चुनावी खिचड़ी में बगावत का तड़का

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Dec, 2017 05:03 AM

trouble in the electoral slug

17 दिसंबर को नगर निगम चुनाव हो रहे हैं। शुक्रवार को नामांकन वापिसी का अंतिम दिन है। इसी दिन उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह आवंटित हो जाएंगे। यहां तक चुनाव लड़ रही राजनीतिक पार्टियों में एकजुटता की बात है तो कोई भी पार्टी ऐसी नजर नहीं आ रही है जिसमें...

जालंधर: 17 दिसंबर को नगर निगम चुनाव हो रहे हैं। शुक्रवार को नामांकन वापिसी का अंतिम दिन है। इसी दिन उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह आवंटित हो जाएंगे। यहां तक चुनाव लड़ रही राजनीतिक पार्टियों में एकजुटता की बात है तो कोई भी पार्टी ऐसी नजर नहीं आ रही है जिसमें टिकट को लेकर नाराजगी न चल रही हो। 

हरेक पार्टी से नाराज होकर कई नेताओं ने आजाद उम्मीदवारों के तौर पर अपने नामांकन पत्र तक भरे हैं। वहीं सियासी माहिरों का कहना है कि चुनावी खिचड़ी पक कर तैयार हो रही है, जिसमें बगावत और भीतरघात का तड़का लगाया जा रहा है। माहिरों का कहना है कि अभी तक वार्डों में किन मुद्दों पर उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं की तरफ किसी का कोई ध्यान नहीं है। 

कांग्रेस से बागी निर्दलीय उम्मीदवार बिगाड़ सकते राजनीतिक गणित
नगर निगम चुनावों में कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने के कारण नाराज अनेक दावेदारों ने पार्टी से बगावत करके आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लडऩे का ऐलान करते हुए अपने नामांकन पत्र दाखिल कर दिए हैं। जालंधर के चारों शहरी विधानसभा हलकों जालंधर वैस्ट, सैंट्रल, नार्थ व कैंट हलका से विभिन्न वार्डों से बागी चेहरे सामने आए हैं। परंतु चुनाव मैदान में उतरने वाले उम्मीदवारों के अलावा दर्जनों ऐसे दावेदार हैं जो भीतरघात करके चुनावी समीकरण बिगाडऩे को तैयार बैठे हैं। अब बागियों की बिछाई राजनीतिक गोटियों को एकत्रित करने में कांग्रेसी विधायकों के खूब पसीने निकल रहे हैं। जहां ये विधायक उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर भरे नामांकन वापिस लेने के लिए मना रहे हैं, वहीं पार्टी प्रत्याशियों के समर्थन में चुनाव प्रचार करने के लिए भी कह रहे हैं। 8 दिसंबर को नामांकन वापिस लेने का अंतिम दिन है। अब देखना है आज शुक्रवार को बागी आजाद उम्मीदवारों में कितने नेता अपने नामांकन वापिस लेते हैं। 

किन विधानसभा हलकों में बागी लड़ रहे निर्दलीय चुनाव
विधानसभा हलका नार्थ
वार्ड नं. 5  - रजनी  
वार्ड नं. 64 - अनिल प्रभाकर 
विधानसभा हलका सैंट्रल
वार्ड नं. 7  - सोनिया  
वार्ड नं. 11 - अंजू शर्मा 
वार्ड नं. 13 - पूजा सोनकर 
वार्ड नं. 16 - ललित मेहता व दीनानाथ   
वार्ड नं. 20 - भूपेश सुगंध व रणदीप 
वार्ड नं. 51 - रजनी बाला 
वार्ड नं. 52 - अरविंद  जिंदल 
विधानसभा हलका कैंट
वार्ड नं. 22 - बलजीत पोपी 
वार्ड नं. 26 - निरवैल सिंह
विधानसभा हलका वैस्ट
वार्ड नं. 34 - बिशंबर दास और रविन्द्र  
वार्ड नं. 36 - एकता भगत   
वार्ड नं. 40 - गगन चाबा  
वार्ड नं. 46 - नरेश कुमार काका  
वार्ड नं. 78 - डा. प्रदीप राय 

