Edited By Vatika,Updated: 23 May, 2018 01:24 PM
पंजाब सरकार द्वारा 2013 में एक नोटिफिकेशन जारी कर ‘सेफ स्कूल वाहन’ पॉलिसी बनाई गई थी, जिसमें बच्चों को स्कूल में आने-जाने के लिए प्रयोग की जाने वाली बसों के मामले में ट्रांसपोर्ट विभाग, पुलिस व सिविल प्रशासन के साथ स्कूलों की मैनेजमैंट पर दायित्व...
खन्ना (शाही): पंजाब सरकार द्वारा 2013 में एक नोटिफिकेशन जारी कर ‘सेफ स्कूल वाहन’ पॉलिसी बनाई गई थी, जिसमें बच्चों को स्कूल में आने-जाने के लिए प्रयोग की जाने वाली बसों के मामले में ट्रांसपोर्ट विभाग, पुलिस व सिविल प्रशासन के साथ स्कूलों की मैनेजमैंट पर दायित्व सौंपे गए थे।
पंजाब सरकार के तत्कालीन मुख्य सचिव एस.एस. चन्नी द्वारा आदेश जारी कर बनाए गए ‘सेफ स्कूल वाहन’ नियम को पिछले 5 साल से अधिकांश स्कूल प्रबंधन लागू नहीं कर रहे थे क्योंकि अभिभावकों से स्कूल बस की फीस सीधे बस ड्राइवर लेते थे एवं एक तो बस स्कूल के नाम नहीं है दूसरा अभिभावकों ने अपने तौर पर बस का प्रबंध किया हुआ है, इसलिए बस प्रबंधन पर स्कूल मैनेजमैंट का कोई संबंध नहीं है। ऐसी बसें जो स्कूल के नाम नहीं हैं, के सम्बन्ध में ‘सेफ स्कूल वाहन’ नियम में भी कोई उल्लेख नहीं था जिससे स्कूल प्रबंधन इन नियमों को लागू करने के लिए बचे रहते थे। इस पर अब पंजाब सरकार के ट्रांसपार्ट विभाग द्वारा नए आदेश जारी कर सभी स्कूली बसों के लिए परमिट जारी करने के लिए अनिवार्य कर दिया कि यह परमिट तभी मिलेगा अगर स्कूल के प्रिंसीपल द्वारा बस को उस स्कूल में बच्चे लाने और ले जाने के लिए अधिकृत किया हो। एक अत्यंत महत्वपूर्ण फैसले के मुताबिक स्कूली बसों की रजिस्ट्रेशन कापी (अब स्मार्ट कार्ड ) पर स्कूल बस के मालिक के साथ अधिकृत स्कूल का नाम भी अंकित करना जरूरी है।
इस फैसले से अब स्कूली बसें स्कूल प्रबंधन के कंट्रोल में होंगी
ट्रांसपोर्ट विभाग के इस फैसले से सभी स्कूली बसें स्कूल प्रबंधन के कंट्रोल में आ गई हैं, भले ही स्कूल बस स्कूल के नाम हो या निजी बस हो। स्कूल बस का रजिस्ट्रेशन रिकार्ड में स्कूल का नाम चढ़ते ही सभी बस ड्राइवरों द्वारा अपने तौर से अभिभावकों से स्कूल बस फीस लेनी बंद कर दी है एवं बच्चों की स्कूल फीस बुक में ही मासिक स्कूल बस फीस लेना शुरू कर दिया है।
स्कूल ने ‘सेफ स्कूल वाहन’ नियम लागू कर दिए हैं : स्कूल मैनेजर
खन्ना के लाला सरकारू मल सर्वहितकारी विद्या मंदिर स्कूल के मैनेजर परमजीत सिंह ने बताया कि अब जबकि स्कूल बस के परमिट जारी करने के लिए स्कूल ने बसों को अधिकृत कर दिया तो ‘सेफ स्कूल वाहन’ नियम उनके स्कूल पर लागू हो गए एवं स्कूल ने सभी स्कूली बसों की फीस बुक अमैंड कर उसमें स्कूल बस फीस जोड़ दी है एवं बस मालिकों को मासिक रकम देने का करार कर लिया है।
क्या जिम्मेदारी है स्कूल प्रबंधन पर
-स्कूल प्रबंधन यकीनी बनाएंगे कि स्कूल बस का रंग पीला हो।
-अगर बस स्कूल की है तो बस के आगे-पीछे ‘स्कूल बस’ एवं कोई निजी बस स्कूल के बच्चे लाती ले जाती है तो ‘ऑन स्कूल ड्यूटी’ लिखा हुआ हो।
-बस में फस्र्ट एड बाक्स व अग्निशमन यंत्र होना चाहिए ।
-बसों की सभी खिड़कियों पर होरीजोंटल लोहे की ग्रिलें लगी होनी चाहिएं।
-बसों पर स्कूल का नाम व फोन नंबर लिखा हुआ हो।
-बसों के दरवाजे अच्छी तरह से बंद होने चाहिएं।
-बस के ड्राइवर के पास कम से कम 5 साल का बस चलाने का अनुभव हो।
-उस ड्राइवर को बस चलाने नहीं दी जाएगी जिसका कम से कम 2 बार रैड लाइन जंप, लेन तोडऩे, किसी अनाधिकृत व्यक्ति को बस चलाने देने जैसे गंभीर नियम तोडऩे का चालान हुआ हो।
-बस के ड्राइवर व कंडक्टर ने विभाग द्वारा अधिकृत वर्दी पहनी हो एवं वर्दी पर नेम प्लेट लगी होनी चाहिए।
-बस में मंजूर की गई कैपेसिटी से ज्यादा बच्चे न बैठाए जाएं।
-साल में 2 बार ड्राइवरों व कंडक्टरों को फस्र्ट एड सहायता देने एवं अग्निशमन यंत्रों को चलाने की ट्रेनिंग दिलाई जाएगी।
-स्कूल में ट्रैफिक वार्डन की नियुक्ति की जाएगी।
-स्कूल की ओर से बस में एक अटैंडैंट की नियुक्ति होगी। अगर बस में लड़कियां आती-जाती हैं तो महिला अटैंडैंट की नियुक्ति होनी चाहिए।
-ड्राइवर ने किसी जुर्म में सजा न काटी हो।
-स्कूल के आगे लगती सड़क पर जैबरा क्रासिंग का प्रबंध करना होगा।
-स्कूल की इमारत के साथ लगती सड़क पर अधिकतम 25 किलोमीटर स्पीड व गेट के आगे अधिकतम 10 किलोमीटर स्पीड से वाहन चलें।
-बस में सिगरेट पीने, तंबाकू, पान-मसाला व शराब के सेवन पर पाबंदी यकीनी बनानी होगी।