बिना सिक्योरिटी गार्ड वाले ATM लुटेरों के सॉफ्ट टारगेट

Edited By Vatika,Updated: 20 Aug, 2018 12:59 PM

soft targets of atm robbers

क्राइम की दुनिया का ग्राफ कभी कम नहीं हो रहा है। पुलिस चाहे जितने भी दावे करे लेकिन अपराधी नए-नए रास्ते तलाश कर लूटपाट व अन्य जघन्य अपराधों को अंजाम देने में तब सफल हो जाते हैं।

लुधियाना(मोहिनी): क्राइम की दुनिया का ग्राफ कभी कम नहीं हो रहा है। पुलिस चाहे जितने भी दावे करे लेकिन अपराधी नए-नए रास्ते तलाश कर लूटपाट व अन्य जघन्य अपराधों को अंजाम देने में तब सफल हो जाते हैं।

ऐसा ही कुछ हाल स्मार्ट सिटी लुधियाना का है, जहां पुलिस बल, निजी सुरक्षा गार्ड व सी.सी.टी.वी. कैमरे भी लुटेरों के कदमों की आहट नहीं पहचान पाते हैं। यहां कहना उचित होगा कि जिला पुलिस कमिश्नर के सख्त आदेशों के बावजूद भी महानगर में स्थापित कई बैंक शाखाओं व ए.टी.एम्स. की सुरक्षा राम भरोसे है और ए.टी.एम. की सुरक्षा के नाम पर कोई भी पुख्ता सुविधा नहीं है। यहां तक की ए.टी.एम. ही नहीं, बल्कि बैंक शाखाओं में निजी गार्ड तक तैनात नहीं किए गए हैं। पुलिस प्रशासन का फर्ज बनता है कि वह बैंकों के प्रबंधकों से इस मामले में खुद जानकारी हासिल करे कि बैंक शाखाओं व ए.टी.एम्स. में सिक्योरिटी गार्ड तैनात क्यों नहीं किए गए हैं?

महानगर के विभिन्न ए.टी.एम्स. पर चोरी की घटनाओं ने साबित कर दिया है कि जिला पुलिस दिन के उजाले में वाहन चालकों के चालान काटने में जितनी सख्त है, वहीं रात का अंधेरा होते ही लुटेरों पर लगाम कसने में अपनी ढीली कार्यप्रणाली का परिचय दे रही है। पंजाब केसरी टीम ने कई बैंक शाखाओं के ए.टी.एम्स. की सुरक्षा-व्यवस्था की जांच की तो ज्यादातर ए.टी.एम्स. पर सुरक्षा कर्मी नदारद थे और वहां पर कोई भी पुलिस कर्मी या चैकिंग तक नहीं थी। हालांकि नियमों के अनुसार ए.टी.एम. पर सुरक्षा कर्मी तैनात न होने को लेकर पुलिस ने बैंक प्रबंधकों को गाइडलाइन दे रखी है कि रात्रि 11 से सुबह 6 बजे तक ए.टी.एम. बंद रखा जाए लेकिन बैंकों में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण ए.टी.एम. खुले ही रहते हैं। ऐसा ही मामला शिवपुरी पी.एन.बी. बैंक शाखा में हुआ था, जहां चोरों ने गैस कटर से मेन सेफ को काटने की कोशिश की थी लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं लगा था और आज तक वहां पर कोई सुरक्षा गार्ड तैनात नहीं है। अगर ऐसे ही बिना सुरक्षा कर्मियों के बैंक खुले रहे तो शरारती तत्व किसी को भी अपना निशाना बना सकते हैं। सूत्रों के अनुसार सिर्फ हाई रिस्क बैंक ब्रांचों को छोड़कर 60 प्रतिशत बैंक ब्रांचों में सिक्योरिटी गार्ड रखने की अभी तक कोई पॉलिसी तक नहीं बनाई गई है।

बैंक प्रबंधन व सिक्योरिटी गार्ड एजैंसियां नहीं हैं गंभीर
ज्यादातर वारदातों में पुलिस लुटेरों तक नहीं पहुंच पाई है। इसके बावजूद भी जिले में ए.टी.एम. की सुरक्षा के प्रति न तो संबंधित बैंक प्रबंधन चिंतित दिखता है और न ही सिक्योरिटी गार्ड एजैंसियां गंभीर दिख रही हैं। बैंक अधिकारी शायद इसलिए निश्चि हैं कि ए.टी.एम. में कैश का बीमा होता है लेकिन ए.टी.एम. से नकदी निकलवाते वक्त ग्राहक से कोई वारदात हो जाए तो इसकी जिम्मेदारी किसकी है?

सरकार ने नहीं उठाया कोई कदम
गौरतलब है कि एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार जनता को कैश की बजाय डिजीटल पेमैंट ज्यादा करने की सलाह दे रही है, वहीं अपराध की घटनाओं में भी खासा इजाफा हो रहा है। इस तरह की वारदातों को रोकने के लिए सरकार द्वारा अभी तक कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया है।

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