Edited By Vatika,Updated: 13 Oct, 2018 12:58 PM
प्राइवेट बस कंपनियां और उसके चालक बस में अधिक सवारियां बैठाने के चक्कर में सड़कों पर मौत का खूनी खेल खेल रहे हैं। इसका प्रमाण आज उस समय देखने को मिला जब जालंधर बस स्टैंड से प्रात: साढ़े 7 बजे लुधियाना के लिए निकली गगनदीप बस कंपनी की बस के चालक ने...
फिल्लौरॉ(भाखड़ी): प्राइवेट बस कंपनियां और उसके चालक बस में अधिक सवारियां बैठाने के चक्कर में सड़कों पर मौत का खूनी खेल खेल रहे हैं। इसका प्रमाण आज उस समय देखने को मिला जब जालंधर बस स्टैंड से प्रात: साढ़े 7 बजे लुधियाना के लिए निकली गगनदीप बस कंपनी की बस के चालक ने दूसरी बस से आगे निकलने के चक्कर में बस को गलत दिशा में भगाते हुए सीधा खड़े ट्रक में मार दी। इसमें लुधियाना के दंपति सहित एक अन्य सवारी की मौत हो गई।
सूत्रों के अनुसार प्राइवेट बस कंपनियां चालकों को तनखाह के अलावा बस में अधिक सवारियां बैठाने का कमीशन के रूप में लालच देती है। इसी लालच के चक्कर में बस चालक सड़कों पर खुलेआम मौत का खूनी खेल खेल रहे हैं। यही कारण है कि आए दिन या तो बस नियंत्रण खोकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है या फिर चालक राह जाते लोगों को बस के नीचे कुचल देते है। प्रशासनिक अधिकारी इनके नियंत्रण पर लगाम लगाने में नाकाब साबित हो रहे हैं।
10 मिनट की देरी ने बचा ली दादा-दादी और पौत्रे की जान
मृतक गोपाल कृष्ण बांसल गत दिवस लुधियाना से अपनी पत्नी और दोनों बेटे शुभम (15) व निखिल (17) व अपने वृद्ध माता-पिता के साथ जालंधर रिश्तेदार के यहां जगराते में गया था। प्रात: 7 बजे गोपाल कृष्ण लुधियाना जाने के लिए तैयार हो गया तो उसके वृद्ध माता-पिता रिश्तेदारों को मिलने लगे जिस कारण गोपाल अपनी पत्नी और छोटे बेटे शुभम के साथ वहां से निकल गया जबकि उसके माता-पिता 10 मिनट बाद बड़े पौत्रे निखिल के साथ बस स्टैंड की तरफ निकले। जैसे ही वह बस स्टैंड पर पहुंचे तो गोपाल कृष्ण अपनी पत्नी और छोटे बेटे के साथ बस में बैठ कर निकल चुका था जबकि उसके माता-पिता उसके पीछे वाली बस में बैठ गए। जब वह फिल्लौर के नजदीक पहुंचे तो बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई। माता-पिता को यह गम सता रहा था कि अगर उनका बेटा 10 मिनट और रुक जाता तो शायद वह और उसकी पत्नी आज उनके साथ जीवित होते।
मां तड़प रही थी, कंडक्टर उतार रहा था अंगूठी
बस दुर्घटना के बाद घायलों के साथ जो घटना घटित हुई उसने इंसानीयत को पूरी तरह से शर्मसार कर दिया। दुर्घटनाग्रस्त हुई बस में मौजूद मृतक गोपाल कृष्ण बांसल के बेटे शुभम बांसल (15) जो इस दुर्घटना में बाल-बाल बच गया, ने पुलिस को अपने बयान में बताया कि जैसे ही उसे होश आया तो हर तरफ घायलों की चीख पुकार सुनाई दे रही थी। तभी उसने एक सीट के नीचे बुरी तरह से दबे अपने माता-पिता को तड़पते हुए देखा। उसकी मां के पास वही बस का कंडक्टर खड़ा था जिसने बस में बैठते वक्त उन्हें टिकट काट कर दी थी। वह उसकी घायल मां को बचाने की जगह उसके हाथ में पहनी सोने की अंगूठी उतारने में लगा था। कंडक्टर ने कुछ घायलों की जेब से पर्स और कुछ के मोबाइल फोन भी निकाल लिए। जब नजदीक का ढाबा मालिक मनमीत सिंह लोगों के साथ मदद करने पहुंचा तो कंडक्टर वहां से भाग गया।