अकाली दल में बगावत का खेल
नगर निगम चुनावों में इस बार अकाली दल की जहां सीटें बढ़ कर 29 हो गई हैं, वहीं पार्टी की परेशानियां भी बढ़ गई हैं। पार्टी हाईकमान ने जालंधर के लिए निगम चुनावों के लिए 3 सदस्यीय कमेटी गठित की थी जिसमें अजीत सिंह कोहाड़, बीबी जागीर कौर और महेशइंद्र सिंह ग्रेवाल शामिल थे परन्तु सारी चुनावी प्रक्रिया में ग्रेवाल कहीं दिखाई नहीं दिए और जो दूसरे दोनों नेताओं ने चुनावी प्रक्रिया में भूमिका निभाई उनमें अकाली दल से ज्यादा भाजपा का दबदबा दिखाई दिया। 

मनोरंजन कालिया का दबदबा 
पार्टी की ओर से भाजपा नेता मनोरंजन कालिया के दबाव में 2 वार्डों से एक ही परिवार को टिकटें दी गईं। इतना ही नहीं, वार्ड 51 से तो अपने डिप्टी मेयर रहे अरविंद्र कौर ओबराय की टिकट तक काट दी गई। इसके बाद उनके पति कुलदीप सिंह ओबराय ने खुद वार्ड 50 से बागी होकर आजाद तौर पर कागज भरे और अपनी पत्नी के वार्ड 51 से कागज भरवाए। इसी प्रकार पार्टी के टकसाली परिवार से संबंधित गुरदेव सिंह गोल्डी भाटिया द्वारा वार्ड 47 से टिकट की मांग की जा रही थी पर पार्टी ने उनकी जगह ज. प्रीतम सिंह मि_ू बस्ती को टिकट दी जिसके बाद इस वार्ड से गोल्डी भाटिया और गगनदीप नागी ने बागी सुर उठाए पर नागी तो पार्टी नेताओं के समझाने पर बैठ गए पर गोल्डी भाटिया ने अपनी पत्नी को आजाद तौर पर मैदान में उतार दिया है।

किसका क्या प्रभाव नजर आएगा
पार्टी जानकारों की मानें तो इन बागियों के कारण अकाली-भाजपा दोनों पाॢटयों को 6-7 वार्डों पर नुक्सान होने की आशंका है। ओबराय के कारण आस-पास के 5 वार्ड प्रभावित होंगे जबकि गोल्डी भाटिया के बागी सुरों के कारण पार्टी को 2 वार्डों पर नुक्सान हो सकता है। अकाली दल के विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो पार्टी के 29 उम्मीदवारों में से महज 6 उम्मीदवार ऐसे हैं जो कुछ मजबूत दिखाई दे रहे हैं। बाकियों की खस्ता हालत को पार्टी कैसे सुधारेगी यह आने वाले प्रचार के दौरान दिखेगा। 

‘आप’ को नहीं मिल पाए काबिल वालंटियर
 नगर निगम चुनावों के लिए जहां कांग्रेस, अकाली दल और भाजपा के लिए सबसे बड़ा संकट यह था कि एक वार्ड से उम्मीदवार एक चाहिए और दावेदार 5-6 थे, वहीं आप पार्टी के लिए स्थिति हास्यप्रद रही। पार्टी को 80 वार्डों के लिए काबिल वालंटियर ही नहीं मिल पाए, जिन्हें पार्टी टिकट दे सके। पार्टी ने नगर निगम चुनावों के लिए मैदान में 46 उम्मीदवार उतारे हैं। 34 वार्ड खाली हैं। मामले बारे पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि ऐसा नहीं है कि पार्टी को बचे 34 वार्डों के लिए उम्मीदवार मिल नहीं सकते थे या मिले नहीं लेकिन पार्टी की शहरी लीडरशिप की ढील के कारण और आपसी गुटबाजी के चलते वार्डों में नाराज नेताओं ने दावेदारों की सूची ही पार्टी को नहीं भेजी। ऐसे में पार्टी जालंधर नगर निगम के आधे-अधूरे वार्डों में ही अपने उम्मीदवार उतार पाई। 

