Edited By Vatika,Updated: 07 Dec, 2019 11:09 AM
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणगढ़ जिले में इंडो तिब्बतियन बार्डर पुलिस (आई.टी. बी.पी.) के 45वीं बटालियन कैम्प के जवान दलजीत सिंह की जवानों के आपसी विवाद में गोली लगने उपरांत हुई
मुल्लांपुर दाखा(कालिया) : छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणगढ़ जिले में इंडो तिब्बतियन बार्डर पुलिस (आई.टी. बी.पी.) के 45वीं बटालियन कैम्प के जवान दलजीत सिंह की जवानों के आपसी विवाद में गोली लगने उपरांत हुई मौत के बाद आज उनकी मृतक देह दिल्ली पहुंची और दिल्ली से ए.एस.आई. हावा सिंह, 7 जवानों सहित फाइव टर्नर गाड़ी में तिरंगे झंडे में लिपटे शव को प्रात: 8.15 बजे उनके घर गांव जांगपुर में पहुंचे।
शव के घर पहुंचते ही पारिवारिक सदस्यों की तरफ से किया गया विलाप हर एक की आंख को नम कर गया। सरकारी सम्मान के साथ जवान की देह को श्मशानघाट ले जाया गया, जहां आई.टी.बी.पी. बटालियन के कमांडर एस.के. ड्रोल, डिप्टी कमांडर सतीन्द्र कुमार बद्दोवाल और जवानों ने फूल मालाएं भेंट की। विधायक बलविन्दर सिंह धालीवाल, कैप्टन सन्दीप संधू और उनकी धर्म पत्नी, बेटा वरिन्दरजीत सिंह ओ.एस.डी. मुख्यमंत्री पंजाब, नायब तहसीलदार-कम-मैजिस्ट्रेट गुरप्यार सिंह, अमनिन्दर सिंह एस.डी.एम. पश्चिमी, करन वडिंग़, इंस्पैक्टर प्रेम सिंह भंगू आदि जवानों ने भी फूल और लोइयां भेंट कीं। मृतक देह को उनके पुत्र वरिन्दरजीत सिंह ने अग्नि भेंट की। इस मौके पर प्रधान तेलू राम बांसल, सरपंच अमरजीत सिंह, ऋषि बैक्टर, बब्बी बैक्टर, हैप्पी बाजवा, राज्य प्रधान रमेश मोही, बलदेव सिंह आदि गांव वासी भारी संख्या में उपस्थित थे।
दलजीत सिंह के पिता ने दी थी देश के लिए जान
दलजीत सिंह को उनके पिता गुरदेव सिंह जोकि आई.टी.बी.पी. के जवान थे और श्रीनगर में तैनात थे, सरहद की चौकीदारी करते बीमार हो गए थे तथा 1999 में उनकी मौत हो गई थी। उन की जगह पर दलजीत सिंह ने नौकरी ज्वाइन की थी जबकि शहीद दलजीत सिंह का भाई मनजीत सिंह भी आई.टी.बी.पी. का जवान है और आसाम में अपने वतन की चौकीदारी कर रहा है। एक सप्ताह पहले ही अपने गांव जांगपुर छुट्टी पर आया था।
18 दिसम्बर को दलजीत के जन्मदिन की तैयारियों में व्यस्त थे बच्चे
दलजीत सिंह की पत्नी हरप्रीत कौर ने अंतिम श्रद्धा के फूल अर्पित करते हुए कहा कि 18 दिसम्बर को शहीद दलजीत का जन्मदिन था और बच्चे उसकी तैयारियां कर रहे थे। इस मौके आई.टी.बी.पी. बद्दोवाल 22 बटालियन के कमांडर एस.के. ड्रोल और डिप्टी कमांडर सतीन्द्र कुमार ने शहीद की पत्नी को देश का तिरंगा झंडा भेंट किया जिसमें उसके पति शहीद दलजीत सिंह का शव लिपट कर आया था।