नोटबंदी के 3 साल बीतने के बाद अब सोनाबंदी की चर्चा ने मचाया हड़कंप

Edited By swetha,Updated: 11 Nov, 2019 12:33 PM

after 3 years of demonetisation now the discussion of gold ban created a stir

सी.बी.डी.टी. के 25 वर्ष पुराने सर्कुलर में यह है सोना रखने की लिमिट

लुधियाना(सेठी): जब से सूत्रों के हवाले से खबर आई है कि मोदी सरकार नोटबंदी की तरह सोनाबंदी कर सकती है, एक लिमिट से ज्यादा यानी सोना रखने पर टैक्स वसूलेगी, तब से जनसाधारण में हड़कंप मचा हुआ है। खासतौर पर सोना रखने की परंपरागत तौर पर शौकीन महिलाओं द्वारा ये सवाल पूछे जा रहे हैं कि क्या एक महिला सोना भी नहीं रख सकती? और रख सकती है तो कितना रख सकती है, मोदी सरकार यह कानून कब लागू करेगी। इस पर लगाए जाने वाले टैक्स को लेकर भी उनमें उत्सुकता है।

बता दें कि मोदी सरकार के सामने यह प्रपोजल है जो वित्त मंत्रालय के इकोनॉमिक अफेयर्स डिपार्टमैंट ने बहुत पहले इसका प्रस्ताव रखा था परन्तु महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनावों के मद्देनजर सरकार ने कुछ समय के लिए इसे स्थगित कर दिया था और अब यह उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी जाएगी। दूसरा सवाल यहां यह सामने आ रहा है कि यदि सोनाबंदी हो गई तो फिर आगे क्या होगा। 

जैसे कि आपको याद होगा कि जब नोटबंदी की गई थी तब यह कहा गया था कि यदि किसी के पास इतने रुपए पहले से हैं, उसमें संभवत: 2.5 लाख रुपए की लिमिट को रखा गया था तो उसका सोर्स नहीं पूछा जाएगा। सोनाबंदी में भी कुछ इसी तरह की बातें सामने आ रही हैं। उदाहरण के तौर पर किसी के पास यदि आधा किलो सोना है और वह उसका पुश्तैनी चला आ रहा है या शादीशुदा महिला अपने मायके से लेकर आई थी तो उस कंडीशन में क्या होगा, कितना रख पाएंगे, कितना बताना पड़ेगा आदि बातें सामने आ रही हैं।

सी.बी.डी.टी. के 25 वर्ष पुराने सर्कुलर में यह है सोना रखने की लिमिट
सी.बी.डी.टी. (सैंट्रल बोर्ड ऑफ डायरैक्ट टैक्सीज) का 11 मई 1994 का एक सर्कुलर है जिसके मुताबिक एक विवाहित महिला आधा किलो यानी 500 ग्राम सोना रख सकती है, और एक अविवाहित महिला 250 ग्राम और पुरष 100 ग्राम तक सोना रख सकता है, इसका ब्यौरा आपसे नहीं पूछा जाएगा। लेकिन मान लीजिए किसी के घर पर रेड होती है और वहां से सोना बरामद होता है तो आपका वह सोना उठा लिया जाएगा लेकिन जब आप उसका सोर्स साबित करेंगे तो उसकी जानकारी नहीं मांगी जाएगी। यदि आपके पास अन अकाऊंटेड (वैध) सोना है तो अपने पास रखे सोने की जानकारी तय समय सीमा में देनी होगी जिस पर सरकार 33 प्रतिशत के हिसाब से टैक्स वसूलेगी और यदि तय समय सीमा बाद किसी के पास अन-अकाऊंटेड सोना पकड़ा जाता है, तो उससे बनता टैक्स व भारी जुर्माना वसूला जाएगा।

