्रवाई में होती है देरी
कमिशन द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि किसी भी स्कूल में बच्चों के साथ हुई यौन शोषण घटना संबंधी प्रोटैक्शन ऑफ चिल्ड्रन फॉर्म सैक्सुअल अफेंसिज (पोकसो) एक्ट 2012 की धारा-19 के अधीन तुरंत पुलिस को सूचना देनी होती है। पत्र में कहा गया है कि राज्य के सभी स्कूलों के टीचिंग व नॉन-टीचिंग स्टाफ को निर्देश जारी किए जाएं ताकि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उचित कदम उठाते हुए बच्चों को भी इस बारे जागरूक किया जा सके।

क्या करें अध्यापक व स्टाफ
पत्र में सुझाव दिया गया है कि अगर कोई ब‘चा ऐसा मामला किसी भी स्कूल अध्यापक व स्टाफ के पास लेकर आता है और स्कूल स्टाफ को ऐसे किसी भी मामले बारे पता चलता है तो वह उस बारे तुरंत अपने उच्चाधिकारियों को सूचित करे। ऐसा करने से ब‘चों में विश्वास व सुरक्षा की भावना उत्पन्न होगी। पत्र में कहा गया है कि अगर स्कूल में बच्चों से यौन शोषण की किसी घटना का पता चलने पर पुलिस को सूचित नहीं करते हैं तो ऐसे अधिकारी, अध्यापक व स्टाफ भी पोकसो एक्ट की धारा-21 के तहत सजा के भागीदार होंगे।

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