पार्टी नेता बाली अपनी बहू को लड़ा रहे आजाद चुनाव
इतना ही नहीं वार्ड नंबर 55 से पार्टी नेता और दोआबा के उप प्रधान बालकृष्ण बाली ने और ही नया काम कर दिखाया। बाली ने 55 नंबर वार्ड से अपनी बहू को आजाद तौर पर मैदान में उतारा है और वार्ड 57 से अपने एक मित्र की बहू को आजाद तौर पर मैदान में उतार कर उसे समर्थन दिया है। मामले बारे बाली का कहना है कि ये दोनों वार्ड उनके ही हैं। इसलिए वह पार्टी की सहमति से दोनों वार्डों पर अपने लोगों को आजाद तौर पर लड़ा रहे हैं। ऐसे में आप पार्टी की हालत निगम चुनावों में बेहद हैरानीजनक बनी हुई है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो पार्टी के शहरी नेताओं को सारे वार्डों से उम्मीदवार खड़े करने चाहिए थे ऐसा न करके पार्टी ने अपनी ढीली कार्यप्रणाली को साबित किया है। वहीं पार्टी सूत्रों की मानें तो इस समय आप के 46 उम्मीदवारों में से महज 3-4 ही ऐसे हैं जो कुछ मजबूत स्थिति में दिख रहे हैं बाकियों की हालत खस्ता है। 

भाजपा में एक दर्जन सीटों पर बगावती सुर मुखर 
निकाय चुनावों को लेकर भाजपा व अकाली दल संयुक्त तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। इसके तहत भाजपा 51 और शिरोमणि अकाली दल के हिस्से में 29 वार्ड हैं। भाजपा ने इस बार जिस हिसाब से टिकटें बांटी हैं उसके चलते पार्टी में 51 में से करीब एक दर्जन वार्ड ऐसे हैं जहां पर बगावती सुर मुखर हैं। सबसे अधिक विरोध भाजपा महिला मोर्चा की तरफ से ही है। पार्टी ने महिला कोटे के वार्डों में महिला मोर्चे की सदस्याओं को टिकट देने की बजाय भाजपा नेताओं की पत्नी, बेटी या परिवार की अन्य महिला सदस्याओं को टिकटें दीं।

इस प्रकार का विरोध भाजपा युवा मोर्चा में भी देखने को मिल रहा है। युवा मोर्चे की तरफ से सचिव वरुण कश्यप, हङ्क्षतद्र तलवाड़ हनी सहित करीब आधा दर्जन टिकटों की मांग कर रहे थे लेकिन पार्टी ने किसी को टिकट नहीं दी जिसका नतीजा यह हुआ कि कई वार्डों में अब युवा मोर्चे के नेता ही या तो आजाद तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं या फिर आजाद खड़े नेताओं को समर्थन दे रहे हैं। केंद्रीय विधानसभा क्षेत्र में पड़ते वार्ड नंबर-7 में पार्टी के मंडल उपाध्यक्ष धर्मपाल विरोध में आम आदमी पार्टी से तथा वार्ड अध्यक्ष प्रेम कुमार आजाद तौर पर मैदान में उतर आए हैं। वार्ड-18 में पार्टी ने परमिंद्र सैनी को टिकट दी लेकिन यहां से टिकट के दावेदार अब दिल से काम नहीं कर रहे हैं। 

वार्ड-17 से पार्टी ने विक्की त्रिखा को टिकट नहीं दी जिसके कारण वह आजाद तौर पर मैदान में उतर आए हैं। इसके अतिरिक्त कई वार्डों में पार्टी के पुराने व लगातार जीत रहे नेताओं की टिकटें काट कर नौसिखिया नेताओं को थमा दी गई हैं। जैसे वार्ड नंबर 52 से वरिंद्र गुड्डू की टिकट काटकर हिमांशु शर्मा को दी गई है। विधानसभा हलका जालंधर कैंट में भी बगावत कुछ कम नहीं है। कैंट में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी कर दो वार्डों में सांसद विजय सांपला के खासमखाम बलराज और यश दुआ को टिकट दिए जाने पर पूरे भाजपा मंडल ने त्याग-पत्र दे दिया था, वहीं पार्टी से महासचिव दिनेश कमल ने नाराज होकर आजाद उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरा है।  

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