Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Jan, 2018 09:39 AM
कई दिनों की आंख मिचौली के बाद आखिर वीरवार को बिजली मंत्री राणा गुरजीत सिंह का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है जिसे रोकने के लिए कैप्टन अमरेंद्र सिंह द्वारा लगाया जोर न चलने के पीछे राणा के विरोध में ज्यादा बहुमत होना एक बड़ी वजह के रूप में सामने आ रहा...
लुधियाना(हितेश): कई दिनों की आंख मिचौली के बाद आखिर वीरवार को बिजली मंत्री राणा गुरजीत सिंह का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है जिसे रोकने के लिए कैप्टन अमरेंद्र सिंह द्वारा लगाया जोर न चलने के पीछे राणा के विरोध में ज्यादा बहुमत होना एक बड़ी वजह के रूप में सामने आ रहा है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि राणा गुरजीत सिंह की पहचान शुरू से ही एक दबंग नेता के रूप में रही है जिनके शराब व शुगर मिल के कारोबार को लेकर भी हमेशा से सवाल उठाए जाते रहे हैं। इसके बावजूद कैप्टन के करीबी होने के कारण उनको कैबिनेट में जगह दी गई और बिजली व सिंचाई मंत्री के रूप में 2 अहम विभाग भी दिए गए। लेकिन सरकार के शुरूआती कार्यकाल में ही राणा विवादों में घिर गए, जिसके तहत उनकी कंपनी व मुलाजिमों का नाम रेत खदान की नीलामी में आने को लेकर काफी बवाल मचा।
हालांकि इस मुद्दे पर जांच के लिए बनाए गए कमीशन ने राणा को क्लीन चिट दे दी। फिर भी आम आदमी पार्टी के नेता सुखपाल खैहरा ने राणा पर हमलों का सिलसिला जारी रखा, जिसके तहत रेत खदान की बोली में राणा की भूमिका होने बारे लगाए जा रहे आरोपों के सबूत पेश करते हुए कई सो करोड़ के सिंचाई विभाग के घोटाले के आरोपी के साथ भी तार जोड़ दिए। इस पर हो रही कांग्रेस की किरकिरी का हाईकमान ने सख्त नोटिस लिया और राणा को इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि पहले चरण में कैप्टन ने राणा का इस्तीफा नामंजूर करने की बात कही, लेकिन जब राहुल गांधी के दरबार में मुद्दे पर चर्चा हुई तो राणा के विरोध में ज्यादा बहुमत होने के कारण कैप्टन का जोर नहीं चल पाया। सूत्रों की मानें तो मामले पर चर्चा के लिए चली लंबी मीटिंग के दौरान पंजाब कांग्रेस इंचार्ज आशा कुमारी व हरीश चौधरी के अलावा कैप्टन के खासमखास कहे जाने वाले प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने भी इन हालातों में राणा गुरजीत सिंह के इस्तीफे को स्वीकार करने पर ही जोर दिया था जिस कारण कैप्टन के पास बैकफुट पर आने के सिवाय कोई दूसरा रास्ता नहीं था।
सुरेश कुमार की नियुक्ति रद्द होने के बाद कैप्टन को लगातार दूसरा झटका: हाईकोर्ट द्वारा रिटायर आई.ए.एस. ऑफिसर सुरेश कुमार की बतौर चीफ पिं्रसीपल सैक्रेटरी नियुक्ति रद्द करने के बाद राणा गुरजीत सिंह का इस्तीफा मंजूर करने के लिए हाईकमान के दबाव के आगे झुकने को कैप्टन के लिए एक हफ्ते में दूसरे झटके के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि सुरेश कुमार की नियुक्ति बारे कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों का रिव्यू करने के लिए कैप्टन ने एडवोकेट जनरल को कहा है और उसके बाद सुरेश कुमार को नाम बदलकर नए पद पर री-डेजीगनेट किया जा सकता है।