Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Nov, 2017 09:03 AM
चिटफंड कंपनी के नाम पर करीब 15 हजार लोगों को धोखाधड़ी की शिकार बनाते हुए करीब 400 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के एक मामले में पिछले करीब डेढ़ वर्ष पहले अदालत द्वारा भगौड़ा घोषित प्रमुख कथित आरोपी रमेश चुघ को अपने इर्द-गिर्द पुलिस का बिछा जाल देख आखिर...
अमृतसर (महेन्द्र): चिटफंड कंपनी के नाम पर करीब 15 हजार लोगों को धोखाधड़ी की शिकार बनाते हुए करीब 400 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के एक मामले में पिछले करीब डेढ़ वर्ष पहले अदालत द्वारा भगौड़ा घोषित प्रमुख कथित आरोपी रमेश चुघ को अपने इर्द-गिर्द पुलिस का बिछा जाल देख आखिर सरैंडर करने पर मजबूर होना पड़ा।
सूत्रों के अनुसार चुघ ने खुद सरैंडर किया है लेकिन मामले की जांच कर रही एस.आई.टी. टीम ने उसे गिरफ्तार करने का दावा करते हुए स्थानीय इलाका मैजिस्ट्रेट जे.एम.आई.सी. हरीश कुमार की अदालत में पेश किया जिस दौरान उसके खिलाफ 5 दिनों का पुलिस रिमांड मांगा गया। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस के अनुरोध को स्वीकार कर कथित आरोपी को 6 नवंबर तक पुलिस रिमांड में भेज दिया है।
क्या है मामला
रमेश कुमार चुघ पुत्र चांदी राम पिछले करीब 20 वर्षों से डाकघर तथा एल.आई.सी. का अधिकृत एजैंट होने के नाते लोगों के रुपए पैसे विभिन्न पॉलीसिज में निवेश करवाया करता था। उसने एक पूर्व पार्षद तथा इलाके के कुछ नामी लोगों के साथ मिल कर जी.एफ.एल. नामक कंपनी सहित और भी कई कंपनियां बना रखी थीं जिनके जरिए लोगों को बैंक व डाकघर की तुलना में ज्यादा ब्याज देने तथा 4 वर्षों में उनकी रकम दोगुनी करने का लालच व सब्जबाग दिखा कर उनसे निवेश करवाया गया था। पुलिस को मिली शिकायतों के अनुसार करीब 15 लोग इन लोगों के जाल में फंस गए थे।
रमेश कुमार चुघ तथा उसके परिवार के सभी सदस्यों के अचानक गायब हो जाने पर सारे शहर में इस बात की चर्चा होनी शुरू हो गई थी कि करीब 400 करोड़ रुपए का घोटाला करके चुघ परिवार फरार हो गया है। उनके फरार होने पर छहर्टा निवासी कई लोगों ने जुलाई 2016 में स्थानीय पुलिस से शिकायतें की लेकिन पुलिस द्वारा कथित आरोपियों के खिलाफ कोई उचित कार्रवाई न किए जाने के कारण स्थानीय लोगों ने पुलिस के खिलाफ धरने व प्रदर्शन शुरू कर दिए थे। आखिर थाना छहर्टा की पुलिस को कथित आरोपियों के खिलाफ भादंसं की धारा 406/417/419/420/465/467/468/469/471/120-बी के तहत 10 जुलाई 2016 को धोखाधड़ी का मुकद्दमा नंबर 139/2017 दर्ज करना ही पड़ा था जिसमें पहले चरण में रमेश कुमार चुघ, उसकी पत्नी नीलम, पुत्र जीवन चुघ, पुत्रवधु हर्ष कुमारी तथा सुखविन्द्र सिंह उर्फ हैप्पी को नामजद किया गया था।
हैप्पी की गिरफ्तारी के पश्चात चुघ का सुराग मिल चुका था पुलिस को
