मंत्री आशु ने खाद्य सप्लाई पॉलिसी में बदलाव करने का किया ऐलान

Edited By Vatika,Updated: 07 Jun, 2018 12:56 PM

food and supplies minister

पंजाब के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री भारत भूषण आशु ने राज्य में सक्रिय राशन माफिया द्वारा रचा गया चक्रव्यूह तोडऩे के लिए खाद्य सप्लाई पॉलिसी में बदलाव करने का ऐलान किया है, जिससे न केवल आटा-दाल योजना के तहत नीले कार्डधारकों में वितरित की जाने वाली...

लुधियाना(खुराना): पंजाब के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री भारत भूषण आशु ने राज्य में सक्रिय राशन माफिया द्वारा रचा गया चक्रव्यूह तोडऩे के लिए खाद्य सप्लाई पॉलिसी में बदलाव करने का ऐलान किया है, जिससे न केवल आटा-दाल योजना के तहत नीले कार्डधारकों में वितरित की जाने वाली गेहूं लाभपात्रों तक पहुंचेगी, बल्कि सरकार को भी करोड़ों का फायदा मिलना तय है। मंत्री आशु ने आज लुधियाना में ‘पंजाब केसरी’ प्रतिनिधि से बातचीत के दौरान बताया कि राज्यभर के करीब 20,000 डिपो मालिकों को एक समान नीले कार्ड व यूनिट लगाने संबंधी पॉलिसी में बड़ा बदलाव करने की पहल की गई है। इससे न केवल प्रत्येक डिपो मालिकों को रोजगार के साधन पैदा होंगे, बल्कि राज्यभर में पिछले करीब 10 वर्षों से कितने फर्जी परिवार सरकारी गेहूं का लाभ प्राप्त करते रहे हैं या फिर यूं कहें कि कितने डिपो मालिकों ने विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों से मिलीभगत कर सरकार को कितना चूना लगाया है।

क्या है मामला
अगर विभागीय अधिकारियों की डिपो मालिकों के साथ सैटिंग की बात करें तो अधिकतर डिपो पर मनमर्जी से नीले कार्ड लगाए गए हैं। उदाहरण के तौर पर जिस डिपो मालिक की विभागीय इंस्पैक्टरों के साथ पटती है उसे कर्मचारियों ने 600 कार्ड लगाए थे और जिसके साथ सैटिंग नहीं है उसे मात्र 100 कार्डों पर ही टरकाया जा रहा है, जो सरकार की पॉलिसी के खिलाफ है।

डिपुओं पर कार्ड लगाने के बदले अवैध वसूली की चर्चा 
गौरतलब है कि राज्य में जब-जब सरकार द्वारा नीले कार्ड बनवाए गए हैं तब-तब विभागीय कर्मचारियों पर डिपो मालिकों को अन्य डिपुओं के मुकाबले अधिक कार्ड लगाए जाने की सूरत में प्रति कार्ड 500 रुपए की अवैध वसूली करने की चर्चा विभागीय गलियारों सहित शहरभर में रही है, जो मीडिया की सुर्खियां भी बनती रही हैं। अब देखना यह होगा कि कांग्रेस सरकार द्वारा पॉलिसी में बदलाव करने के बाद इसका जमीनी स्तर पर कितना असर होता है।सूत्रों के हवाले से पता चला है कि विभागीय इंस्पैक्टर अपने चहेते डिपो मालिकों की खुशामद के लिए जहां उन्हें दूसरे डिपो मालिकों से अधिक संख्या में नीले कार्ड देते हैं, वहीं उनके कार्डों पर दर्ज यूनिटों (मैम्बरों) की संख्या भी अन्य कार्डों के मुकाबले कहीं अधिक होती है, जबकि दूसरे डिपो मालिकों को नजरअंदाज कर उनके डिपुओं पर कार्ड व यूनिट कम चढ़ाए जाते हैं।

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