Edited By Vatika,Updated: 26 Mar, 2019 01:55 PM
2 दिन पहले लाडोवाल के गांव बग्गा कलां से हत्या कर फैंके गए दिव्यांग गलास डैकोरेटर जरी लाल के शव के मामले को पुलिस ने सुलझा लिया है। हत्या का मास्टरमाइंड थाना मॉडल टाऊन में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाने आया मृतक के मामा का लड़का ही निकला जिसने...
लुधियाना(ऋषि): 2 दिन पहले लाडोवाल के गांव बग्गा कलां से हत्या कर फैंके गए दिव्यांग गलास डैकोरेटर जरी लाल के शव के मामले को पुलिस ने सुलझा लिया है। हत्या का मास्टरमाइंड थाना मॉडल टाऊन में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाने आया मृतक के मामा का लड़का ही निकला जिसने अपने अन्य भाइयों और दोस्तों के साथ मिलकर उसकी हत्या करने का प्लान बनाया था। उपरोक्त जानकारी डी.सी.पी. क्राइम गगन अजीत सिंह, ए.डी.सी.पी.-3 गुरप्रीत सिंह पुरेवाल और ए.सी.पी. सिविल लाइन मनदीप सिंह ने सोमवार को पत्रकार सम्मेलन दौरान दी।उन्होंने बताया कि पकड़े गए मास्टरमाइंड की पहचान कुंदन कुमार, जबकि फरार आरोपियों की पहचान विजय कुमार, राहुल और प्रदीप के रूप में हुई है। सभी एक साथ डा. अम्बेदकर नगर इलाके में किराए के कमरे में रहते थे।
मृतक के पास ही लेबर का काम करते थे हत्यारोपी
पुलिस के अनुसार अब तक की जांच में सामने आया है कि जरी लाल ठेकेदार था और उसके पास काफी काम था, जबकि अन्य सभी आरोपी उसके पास लेबर का काम करते थे। आरोपी खुद बड़े ठेकेदार बनना चाहते थे जिसके लिए उसे रास्ते से हटाने का मन बना लिया जिसके बाद सोची-समझी साजिश के साथ उसे अपने साथ उक्त आरोपी काम पर ले गए और हत्या कर दी। पुलिस के अनुसार पकड़े गए आरोपी को अदालत में पेश कर रिमांड दौरान गहन पूछताछ की जाएगी।
हत्या कब और कहां की, रहस्य बरकरार
पुलिस के अनुसार जरी लाल की हत्या कब और कैसे की गई, इस बात का रहस्य अभी बरकरार है। फरार आरोपियों के पकड़े जाने के बाद ही इस बात का पता चल पाएगा। पुलिस के अनुसार मास्टरमाइंड ने उन्हें सिर्फ इतना बताया है कि हत्या करने के बाद 11 मार्च को देर रात उक्त आरोपी वापस घर लौटे थे और उसे ’यादा जानकारी नहीं दी थी। पुलिस के अनुसार जांच शुरू करने पर इस बात का भी खुलासा हुआ कि कुंदन कुमार की 11 मार्च को जरी लाल से फोन पर बात नहीं हुई थी और 2 दिनों बाद पुलिस स्टेशन आकर गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाने की बात भी पुलिस को हजम नहीं हो रही थी।
बिहार में स्थित प्रापर्टी का भी था झगड़ा
पुलिस के अनुसार जरी लाल ने एक धार्मिक स्थल का ठेका लिया हुआ था, जहां पर राहुल काम कर रहा था और खुद को ठेकेदार बताने लग पड़ा। इस बात को लेकर जरी लाल से 2 महीने पहले झगड़ा भी हुआ था, जबकि कुछ समय पहले साथ काम करने वाले भाइयों के साथ बिहार स्थित गांव में प्रापर्टी को लेकर भी विवाद हुआ था, इन्हीं दोनों बातों की रंजिश के चलते उसकी हत्या कर दी गई।
माडल टाऊन पुलिस की लापरवाही भी आई सामने
इस हत्या के मामले को उच्चाधिकारियों की तरफ से सुलझाने के बाद चाहे थाना मॉडल टाऊन की पुलिस अपनी पीठ थपथपवा रही है लेकिन माडल टाऊन पुलिस की लापरवाही भी सामने आई है। अगर 13 मार्च को 2 दिनों बाद गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाने आए भाई से गहनता से पूछताछ की जाती तो शायद पुलिस को हत्या के 12 दिनों बाद शव बरामद न होता।