अब टाटा ग्रुप ने की बुड्ढे नाले को प्रदूषण मुक्त बनाने की पेशकश

Edited By Vatika,Updated: 22 Feb, 2019 12:45 PM

budha nala ludhiana

बुड्ढे नाले को प्रदूषणमुक्त बनाने की दिशा में लम्बे समय से चल रही कोशिशों के बीच अब टाटा ग्रुप ने प्रोजैक्ट को सिरे चढ़ाने की पेशकश की है, जिनकी टीम द्वारा वीरवार को एम.पी. रवनीत सिंह बिट्टू के सामने ड्राफ्ट रिपोर्ट पेश की गई है।

लुधियाना(हितेश): बुड्ढे नाले को प्रदूषणमुक्त बनाने की दिशा में लम्बे समय से चल रही कोशिशों के बीच अब टाटा ग्रुप ने प्रोजैक्ट को सिरे चढ़ाने की पेशकश की है, जिनकी टीम द्वारा वीरवार को एम.पी. रवनीत सिंह बिट्टू के सामने ड्राफ्ट रिपोर्ट पेश की गई है। इस दौरान मेयर बलकार संधू, सीनियर डिप्टी मेयर शाम सुंदर मल्होत्रा, कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु की पत्नी ममता व कमिश्नर के.पी. बराड़ मौजूद थे। कंपनी के अफसरों ने दावा किया कि उन्होंने शुरूआती दौर में बुड्ढे नाले की स्टडी का काम पूरा कर लिया है। अब अगले हफ्ते सहित नगर निगम के आला अफसरों के साथ मीटिंग करके सारा डाटा लिया जाएगा और उसके आधार पर 10 मार्च तक कांसैप्ट नोट बनाकर पेश कर दिया जाएगा।

जयपुर-पटियाला का पैटर्न होगा फॉलो, अढ़ाई वर्ष में प्रोजैक्ट पूरा करने का दावा
टाटा ग्रुप द्वारा पहले जयपुर में दरियावति नदी को प्रदूषणमुक्त बनाने का काम पूरा किया गया है। अब पंजाब सरकार द्वारा इसी कंपनी को पटियाला में छोटी व बड़ी नदी को प्रदूषणमुक्त बनाने का काम दिया गया है। वही पैटर्न लुधियाना में अपनाने की बात कही गई है। टाटा ग्रुप के अफसरों ने दावा किया डिटेल प्रोजैक्ट बनाने में 2 से & माह का समय लग सकता है। अगर इसी कंपनी को काम अलॉट हो गया तो वह डी.पी.आर. बनाने के लिए कोई पैसा नहीं लेगी, जबकि प्रोजैक्ट को अढ़ाई साल में पूरा करने का टारगेट रखा गया है।

ग्रीन व कमर्शियल एरिया होंगे डिवैल्प, लागत की भरपाई समेत कूड़े की समस्या होगी हल
कंपनी ने अपनी प्रैजैंटेशन में बताया कि नाले के किनारे खाली पड़ी जगह को ग्रीन व कमर्शियल एरिया के रूप में डिवैल्प किया जाएगा, जिससे प्रोजैक्ट की लागत की भरपाई होने समेत नाले में कूड़ा गिरने की समस्या हल होगी। कंपनी द्वारा किनारे पर पैदल चलने वाले लोगों के लिए फुटपाथ व साइकिल ट्रैक भी बनाने की बात कही गई है।

ट्रीटमैंट के बाद सिंचाई के लिए प्रयोग में लाया जाएगा पानी
इस समय पानी को ट्रीट करने के बाद बुड्ढे नाले या सतलुज दरिया में सीधा छोड़ा जा रहा है, जिस पानी में घातक पदार्थ मौजूद होने की वजह से मालवा व राजस्थान में सतलुज का पानी पीने वालों को बीमारियां हो रही हैं। इसके मद्देनजर नई योजना में पानी को ट्रीट करने के बाद बुड्ढे नाले या सतलुज दरिया में छोडऩे की बजाय सिंचाई या बागवानी के लिए प्रयोग में लाने का पहलू शामिल किया गया है।

सतलुज में मिलने वाले प्वाइंट पर ट्रीटमैंट प्लांट लगाने के हक में हैं मेयर
बुड्ढे नाले को प्रदूषणमुक्त बनाने के नाम पर अब तक बनी सारी योजनाओं में मौजूदा सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांटों की टैक्नोलॉजी व कैपैसिटी को अपग्रेड करने पर जोर दिया गया है, जबकि बुड्ढे नाले में ट्रीटमैंट के बिना सीधा गिर रहे सीवरेज के पानी को रोकने के लिए किनारे पर इंटर सैप्टर लाइन बिछाकर एस.टी.पी. तक ले जाने की बात कही जा रही है लेकिन मेयर इस हक में हैं कि बुड्ढे नाले के सतलुज में मिलने वाले प्वाइंट पर ट्रीटमैंट प्लांट लगाया जाए, जिससे रास्ते में कहीं भी पानी के प्रदूषित होने की सूरत में समस्या आने की गुंजाइश न रहे और पुराने सीवरेज प्लांटों के साथ लगती जगह को बेच कर लागत की भरपाई की जा सकती है।

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