Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Mar, 2018 10:36 AM
नगर निगम चुनाव के नतीजे घोषित हुए 15 दिन से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक न तो नए चुने गए पार्षदों को शपथ दिलाई गई और न ही मेयर पद के नाम का फैसला हो पाया है। हालांकि कांग्रेस के पार्षदों के अलावा विधायकों ने मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व...
लुधियाना (हितेश): नगर निगम चुनाव के नतीजे घोषित हुए 15 दिन से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक न तो नए चुने गए पार्षदों को शपथ दिलाई गई और न ही मेयर पद के नाम का फैसला हो पाया है। हालांकि कांग्रेस के पार्षदों के अलावा विधायकों ने मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर सहित एफ .एंड सी.सी. मैंबर्स बनाने के अधिकार काफी दिन पहले ही कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को दे दिए हैं लेकिन फिर भी मेयर के नाम का फैसला कांग्रेस की रिवायत के मुताबिक दिल्ली दरबार में ही होगा। इसके लिए 16 मार्च को मीटिंग बुलाए जाने की सूचना है, क्योंकि उस दिन वहां 3 दिन का अधिवेशन शुरू होने जा रहा है।इसमें कैप्टन के अलावा पंजाब कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़, इंचार्ज आशा कुमारी व हरीश चौधरी, एम.पी. रवनीत बिट्टू के शामिल होने की संभावना है। इस मीटिंग से पहले जहां मेयर बनने के चाह्वानों ने स्थानीय स्तर से लेकर चंडीगढ़ से होते हुए दिल्ली तक बैठे अपने सियासी आकाओं के दरबार में हाजिरी लगाने का सिलसिला एकाएक तेज कर दिया है वहीं, सरकार ने मेयर पद के दावेदारों के बारे में खुफिया रिपोर्टें मंगवा ली है, उसके आधार पर ही फैसला होने की बात कही जा रही है।
अटैची लेकर घूम रहे हैं कई दावेदार
कांग्रेस की तरफ से भले ही यह कहा जा रहा है कि मेयर के नाम का फैसला वरिष्ठता व अनुभव के आधार पर पार्षदों की सलाह के साथ किया जाएगा लेकिन इस बारे में कोई फैसला आने से पहले ही भ्रष्टाचार की बू आने लगी है। इसके तहत चर्चा है कि कुछ दावेदार तो अटैची लेकर घूम रहे हैं जिनके समर्थक तो किस्त भी सही जगह पर पहुंचने के दावे कर रहे हैं। इसमें चंडीगढ़ से लेकर दिल्ली तक के कई नेताओं का नाम चल रहा है।
किसी भी पद पर सहमत होने को तैयार हैं कई दावेदार
नगर निगम में मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर के अलावा एफ . एंड सी.सी. के मैंबर्स को मिलाकर कुल 5 पद बनते हैं लेकिन दावेदारों की संख्या बहुत ’यादा है। इस दौर में यह हालात पैदा हो गए हैं कि कई दावेदार पब्लिक में तो वरिष्ठता के मुताबिक पहले & के अलावा कोई पद स्वीकार न करने की ताल ठोक रहे हैं जबकि सीनियर नेताओं के पास जाकर कोई भी पद देने की गुहार लगा रहे हैं।