पतंगबाजी के शौकीनों ने गत वर्ष छीनी 200 से अधिक पक्षियों की उड़ान

Edited By Vatika,Updated: 10 Jan, 2019 11:16 AM

flight of birds

हवा का सीना चीर कर दूर गगन में बादलों से बातें करने वाले 200 से अधिक बेजुबान परिंदों की पतंगबाजी के शौकीनों ने गत वर्ष लोहड़ी व मकर संक्रांति के सीजन में उड़ान हमेशा के लिए छीन ली थी, जबकि मौजूदा समय में पतंगबाजी के

लुधियाना(खुराना): हवा का सीना चीर कर दूर गगन में बादलों से बातें करने वाले 200 से अधिक बेजुबान परिंदों की पतंगबाजी के शौकीनों ने गत वर्ष लोहड़ी व मकर संक्रांति के सीजन में उड़ान हमेशा के लिए छीन ली थी, जबकि मौजूदा समय में पतंगबाजी के सीजन से पहले ही 10 से अधिक पक्षी चाइना डोर की तेजधार का शिकार होकर सदा के लिए उड़ान भरने से नकारा हो चुके हैं और माना जा रहा है कि आने वाले चंद दिनों में डोर का प्रकोप सैंकड़ों अन्य बेजुबान परिंदों पर कहर बनकर टूटेगा। डोर की चपेट में आए ऐसे ही घायल व बीमार परिंदों के लिए प्राचीन गऊशाला ट्रस्ट की कमेटी मक्का काबा से कम नहीं है, जो कि मौत की कगार पर पहुंचे पक्षियों को नया जीवन प्रदान करने की कोशिशों में मक्का काबा चिकित्सा केन्द्र चला रही है।

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घायल पक्षियों की सेवा कर रहे सुरिन्द्रपाल, रमेश व राम संजीवन ने बताया कि पक्षियों का उपचार करने की ट्रेङ्क्षनग उन्होंने पक्षी प्रेमी व समाज सेवी विपन भाटिया से सीखी है। उन्होंने बताया कि डोर का शिकार घायल व मरने वाले अधिकतर पक्षी अपने घोसलों में छोटे-छोटे बच्चों व अंडों को छोड़ कर दाना चुगने के लिए सुबह-शाम को झुंड की शक्ल में उड़ान भर कर निकलते हैं, लेकिन डोर का शिकार होने के  कारण जब पक्षी अपने घोंसलों में वापस नहीं लौट पाते हैं तो फिर उनके बच्चों व अंडों को अन्य पक्षी अपना निवाला बना लेते हैं। ऐसे में एक पक्षी के साथ कई अन्य जिंदगियां भी मौत के कुएं में समां जाती हैं।

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अपने हाथों से खिलाते हैं पक्षियों को दवाइयां
माहिरों के मुताबिक बीमार पक्षियों में अटैक एवं अंधापन जैसी घातक बीमारियां भी बढ़ रही हैं जो कि संभावित मोबाइल टावर की रेंज में आने के कारण अटैक व आंखों में चाइना डोर लगने अथवा पक्षियों की आपस में लड़ाई की वजह से अंधापन हो सकता है। मौके पर कई अटैक व अंधापन से ग्रस्त पक्षी दिखाते हुए ट्रेनर ने बताया कि ऐसे पक्षी खुद दाना तक नहीं चुग पाते हैं, इसलिए उन्हें ट्रेनर अपने हाथों से दाना खिलाते हैं व इलाज के लिए दवाइयां खिलाते हैं। ट्रेनर्ज ने बताया गऊशाला की छत पर रोजाना अन्य हजारों पक्षी भी दाना चुगने के लिए आते हैं, जिन्हें बड़ी संख्या में शहरवासी सुबह-शाम दाना डालने के लिए यहां पहुंचते हैं।

मन की शांति के लिए विदेशी भी आते हैं पक्षियों की सेवा करने
मौके पर पहुंचे कैनेडा के टोरंटो निवासी राहुल, उनकी पत्नी जैनन व बेटी जुजु भी पक्षियों को दाना डाल कर बहुत खुश दिखाई दे रहे थे। राहुल ने बताया उन्हें पक्षियों की सेवा करने में खुशी व मन की शांति मिलती है। ’योतिषाचार्या के मुताबिक पक्षियों की सेवा करने से दुख, दर्द, बीमारियों व परेशानियों का नाश होता है व व्यापारिक तौर पर तरक्की होती है।

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