मंत्री आशु के विरोध के चलते बंद हुई मैकेनिकल स्वीपिंग के नाम पर हो रही पैसे की बर्बादी

Edited By Vatika,Updated: 08 Jan, 2019 01:25 PM

mechanical sweeping

नगर निगम में मैकेनिकल स्वीपिंग के नाम पर हो रही पैसे की बर्बादी कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु के विरोध के चलते बंद हो गई है। यहां बताना उचित होगा कि मेन सड़कों पर सफाई के दौरान मुलाजिमों के हादसे का शिकार होने या ट्रैफिक जाम की समस्या का हवाला देते...

लुधियाना(हितेश): नगर निगम में मैकेनिकल स्वीपिंग के नाम पर हो रही पैसे की बर्बादी कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु के विरोध के चलते बंद हो गई है। यहां बताना उचित होगा कि मेन सड़कों पर सफाई के दौरान मुलाजिमों के हादसे का शिकार होने या ट्रैफिक जाम की समस्या का हवाला देते हुए नगर निगम द्वारा 2 साल से रात के समय मैकेनिकल स्वीपिंग करवाई जा रही थी। 

इस पर हर महीने करीब एक करोड़ का खर्च हो रहा था, लेकिन सड़कों पर सफाई के मुकाबले किनारों की मिट्टी पहले की तरह ही बिखरी रहती थी, जिसे छिपाने के लिए पानी का छिड़काव किया जाता रहा है। इसे लेकर पहले दिन से विरोध हो रहा था कि जितने पैसे मैकेनिकल स्वीपिंग पर खर्च किया जा रहे है, उतने पैसे से बड़ी संख्या में क‘चे व रैगुलर सफाई कर्मी रखे जा सकते हैं, जिनका काम मैकेनिकल स्वीपिंग से बेहतर होता है। यह हवाला देते हुए मंत्री आशु द्वारा जनरल हाऊस की मीटिंग में प्रस्ताव पेश किया गया, जिस दौरान पैसों की बर्बादी रोकने के लिए मैकेनिकल स्वीपिंग बंद करने का फैसला किया गया है। इस प्रस्ताव पर लोकल बॉडीज विभाग की मंजूरी मिल चुकी है, जिसके बाद नगर निगम द्वारा कंपनी को मैकेनिकल स्वीपिंग बंद करने के लिए लेटर जारी कर दिया गया है। 

अपनी मशीनरी खरीदने के प्रस्ताव पर नहीं हुआ अमल 
जब निगम द्वारा कंपनी के जरिए मैकेनिकल स्वीपिंग करवाने की योजना बनाई गई तो यह मुद्दा उठा कि जितने पैसे आऊट सोर्सिंग के तहत एक महीने के लिए खर्च किए जा रहे हैं, उससे अपनी नई मशीन की खरीद की जा सकती है, उसके बाद ऑपरेशन एंड मैंटिनैंस पर नाममात्र खर्च आएगा। इस बात पर मंत्री सिद्धू द्वारा भी हामी भरी गई, लेकिन अब तक उस प्रस्ताव पर अमल नहीं हो पाया है।

विजीलैंस सैल द्वारा की गई है टैंडर प्रक्रिया की जांच
नगर निगम द्वारा मैकेनिकल स्वीपिंग का काम प्राइवेट हाथों में देने के लिए जो टैंडर लगाया गया, उसमें कई बार एक ही कंपनी ने हिस्सा लिया, जिससे यह सवाल खड़े हुए कि क्या टैंडर के लिए ऐसी शर्तें लगाई जा रही हैं, जो एक ही कंपनी पूरी करती है, इसे लेकर लोकल बॉडीज विभाग के विजिलैंस सेल द्वारा जांच भी की गई, जिसमें टैंडर लगाने से पहले एस्टीमैट बनाने व फिर वर्क ऑर्डर जारी करने की प्रक्रिया में भी कई खामियां सामने आ चुकी हंै, जिसे लेकर नगर निगम अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।

 

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