Edited By Vatika,Updated: 18 Apr, 2018 03:03 PM
वैट रिफंड के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ शहर के 40 उद्योग संगठनों द्वारा आज विश्वकर्मा चौक पर विशाल रोष धरने में मात्र 50 कारोबारी ही पहुंचे। धरने में कारोबारियों का नदारद रहना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि इंडस्ट्रीज वैट रिफंड के मुद्दे पर या तो संजीदा...
लुधियाना(बहल): वैट रिफंड के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ शहर के 40 उद्योग संगठनों द्वारा आज विश्वकर्मा चौक पर विशाल रोष धरने में मात्र 50 कारोबारी ही पहुंचे। धरने में कारोबारियों का नदारद रहना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि इंडस्ट्रीज वैट रिफंड के मुद्दे पर या तो संजीदा नहीं है और या फिर कारोबारियों का इस बात पर विश्वास खत्म होने लगा है कि सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरकर संघर्ष करने का कोई ठोस परिणाम नहीं आएगा।
बता दें कि 40 उद्योग संगठनों के शहर में करीब 10,000 मैम्बर्स हैं। धरने में मात्र 50 कारोबारियों की हाजिरी कई सवालिया निशान खड़े करती है। पंजाब सरकार द्वारा 87 करोड़ रुपए के वैट रिफंड में लुधियाना की इंडस्ट्रीज एवं टे्रड के लिए 60 करोड़ रुपए की धनराशि जारी करने पर साइकिल कारोबारियों की प्रमुख संस्था यू.सी.पी.एम.ए. समेत कई प्रमुख उद्योग संगठनों द्वारा धरने से किनारा किया जाना भी रहा है।प्रमुख साइकिल उद्यमी एवं उद्योग संगठन फीको के चेयरमैन के.के. सेठ ने कहा कि कारोबारियों का 880 करोड़ रुपए का वैट रिफंड लम्बे समय से रुका पड़ा है और सरकार ने 87 करोड़ रुपए के वैट रिफंड की पहली किस्त रिलीज की है। धरना लगाने का हमारा मकसद सरकार को नींद से जगाना है। अगर सरकार ने आगामी 15 दिन में दूसरी वैट रिफंड किस्त जारी न की तो इंडस्ट्री फिर से सड़कों पर उतरकर संघर्ष करेगी और भूख हड़ताल की जाएगी।
पॉलीटिकल नहीं है यह रोष धरना
के.के. सेठ ने धरने में मौजूद पूर्व अकाली-भाजपा सरकार में मंत्री रहे सतपाल गोसाईं के शामिल होने पर मंच से बार-बार स्पष्ट किया कि यह नॉन पॉलीटिकल धरना है और गोसाईं इंडस्ट्री की आवाज उठाने आए हैं। आटो पार्टस संघ के प्रधान जी.एस. काहलों ने कहा कि हम सरकार से वैट रिफंड मांग रहे हैं, जो हमारा संवैधानिक अधिकार है।
सरकार मुर्दाबाद का नारा लगाने पर कारोबारी को रोका
धरने के दौरान एक साइकिल कारोबारी एवं संस्था के पदाधिकारी द्वारा पंजाब सरकार मुर्दाबाद का नारा लगाने पर के.के. सेठ समेत अन्य कुछ कारोबारियों ने रोका और कारोबारियों ने ब्लैक-डे मनाने के लिए लगाई काली पट्टियां भी उतार दीं ताकि धरने पर पॉलीटिकल होने का ठप्पा न लग जाए।