बच्चें के मासूम प्रश्न को अभिभावक न करें नजरअंदाज

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Nov, 2017 03:18 PM

parents does not ignore the question of children

बच्चे खेलकूद कर अपना बचपन निकाल देते हैं मगर बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होने लगता है, उसके  मन में कई प्रकार के सवाल उठने शुरू हो जाते हैं।

अमृतसर(नवदीप): बच्चे खेलकूद कर अपना बचपन निकाल देते हैं मगर बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होने लगता है, उसके  मन में कई प्रकार के सवाल उठने शुरू हो जाते हैं। कई बार इन्हें सुनकर आपकी हंसी नहीं रुकती, तो कई बार उसकी कल्पना के ताने-बाने पर आप हैरान रह जाते हैं। बच्चे के सवालों के साथ ही उसकी उम्र के अनुरूप कुछ ऐसे नाजुक विषय भी होते हैं जो उसकी सुरक्षा से जुड़े होते हैं, जिनके बारे में उसे समझाना और बताना भी बेहद जरूरी होता है। 

अगर आप उसे नहीं समझाएंगे तो इनके जवाब वह अपने हम उम्र बच्चों से तलाशने की कोशिश करेगा जो खुद भी इनके लिए तैयार नहीं है। जब केवल आपके आंचल में पलने और सुरक्षित महसूस करने वाला आपका लाडला इसी उम्र के बीच अपने पहले स्कूल में पहला कदम रखता है, जहां उसका सामना बाहर की दुनिया से भी होता है। नए परिवेश से जुड़ते बच्चों के मन में कई जिज्ञासाएं होती हैं, ढेरों अनसुलझे सवाल होते हैं और कई पहेलियां होती हैं, जिन्हें समझने, सुलझाने की उन्हें जल्दी भी होती है और बेचैनी भी। 

मम्मा, आया आंटी मुझे और आर्यन को अलग-अलग टॉयलेट में क्यों ले जाती है?’ या ‘मुझे अंकल की गोद में बैठना चाहिए या नहीं?’ आपका बेटा या बेटी आपसे ऐसे ही ढेरों सवाल पूछते हैं, जो उसके लिए पहेली की तरह होते हैं। उसके प्राइवेट पार्ट्स के बारे में बुनियादी जानकारी दें। उसे बताएं कि उसके शरीर के कुछ अंगों को केवल आप या डॉक्टर ही छू सकते हैं, वह भी केवल तभी जब उसे इसकी जरूरत महसूस हो या अगर कोई उसके शरीर के इन अंगों को छूने की कोशिश करे या वह किसी स्थिति में असहज महसूस करे तो उसे आपको तुरंत बताना चाहिए। 

स्कूल जाने की उम्र में कुछ घंटों के लिए ही सही, बच्चा बाहर की दुनिया के बीच आप से अलग रहता है। यह जितना आपके लिए चिंताजनक होता है, उतना ही आपके बच्चे के लिए भी नया और उलझन भरा अनुभव होता है। इस समय बेहद जरूरी है कि आप बच्चे और अपने बीच प्यार और पूरा विश्वास कायम करते हुए उसे सही और गलत चीजों के बारे में समझाएं। यह भी कहें कि वह किसी भी असुविधाजनक स्थिति में खुलकर आपको सब कुछ बताए। उसे प्रोत्साहित करें कि वह कोई भी बात आप से बेझिझक कह सके। इससे वह आपसे बात करने में अधिक सहज होगा और आप भी उसकी सुरक्षा के बारे में खुद को सुनिश्चित कर पाएंगे।

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