इस मामले में नामजद सह-आरोपी सुखविन्द्र सिंह उर्फ हैप्पी की गिरफ्तारी के पश्चात उससे की गई पूछताछ के दौरान एस.आई.टी. को प्रमुख कथित आरोपी रमेश कुमार चुघ के मोबाइल नंबर की लोकेशन का पता चल चुका था, वहीं उसके तथा उसके परिवार का सुराग भी हासिल हो चुका था जिन्हें गिरफ्तार करने के लिए एस.आई.टी. ने उनके कई नजदीकी रिश्तेदारों के घरों में छापामारी तेज कर दी थी।
पुलिस ने अदालत को बताया कि इससे पहले सुखविन्द्र सिंह उर्फ हैप्पी की गिरफ्तारी के पश्चात उससे पूछताछ के दौरान पता चल चुका था कि आरोपी परिवार सहित पुणे में रह रहा है जिन्हें गिरफ्तार करने के लिए जब पुलिस पार्टी पुणे जा रही थी, तो आरोपी परिवार की तरफ से किसी ने उन्हें आश्वस्त कर दिया था कि कथित आरोपी रमेश कुमार चुघ उनके पास है और एक सप्ताह तक उसे पुलिस के समक्ष पेश कर दिया जाएगा, इसलिए वे पुणे न जाएं। इस पर पुलिस पार्टी को राजपुरा से ही वापस लौटना पड़ा था। पुलिस की यह बात इस बात को भी प्रमाणित कर रही थी कि आरोपी रमेश चुघ को पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया, बल्कि उसने ही पुलिस के समक्ष सरैंडर किया है।
जांच चल रही है, अभी कुछ कहना उचित नहीं : लखबीर सिंह
इस मामले को लेकर जब ए.डी.सी.पी.-2 तथा एस.आई.टी. के सदस्य लखबीर सिंह से बातचीत की गई, तो उन्होंने कहा कि हाई-प्रोफाइल इस मामले की अभी जांच चल रही है, इसलिए अभी कुछ कहना उचित नहीं है। इतना जरूर है कि इस मामले में जो कोई भी दोषी पाया जाएगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा। चाहे वह कितनी भी पहुंच वाला हो लेकिन कानून से ऊपर कोई नहीं है।
करोड़ों की धोखाधड़ी की जांच हेतु गठित की गई थी एस.आई.टी.
करोड़ों की इस धोखाधड़ी की जांच करने के लिए स्थानीय पुलिस कमिश्नर ने डी.सी.पी. इन्वैस्टिगेशन जगमोहन सिंह, ए.डी.सी.पी.-2 लखबीर सिंह, ए.सी.पी. विशालजीत सिंह तथा ई.ओ. विंग अमृतसर-1 के प्रभारी इंस्पैक्टर हरीश बहल इन 4 सदस्यों पर आधारित स्पैशल इन्वैस्टिगेशन टीम (एस.आई.टी.) का गठन किया गया था।
परिवार को जान का खतरा भांप होना पड़ा था फरार : रमेश चुघ
रमेश चुघ ने पेशी से पहले अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वह तथा उसका परिवार किसी से धोखाधड़ी करके फरार नहीं हुए थे, बल्कि सारे परिवार को जान का खतरा भांपते हुए खौफ की वजह से फरार होने पर विवश हुए थे। जिस किसी ने भी उन्हें रुपया पैसा दिया था, वह उनकी एक-एक पाई अदा करने को तैयार हैं। बशर्ते कि उन्हें सुरक्षित स्थिति में अपना पक्ष रखने का मौका मिले।
चुघ ने बताया कि उनके व उनके परिवार के खिलाफ बढ़ा-चढ़ा कर आरोप लगते रहे हैं लेकिन इसमें कतई सच्चाई नहीं है। करीब 150 करोड़ रुपए की टर्नओवर के सबूत उसके आफिस में मौजूद हैं लेकिन उनका आफिस पुलिस ने सील कर रखा है। जांच के दौरान वह अपने व्यवसाय से जुड़े हर प्रकार की टर्नओवर के सबूत पुलिस के समक्ष पेश करने को भी तैयार हैं।