Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Nov, 2017 10:22 AM
पराली, पटाखों व वाहनों के धुएं से निकले स्मॉग ने जहां सोमवार रात सड़कों पर वाहनों की रफ्तार को रोक दिया और बसों व ट्रेनों के अलावा हवाई जहाज भी अपनी तय अवधि से लेट रहे । दूसरी तरफ मंगलवार को भी इसका पूरा असर देखने को मिला। हालात ये रहे कि स्मॉग के...
अमृतसर(नीरज): पराली, पटाखों व वाहनों के धुएं से निकले स्मॉग ने जहां सोमवार रात सड़कों पर वाहनों की रफ्तार को रोक दिया और बसों व ट्रेनों के अलावा हवाई जहाज भी अपनी तय अवधि से लेट रहे । दूसरी तरफ मंगलवार को भी इसका पूरा असर देखने को मिला। हालात ये रहे कि स्मॉग के चलते मंगलवार दोपहर तक सूर्य देवता के दर्शन नहीं हो सके, सड़कों पर विजीबिलिटी अलग-अलग स्थानों पर 30 से 50 गज तक रही, कुछ सीमावर्ती इलाकों में तो विजीबिलिटी 10 से 20 गज तक नजर आई।
स्मॉग का मुख्य कारण हर वर्ष जलाई जाती 2 करोड़ टन पराली
एक तरफ जहां पिछले कई वर्षों से पंजाब सरकार पराली से निकलने वाले धुएं को कंट्रोल करने का प्रयास कर रही है, वहीं पंजाब में हर वर्ष धान के सीजन में 2 करोड़ टन पराली जलाई जाती है जिससे वातावरण को जबरदस्त नुक्सान हो रहा है। पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन काहन सिंह पन्नू ने बताया कि विभाग के लिए पराली से निकलने वाले धुएं को रोकना एक बहुत बड़ी चुनौती है। पंजाब में हर वर्ष दो करोड़ टन पराली निकलती है।
पराली के धुएं से निकलती है कार्बन मोनोआक्साइड व डाईआक्साइड
पराली जलाने से खेतों में जैविक मादा खत्म हो जाता है और मिट्टी के मित्र जीव खत्म हो जाते हैं इसके अलावा नाइट्रोजन, फासफोरस व पोटाशियम खत्म होता है। एक टन पराली जलाने से 60 किलो कार्बन मोनोआक्साइड, 1400 किलो कार्बन डाईआक्साइड व 3 किलो बारीक कण व सल्फर पैदा होता है जो मानव जीवन के लिए खतरनाक है।
3000 में से 300 ईंट भट्ठे ही अत्याधुनिक तकनीक से संचालित
काहन सिंह पन्नू ने बताया कि प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा ईंट भट्ठे में नई तकनीक लगाना जरूरी कर दिया गया है । पंजाब में 3000 भट्ठों में से सिर्फ 300 भट्ठे ही नई तकनीक के साथ काम कर रहे हैं। नई तकनीक से काला धुआं बिल्कुल खत्म हो जाता है और वातावरण प्रदूषित नहीं होता। विभाग की तरफ से कई कारखानों को भी सील किया जा चुका है जो प्रदूषण फैलाते थे।
सी.एन.जी. ऑटो के लिए सरकार को भेजा प्रस्ताव
सिर्फ पराली जलाने से निकलने वाले धुएं से ही हवा प्रदूषित नहीं होती बल्कि ऑटो, कंडम वाहनों, डीजल वाहनों के कारण भी हवा में भारी मात्रा में प्रदूषण फैलता है। पंजाब में लुधियाना, जालंधर व अमृतसर में तो हाईकोर्ट की तरफ से डीजल ऑटो को बंद किया जा चुका है। इस संबंध में पंजाब प्रदूषण कंट्रोल विभाग की तरफ से ऑटो चालकों को सस्ते लोन देकर सी.एन.जी. ऑटो देने संबंधी सरकार को प्रस्ताव भेजा जा चुका है।
बुलेट के पटाखे चलाने पर 6 वर्ष तक की कैद