देशभर में 30 हजार टन सोना डम्प होने की चर्चा
लोगों के घरों में लगभग 20 हजार टन के आसपास सोना है और मंदिर, मठ व अन्य धार्मिक जगह पर लगभग 10 टन सोना है, तो लगभग 30 हजार टन सोना है देश में। इसकी कीमत का अनुमानत: 70 लाख करोड़ से ज्यादा बैठ रही है। एमनेस्टी स्कीम के तहत मंदिर, मठ और हाऊसहोल्डर भी आएगा, सबको इस स्कीम के तहत डिक्लेयर करना पड़ेगा।

डी.आर.आई. व कस्टम विभाग स्मगलिंग रोकने में असफल, इसलिए लागू होगी एमनेस्टी स्कीम    
एमनैस्टी स्कीम के लागू होने का मुख्य कारण अरब देशों से भारत में सोने की स्मगङ्क्षलग को रोकने में डी.आर.आई. व कस्टम विभाग का फेल होना है। एयरपोर्टों से हर सप्ताह किलो के हिसाब से सोने की खेप पहुंच रही है। सोने की स्मगङ्क्षलग करने वाले सोने को बिस्कुट या ईंट के रूप में लेकर आते हैं। उसे पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के बाजार में नकद में बेच दिया जाता है। वजह, भारतीय बाजार में दुबई की मार्कीट में सोने की कीमत में कम से कम 5 हजार रुपए प्रति तोले का अंतर है यानी दुबई में सोना सस्ता है और वहां की शुद्धता पर पूरा विश्वास करता है। इसके अलावा स्मगङ्क्षलग करके लाए गए सोने पर कस्टम ड्यूटी 12.5 प्रतिशत व 3 प्रतिशत जी.एस.टी. की भी बचत होती है। बताया जाता है कि स्मगङ्क्षलग करने वाले लोग जिस हिसाब से सोने की भारी-भरकम खेप लाते हैं उन्हें एक डील में कम से कम 30 से 50 लाख रुपए का मुनाफा होता है। वैसे तो पूरे देश में सोने की स्मगङ्क्षलग जोरों पर है लेकिन पंजाब में स्मगङ्क्षलग का धंधा खूब फल-फूल रहा है। 

नोटबंदी के दौरान सोने में निवेश हुआ था काला धन
एमनैस्टी स्कीम लागू होने का दूसरा बड़ा कारण यह है कि नोटबंदी के दौरान लोगों ने अपना सारा काला धन सोने पर निवेश कर दिया था, जिस कारण नोटबंदी पूर्ण रूप से सफल नहीं हो पाई। लोगों को नोटबंदी की जानकारी मिलते ही उन्होंने अपना काला धन सोने में निवेश करना आरंभ कर दिया था। मोदी सरकार सोने में खपाए जा रहे काले धन पर रोक लगाने के लिए एमनेस्टी स्कीम ला सकती है जिसमें निर्धारित मात्रा से अधिक सोना रखने पर टैक्स चुकाना होगा।     

हर साल सोने 2.5 लाख करोड़ के सोने का आयात करता है सी.ए.डी. में वृद्धि
नोटबंदी के 3 साल बाद सरकार को सोनाबंदी की जरूरत क्यों पड़ी, इसका कारण यह सामने आया है कि हर साल सोने का लगभग 2.5 लाख करोड़ का आयात होता है और उसका जो भुगतान करना होता है वह डॉलर में करना होता है। जैसे-जैसे सोने की मांग बढ़ती है, तो करैंट अकाऊंट डैफिसिट (सी.ए.डी.) बढ़ जाता है, क्योंकि फॉरैन एक्सचेंज में भुगतान होता है। जब से रियल एस्टेट सैक्टर डाऊन हुआ है, तब से लोग सोने में ज्यादा निवेश करने लग गए हैं जिसकी वजह से सोने की कीमत अचानक बहुत ज्यादा बढऩे लगी है। काले धन की खपत का एक जरिया बनता जा रहा है, इस वजह से मोदी सरकार यह कानून लागू करने का विचार कर रही है। 

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