PPCB साफ पानी की गारंटी ले तो मिल सकती है बुड्ढे नाले में डिस्चार्ज की छूट

Edited By Vatika,Updated: 29 Jun, 2018 01:56 PM

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अगर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा ट्रीटमैंट की गारंटी दी जाए तो कुछ डाइंग यूनिटों को बुड्ढे नाले में सीधा पानी गिराने की छूट मिल सकती है। यह योजना सीवरेज व ट्रीटमैंट प्लांट दोनों पर पानी का ओवरलोड होने की समस्या हल करने के उद्देश्य से बनाई जा रही है।

लुधियाना (हितेश): अगर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा ट्रीटमैंट की गारंटी दी जाए तो कुछ डाइंग यूनिटों को बुड्ढे नाले में सीधा पानी गिराने की छूट मिल सकती है। यह योजना सीवरेज व ट्रीटमैंट प्लांट दोनों पर पानी का ओवरलोड होने की समस्या हल करने के उद्देश्य से बनाई जा रही है।

यहां बताना उचित होगा कि ब्यास दरिया में कैमिकल युक्त पानी छोड़े जाने की वजह से मछलियां मरने के बाद सरकार द्वारा बुड्ढे नाले के प्रदूषण की समस्या को हल करने के प्रति जो गम्भीरता दिखाई जा रही है उसके तहत चीफ  मिनिस्टर के टैक्नीकल एडवाइजर व लोकल बॉडीज विभाग के सैक्रेटरी की अगुवाई वाली टीम द्वारा बुड्ढे नाले का दौरा किया जा चुका है।इस दौरान यह बात सामने आई कि नगर निगम के अलावा कुछ डाइंग यूनिट भी सीधा बुड्ढे नाले में पानी गिरा रहे हैं जिसे लेकर पर्यावरण मंत्री ओ.पी. सोनी द्वारा लुधियाना विजिट के दौरान डाइंग यूनिट को ट्रीटमैंट के बिना पानी को सीवरेज या नाले में डालना बंद करने के लिए 2 माह की मोहल्लत दी है। उधर, पी.पी.सी.बी. द्वारा चैकिंग करने के बाद काफी डाइंग यूनिटों ने बुड्ढे नाले में पानी गिराना बंद कर दिया है जिससे सीवरेज व ट्रीटमैंट प्लांट पर पानी का लोड एकदम बढ़ गया है, जिससे साथ लगते इलाके में पानी की निकासी की समस्या आ रही है। इसी बीच बुड्ढे नाले को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट को अपग्रेड करने की योजना बना रही है। कम्पनी ने निगम को सुझाव दिया है कि अगर पी.पी.सी.बी. की गारंटी मिल जाए तो साथ लगती डाइंग यूनिटों को बुड्ढे नाले में पानी डालने की मंजूरी दी जा सकती है।

यह है पानी ट्रीट करने के नियम
डाइंग यूनिटों को अपना कैमिकल युक्त पानी को अंदर लगे ट्रीटमैंट प्लांट से साफ  करने के बाद ही सीवरेज में डालने की मंजूरी मिली है। इसके अलावा डाइंग को अपने अंदर से निकलने वाले कैमिकल युक्त पानी को सीवरेज लाइन में डालने की जगह जीरो लिक्वेड डिस्चार्ज सिस्टम अपनाने को कहा गया है।

क्या है हालात
इस समय बहुत सारे डाइंग यूनिटों में तो ट्रीटमैंट प्लांट लगे ही नहीं हैं और जिनके अंदर प्लांट लगे हुए हैं वे उनको चलाकर पानी साफ  करने की जगह सीवरेज या बुड्ढे नाले में डाला जा रहा है। जिन डाइंगों पर कार्रवाई करने की बजाय पी.पी.सी.बी. द्वारा लम्बे समय से सी.ई.टी.पी. लगने के नाम पर छूट दी जा रही है।

यह आ रही है समस्या
बुड्ढे नाले में डाइंग यूनिटों के अलावा निगम द्वारा भी बिना ट्रीटमैंट के पानी डाला जा रहा है, जिसमें नगर निगम के सीवरेज के अलावा ट्रीटमैंट प्लांट का ओवरफ्लो पानी भी शामिल है। जो पानी बुड्ढे नाले के साथ लगते इलाके के अलावा सतलुज दरिया के रास्ते मालवा व राजस्थान तक कैंसर की वजह बन रहा है।

तो फिर ट्रीटमैंट प्लांट को अपग्रेड किए बिना भी चल सकता है काम
अगर डाइंग यूनिट को साफ  पानी होने की गारंटी के साथ बुड्ढे नाले में डिस्चार्ज करने की छूट मिल जाती है तो फिर सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट को अपग्रेड किए बिना भी काम चल सकता है। जब भी कभी बुड्ढे नाले के प्रदूषण की बात आती है तो निगम द्वारा ट्रीटमैंट प्लांट की क्षमता काफी कम होने के कारण सीवरेज का पानी सीधा डालने की दलील दी जाती है। इसके अलावा प्लांट पर पहुंच रहे डाइंग के कैमिकल युक्त पानी को ट्रीटमैंट के बाद भी बुड्ढे नाले में डालने से प्रदूषण कम नहीं हो रहा है। क्योंकि यह सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट डोमैस्टिक डिजाइन के हैं। इसके मद्देनजर एस.टी.पी. की कैपेसिटी व टैक्नोलॉजी अपग्रेड करने की योजना काफी देर से बनी हुई है लेकिन फंड की कमी के चलते उस पर अमल नहीं हो पाया है। अब अगर डाइंग यूनिटों का पानी साफ  करके सीधा बुड्ढे नाले में डाल दिया गया तो प्लांट पर लोड तो कम होगा ही कैमिकल युक्त पानी न पहुंचने से पुरानी टैक्नोलॉजी के साथ काम चल सकता है।

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