कैप्टन राज में 2184 एसोसिएट स्कूलों के 5 लाख विद्यार्थियों पर संकट के बादल

Edited By Vatika,Updated: 13 Sep, 2018 05:13 PM

captain amarinder singh

7 वर्ष के बाद एक बार फिर से राज्य के 2184 एसोसिएट स्कूलों पर पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के फैसले से खतरे के बादल मंडाराने लगे हैं। अगर अगले वर्ष से बोर्ड ने उक्त स्कूलों के लिए वर्ष 2019-20 की कंटीन्यूशन का परफोर्मा जारी न किया तो इन स्कूलों में पढऩे...

लुधियाना(विक्की): 7 वर्ष के बाद एक बार फिर से राज्य के 2184 एसोसिएट स्कूलों पर पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के फैसले से खतरे के बादल मंडाराने लगे हैं। अगर अगले वर्ष से बोर्ड ने उक्त स्कूलों के लिए वर्ष 2019-20 की कंटीन्यूशन का परफोर्मा जारी न किया तो इन स्कूलों में पढऩे वाले 5 लाख के करीब विद्यार्थियों की शिक्षा पर भी इसका असर पड़ेगा। 

क्योंकि बोर्ड ने वैबसाइट पर पत्र जारी करके अगले वर्ष से इन स्कूलों के लिए कंटीन्यूशन फार्म जारी न करने का फैसला किया है। इस फैसले के मुताबिक स्कूल 9वीं कक्षा से 12वीं तक किसी भी विद्यार्थी का दाखिला नहीं कर सकेंगे। बोर्ड ने कैबिनेट सब कमेटी के फैसले को आधार बनाया है। उधर स्कूलों में बोर्ड का उक्त पत्र चर्चा का विषय बना हुआ है और स्कूल संचालक भारी टैंशन में घिर गए हैं। पता चला है कि एसोसिएट स्कूलों के ज्वाइंट एक्शन फ्रंट ने उक्त निर्णय के खिलाफ मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह व शिक्षा मंत्री ओ.पी. सोनी से भी मुलाकात करने की तैयारी कर ली है ताकी एसोसिएट स्कूलों का अस्तित्व बचाया जा सके। यहां बता दें कि लुधियाना के करीब 490 एसोसिएट स्कूलों में 80 हजार विद्यार्थी पढ़ते हैं। 

40 हजार से अधिक शिक्षक होंगे प्रभावित
कैबिनेट की सब कमेटी की सिफारिशों का हवाला देकर बोर्ड ने वैबसाइट पर पत्र जारी किया है कि आगामी शिक्षा सत्र के लिए कंटीन्यूशन परफॉर्मा जारी नहीं किया जाएगा। फैसले के बाद एसोसिएट स्कूल संचालक आगामी शिक्षा सत्र से 9वीं से 12वीं कक्षा तक विद्यार्थियों को दाखिला नहीं दे सकेंगे। एसोसिएट स्कूलों के ज्वाइंट एक्शन फ्रंट पंजाब के प्रधान सुरजीत सिंह संधू व सीनियर उपप्रधान आनंद सिंह ठाकुर ने बताया कि बोर्ड का यह फैसला विद्यार्थियों के साथ 40 हजार शिक्षकों के लिए भी घातक है। इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। 

अकाली-भाजपा सरकार ने दी थी एसोसिएट स्कूलों को संजीवनी
हैरानीजनक बात तो यह है कि इन स्कूलों को अगले वर्ष से किसी वजह से कंटीन्यूशन परफोर्मा जारी नहीं किया जाएगा इस बारे कुछ भी कारण स्पष्ट नहीं है। स्कूल संचालकों की मानें तो वर्ष 2011 में अकाली-भाजपा सरकार के समय बोर्ड द्वारा बनाई गई 18 मैंबरी कमेटी ने जो कुछ नियम बनाए थे, उन्हें पूरा करके ही स्कूल चलाने की अनुमति बोर्ड से मिली थी। सरकार के शिक्षा विभाग एवं बोर्ड की ओर से भी समय-समय पर स्कूलों की चैकिंग करवाई जा चुकी है। स्कूलों के मुताबिक स्कूल 200 गज या इससे अधिक जगह में चल रहे हैं तो इसकी अनुमति भी स्वयं सरकार व बोर्ड के फैसले के आधार पर ही मिली है। ऐसे में स्कूलों के लिए ऐसे आदेश जारी करके क्यों विद्यार्थियों एवं स्कूल संचालकों में असमंजस का माहौल कायम किया जा रहा है?

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