Edited By Vatika,Updated: 21 Nov, 2018 01:20 PM
लुधियाना में मंजूरशुदा साइटों पर विज्ञापन लगाने के अधिकार देने के लिए तैयार किया गया टैंडर रिजर्व प्राइस कम करने के बावजूद फेल हो गया है, जिसे सीधे तौर पर लोकल बॉडीज मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को झटके के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि इस टैंडर को...
लुधियाना(हितेश): लुधियाना में मंजूरशुदा साइटों पर विज्ञापन लगाने के अधिकार देने के लिए तैयार किया गया टैंडर रिजर्व प्राइस कम करने के बावजूद फेल हो गया है, जिसे सीधे तौर पर लोकल बॉडीज मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को झटके के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि इस टैंडर को सिद्धू के ड्रीम प्रोजैक्ट के रूप में जाना जाता है।
सिद्धू द्वारा मंत्री बनने के बाद से ही अकाली दल व भाजपा सरकार पर आरोप लगाया जा रहा है कि उनके कार्यकाल में विज्ञापन टैंडर व साइटें लगाने की प्रक्रिया में नगर निगम से ज्यादा फायदा नेताओं व कंपनियों को हुआ है। इस गौरखधंधे पर रोक लगाने के लिए सिद्धू ने नए सिरे से टैंडर लगाने की कमान अपने हाथ में ले ली और करीब 200 करोड़ का रैवेन्यू जुटाने का दावा कर दिया, जिसके लिए सिद्धू द्वारा विज्ञापन पॉलिसी और टैंडर की कई शर्तों में भी बदलाव किया गया, लेकिन किसी विज्ञापन कंपनी ने टैंडर में हिस्सा नहीं लिया। इस पर सिद्धू ने अपनी जिद्द छोड़कर &0 करोड़ की रिजर्व प्राइस में & करोड़ की कटौती की गई। यहां तक कि शर्तों में भी कई तरह की छूट दी गई, फिर भी लगातार दूसरी बार किसी कंपनी ने विज्ञापन टैंडर को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखाई।
प्राइवेट साइटों पर रोक लगाने से निगम को हो रहा है नुक्सान
सिद्धू ने विज्ञापन टैंडर को सिरे चढ़ाने के लिए मॉलस व अप्रूवड मार्कीटों की प्राइवेट साइटों पर विज्ञापन लगाने की मंजूरी देने पर रोक लगा दी थी, लेकिन विज्ञापन टैंडर लगातार दूसरी बार फेल हो गया है, जिस दौरान नगर निगम को प्राइवेट साइटों से मिलने वाले रेवैन्यू का नुक्सान हो रहा है।
2013 से लटक रहा है मामला
विज्ञापन टैंडर लगाने का मामला 2013 से लटक रहा है, जब नगर निगम द्वारा मंजूरशुदा साइटों पर विज्ञापन लगाने के अधिकार देने के लिए किया गया, एग्रीमैंट खत्म हो गया था, हालांकि उस कंपनी ने नया टैंडर लगाने तक एक्स्टेशन देने की मांग की थी, लेकिन नगर निगम ने नए सिरे से टैंडर लगाने का फैसला लिया, जिसमें एक कंपनी को बिना कोई पैसा दिए विज्ञापन अधिकार देने की कोशिश हुई कांग्रेस के अलावा भाजपा कौंसिलरों ने भी विरोध किया, जिस पर स्कीम ड्रॉप कर मास्टर प्लान बना कर टैंडर लगाने की बात कही गई, जो मास्टर प्लान फाइनल होने में काफी समय लग गया और इस दौरान टैंडर लगाने के लिए 3 बार हुई कवायद भी सफल नहीं हो पाई।
निगम को मिल सकता है अपने स्तर पर टैंडर लगाने का अधिकार
सिद्धू द्वारा तैयार किए गए विज्ञापन टैंडर की सारी प्रक्रिया पहले लोकल बॉडीज विभाग के हैड ऑफिस में ही फाइनल की गई, लेकिन टैंडर फेल होने पर नगर निगम को थोड़ी छूट दी गई, जिसमें रिजर्व प्राइस में कटौती करने का पहलू शामिल है, अब दूसरी बार टैंडर फेल होने से यह संकेत मिल रहे हैं कि नगर निगम को अपने स्तर पर टैंडर लगाने का अधिकार मिल सकता है।
यह है विज्ञापन कंपनियों की मांग
-रिजर्व प्राइस में कटौती की जाए।
-ज़ोन व आइटम वाइस टैंडर लगाया जाए।
-टैंडर भरने के लिए रखी गई शर्तों में बदलाव किया जाए।
यह दी गई थी छूट
-रिजर्व प्राइस में कटौती।
-टैंडर के पीरियड में इजाफा।
-ज्वॉइंट
-टैंडर भरने के लिए रखी गई शर्तों में छूट।