ध्वनि प्रदूषण को काबू करने के लिए पंजाब प्रदूषण कंट्रोल विभाग ने सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। अब बुलेट मोटरसाइकिल के साइलैंसर से पटाखे चलाने वालों की खैर नहीं है। यदि कोई भी व्यक्ति मोटरसाइकिल के साइलैंसर से पटाखे चलाते पकड़ा गया तो उसको 6 वर्ष तक की कैद हो सकती है।
प्रशासन की 30 टीमों के बावजूद सरेआम जलाई जाती रही पराली
एक तरफ जिला प्रशासन नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल व सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए पराली जलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का दावा पीट रहा है तो दूसरी तरफ सरेआम सड़कों के किनारे दिन में ही पराली जलाए जाने के दृश्य देखने को मिल रहे हैं। हालात यह है कि पुलिस थानों के आस-पास भी पराली जलाई जलती रही और जिला पुलिस मूकदर्शक बनी तमाशा देखती रही जबकि पराली जलाने पर 2500 से लेकर 25 हजार रुपए तक के जुर्माने व सजा का भी प्रावधान है। प्रशासन का दावा है कि 30 टीमें बनाई गई थी इसके अलावा जागरूकता वैन्स भी चलाई गई लेकिन इसका कोई भी ज्यादा असर देखने को नहीं मिला।
बी.आर.टी.एस. प्रोजैक्ट की बलि चढ़े सैंकड़ों पेड़
पूर्व अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के डिप्टी सी.एम. सुखबीर सिंह बादल ने अपने फेल हो चुके ड्रीम प्रोजैक्ट बी.आर.टी.एस. पर जहां 650 करोड़ रुपया बर्बाद किया, वहीं इसको बनाने के काम में हजारों की संख्या में पेड़ काट दिए गए। टाइल मंत्री के नाम से विख्यात एक नेता ने तो सारे शहर के किनारों के पेड़ कटवाकर उसमें टाइल लगवा दी व लोगों के घरों के आगे थड़ों को भी तुड़वाकर टाइलें लगवा दीं जिससे काफी संख्या में छोटे पेड़ कट गए।
कितना होना चाहिए ए.क्यू.आई.
किसी भी शहर या इलाके का ए.क्यू.आई. 0-50 तक अच्छा माना जाता है। 51 से 100 तक संतोषजनक,101 से 200 तक का ए.क्यू.आई. ठीक नहीं माना जाता है। 201 से 300 तक हर नजरिए से खराब, 301 से 400 तक ए.क्यू.आई. अत्यंत खराब माना जाता है।
पंजाब का मेन एवरेज ए.क्यू.आई. 290
पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की तरफ से 12 अक्तूबर तक के दिए गए आंकड़ों में पता चलता है कि अमृतसर जिले का ए.क्यू.आई. (एयर क्वालिटी इन्डैक्स) 287 था जबकि लुधियाना जैसे बड़े व औद्योगिक जिले का ए.क्यू.आई. 262 था। दीवाली पर जलने वाले पटाखों से निकलने वाले धुएं से यह ए.क्यू.आई. लगभग दोगुने तक पहुंच गया और 350 का आंकड़ा भी पार कर गया। दीवाली के 15 दिन बीत जाने के बाद भी अमृतसर का ए.क्यू.आई. 324 रहा। पूरे पंजाब की बात करें तो हमारे राज्य का ए.क्यू.आई. इस समय 290 चल रहा है जो पराली जलाने के बाद और ज्यादा बढऩे की संभावना है।
मंडी गोबिन्दगढ़ में इस समय ए.क्यू.आई. 321 चल रहा है जबकि दिल्ली में 368, लखनऊ में 232 व चंडीगढ़ जैसे साफ-सुथरे शहर में ए.क्यू.आई. 162 चल रहा है जो पटाखों के जलने से दोगुना हो जाता है।