स्मॉग की गर्त में फंसा फगवाड़ा,शाम ढलते ही छा जाती है सफेद धुंध की चादर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Nov, 2017 11:59 AM

phagwara trapped in the trunk of smaug

शहर में नवंबर माह की सर्द होती फिजाओं में चारों तरफ स्मॉग छाई हुई है। सर्दी के इस शुरूआती मौसम में जहां कुछ वर्ष पूर्व मीठी सर्द फिजाओं का लुत्फ देखते ही बनता था, वहीं वर्तमान में आलम यह हो गया है कि....

फगवाड़ा (जलोटा): शहर में नवंबर माह की सर्द होती फिजाओं में चारों तरफ स्मॉग छाई हुई है। सर्दी के इस शुरूआती मौसम में जहां कुछ वर्ष पूर्व मीठी सर्द फिजाओं का लुत्फ देखते ही बनता था, वहीं वर्तमान में आलम यह हो गया है कि सुबह की पहली किरण से लेकर रात ढलने तक फगवाड़ा में सब जगहों पर धुएं की सफेद धुंध की चादर ही दिखाई देती है।

जारी खतरनाक घटनाक्रम के चलते जहां दमे, खांसी के रोगियों को सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, वहीं प्रदूषण से त्रस्त स्मॉग की मैली सफेद चादर हृदय रोग से ग्रस्त रोगियों के लिए जानलेवा स्वीकारी जा रही है। जानकारों की राय में स्मॉग का जहर सुबह और शाम को सबसे ज्यादा जहरीला होता है। अर्थात् जो लोग सुबह और शाम की सैर करते हैं, उनके लिए फगवाड़ा की फिजाएं स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि के विपरीत बेहद हानिकारक हैं। 

1980 से 2010 तक ऐसा मौसम देखने  को नहीं मिलता था : शहरवासी
पंजाब केसरी से वार्तालाप के दौरान शहरवासियों ने कहा कि वो हैरान हैं कि महज चंद वर्षों के अंतराल में नवंबर माह के मौसम में इतनी तबदीली आई है, जिसकी कल्पना करनी भी कठिन है। लोगों ने कहा कि सन 1980 से 2010 तक नवंबर का मौसम सबसे हसीन सर्दी का मौसम हुआ करता था, लेकिन चंद वर्षों में जहां नवंबर में अब गर्मी का पूरा अहसास हो रहा है, वहीं सुबह और शाम को पूरे इलाके में प्रदूषण से सनी स्मॉग ही स्मॉग देखने को मिल रही है।

कुछ ने कहा कि पहले पहल तो स्मॉग कुछ समय तक ही रहा करती थी, लेकिन अब तो पूरे दिन में मौसम ऐसा बना रहता है कि खुले आसमान के तले खुलकर सांस लेना भी दूभर हो गया है। स्मॉग के छाए रहने संबंधी पंजाब केसरी से वार्तालाप करते हुए कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि इसका मूल कारण नवंबर महीने व इससे पूर्व किसानों द्वारा प्रदेश में धान की फसल की कटाई के बाद खेतों को लगाई जाती आग और औद्योगिक इकाइयों, वाहनों आदि से निकलता बेहिसाब प्रदूषण है। 

प्रदूषण के आंकड़ों का आकलन करने संबंधी पहल की सराहना
अनेक लोगों ने पंजाब केसरी द्वारा शुरू की गई उस पहल की जमकर सराहना की, जिसके तहत रोजाना पंजाब केसरी व जगबाणी में हवा में फैले प्रदूषण के आंकड़ों का आकलन कर विस्तार सहित प्रकाशित किया जा रहा है। फगवाड़ावासियों ने कहा कि वो रोजाना पंजाब केसरी व जगबाणी में पंजाब की जहर बन रही हवाओं की सटीक जानकारी पढ़ते हैं। वो दंग हैं कि पंजाब के जालंधर, लुधियाना और अन्य कई शहरों में हवा में फैले प्रदूषण का स्तर देश की राजधानी नई दिल्ली की हवाओं के मुकाबले कहीं ज्यादा है।

लोगों ने हैरानी जताते कहा कि सबसे ज्यादा हैरानी तब होती है जब फगवाड़ा सहित पूरे पंजाब में जहर बन चुकी हवाओं और चारों तरफ फैली स्मॉग से बेपरवाह पंजाब सरकार व जिला, तहसील स्तर पर कार्यरत सरकारी अमला पूरी तरह से चुप्पी साधे हाथ पर हाथ धरे हुए बैठा है। लोगों ने कहा कि इस दिशा में यदि समय रहते बड़ी पहल नहीं हुई तो वो दिन दूर नहीं है जब फगवाड़ा सहित पूरे पंजाब में इतना जहरीला प्रदूषण होगा कि इंसान का जीवन यापन करना भी दूभर हो जाएगा। 

खेतों में पराली को आग न लगाने की नहीं हो रही पहल
बहरहाल फगवाड़ा में 24 घंटे छाई हुई जहरीली स्मॉग की काली सच्चाई यह भी बनी है कि इलाके में धान की फसल काटने के बाद खेतों में बची पराली को आग लगाने का क्रम बदस्तूर जारी है। इसे लेकर सरकारी स्तर पर न तो कोई खास रोक-टोक देखने को मिली है और न ही कोई ऐसी पहल होती दिखाई दी है, जहां खेतों में पराली को आग न लगे। अर्थात आने वाले दिनो में फगवाड़ा में स्मॉग के कारण बनी हुई जहरीली फिजाएं और बदतर रूप धारण करेंगी और सर्दी के बढ़ते प्रकोप के मध्य सर्द होती हवाएं विषैले दंश के साथ हर उस आम व खास इंसान के स्वास्थ्य को खराब करेंगी, जो बने हुए हालात में खुली हवा में सांस लेगा।
 

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