Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Nov, 2017 09:11 AM
स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट सख्त हुआ है और पंजाब सरकार, पुलिस विभाग और प्रशासनिक अधिकारी बच्चों की सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं, मगर स्कूली बच्चों को लेकर कोई भी गंभीर नहीं है
फिरोजपुर (कुमार): स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट सख्त हुआ है और पंजाब सरकार, पुलिस विभाग और प्रशासनिक अधिकारी बच्चों की सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं, मगर स्कूली बच्चों को लेकर कोई भी गंभीर नहीं है। फिरोजपुर में आज भी स्कूली छोटे-छोटे बच्चे ऑटो रिक्शा पर लटकते नजर आते हैं और जिला फिरोजपुर पुलिस द्वारा सियासी दबाव में आकर और मुख्यमंत्री पंजाब के आदेशों को छींके टांग कर सियासी लीडरों को स्टेटस सिम्बल के लिए गनमैन दे दिए गए हैं, मगर बच्चों और लोगों की सुरक्षा की बात करो तो अधिकारियों का जवाब होता है कि पुलिस के पास पुलिस नफरी की कमी है।
फिरोजपुर शहर में जहां केंद्रीय जेल के पास बला चौक किसी बड़े हादसे का संकेत दे रहा है और पुलिस अधिकारियों के नोटिस में कई बार यह बात लाने के बावजूद भी ऐसा लगता है कि जब तक यहां कोई बड़ा हादसा हो नहीं जाता, तब तक इस चौक में कोई भी ट्रैफिक कर्मचारी पक्के तौर पर लगाया नहीं जाएगा। फिरोजपुर शहर छावनी के स्कूलों में आने वाले बच्चों की जान आज भी भारी खतरे में हैं जिसकी ओर केवल पुलिस या सरकार को ही नहीं बल्कि स्कूल मालिकों और बच्चों के मां-बाप को भी ध्यान देने की जरूरत है।
एन.जी.ओ. शलिन्द्र कुमार, गिन्नी गुलाटी और विपन कक्कड़ का मानना है कि कई ऑटो रिक्शा में स्कूली बच्चे भीड़ होने के कारण लटक कर जाते हैं और इसमें सबसे बड़ी जिम्मेदारी मां-बाप की है। ऑटो रिक्शा चालक ने अपने पैट्रोल के पैसे पूरे करने होते हैं और जब मां-बाप ऑटो रिक्शा चालक को पैसे कम देंगे तो उस ऑटो रिक्शा चालक के लिए ज्यादा बच्चों को ऑटो रिक्शा में ले जाना उसकी मजबूरी होगी। उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा और होने वाले हादसों को रोकने के लिए स्कूल मालिकों और जिला प्रशासन को भी इस समस्या की ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।