कांग्रेस टिकट के लिए 10 जनपथ तक से खड़क रही घंटियां

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Jan, 2018 10:56 AM

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कांग्रेस द्वारा नगर निगम चुनाव में टिकटें देने के लिए आवेदन मांगने के साथ ही दावेदारों द्वारा लॉबिंग का सिलसिला भी तेज हो गया है जिसके तहत कुछ लोगों के लिए तो 10 जनपथ तक से घंटी खड़कने की सूचना है। यहां बताना उचित होगा कि कांग्रेस का कोई भी काम लोकल...

लुधियाना(हितेश): कांग्रेस द्वारा नगर निगम चुनाव में टिकटें देने के लिए आवेदन मांगने के साथ ही दावेदारों द्वारा लॉबिंग का सिलसिला भी तेज हो गया है जिसके तहत कुछ लोगों के लिए तो 10 जनपथ तक से घंटी खड़कने की सूचना है। यहां बताना उचित होगा कि कांग्रेस का कोई भी काम लोकल लेवल से शुरू होकर चंडीगढ़ होते हुए दिल्ली जाकर फाइनल होता है। यही हाल अब नगर निगम चुनाव को लेकर देखने को मिल रहा है। इसके तहत वॉर्डबंदी की प्रक्रिया में नए बनने वाले वार्डों की बाऊंड्री व रिजर्वेशन तय करने को लेकर कांग्रेस के लोकल लीडर काफी देर तक आपस में उलझे रहे और हाईकमान के दखल के बाद जाकर वॉर्डबंदी फाइनल हो पाई। अब नगर निगम चुनाव के लिए टिकटों के आबंटन की बारी आई तो कांग्रेस में विधायकों व हलका इंचार्ज द्वारा अपने तौर पर उम्मीदवार घोषित कर दिए गए, जिन लोगों ने ऑफिस खोलने के अलावा डोर टू डोर जाकर प्रचार शुरू किया तो उसी इलाके से दूसरे लोगों ने भी सोशल मीडिया के जरिए व होॄडग लगाकर दावेदारी पेश कर दी। इनमें से काफी दावेदार तो हलका इंचार्ज व विधायक को चुनौती देते हुए टिकट के लिए खुलेआम आवेदन भी दे चुके हैं। अब टिकट पक्की करवाने के लिए लोकल से लेकर स्टेट व दिल्ली लेवल तक के सियासी आकाओं की शरण में जा रहे हैं।इस तरह के दावेदारों को लेकर कांग्रेस में तो हद ही हो गई है। जिसके चलते टिकटें बांटने की प्रक्रिया शायद दिल्ली जाकर ही फाइनल हो, यह संकेत इस बात से ही मिलते हैं कि टिकट देने के लिए सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल यानी कि 10 जनपथ से फोन आ चुके हैं। 


आधिकारिक तौर पर इस तरह चलेगा सिस्टम 
कांग्रेस ने टिकटों के लिए आवेदन लेने के बाद उन पर पैनल बनाने का अधिकार विधायक या हलका इंचार्ज को दिया है, जो कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिंदर बाजवा की अगुवाई वाली टीम को अपनी सिफारिश करेंगे और इनमें से जीतने की क्षमता रखने वाले दावेदारों के नाम पर पंजाब कांग्रेस प्रधान द्वारा फैसला करने का सिस्टम बनाया गया है। 

शिअद व लिप की फाइनल पावर सुखबीर व बैंस के पास
अगर नगर निगम चुनाव लड़ रही बाकी पार्टियों की बात करें तो अकाली दल का हाईकमान तो प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल ही है। इसी तरह लोक इंसाफ पार्टी के मालिक भी बैंस ब्रदर्स ही हैं। जिनके लेवल पर ही कोई भी फैसला लिया जा सकता है। 

बाकी पार्टियों में भी दिल्ली व चंडीगढ़ से पहुंची सिफारिशें
भाजपा व आम आदमी पार्टी का ज्यादातर काम लोकल या स्टेट लेवल पर ही चल रहा है, जिनमें कुछ मामलों में ही दिल्ली में बैठे लीडर दखल दे सकते हैं। इसके तहत अकाली दल व भाजपा के अलावा आम आदमी पार्टी व बैंस ग्रुप में सीटों का बंटवारा होने में दिक्कत आई तो स्टेट व सैंटर के लीडरों के दखल से मामला सुलझ गया। अब टिकटें बांटने की प्रक्रिया में भी भाजपा के अलावा आम आदमी पार्टी के लोकल लीडरों को दिल्ली चंडीगढ़ से फोन आ ही रहे हैं।

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