निगम ने NGT को लगाई ए-टू-जैड कम्पनी की शिकायत

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Nov, 2017 11:41 AM

municipal corporation ludhiana

जुलाई से सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट प्लांट बंद रखने के मामले में नगर निगम ने नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को ए टू जैड कम्पनी की शिकायत लगाई है। जिस पर फैसला शुक्रवार को सुनाए जाने की उम्मीद है। यहां बताना उचित होगा कि बठिंडा में लगे रहे सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट...

लुधियाना (हितेश): जुलाई से सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट प्लांट बंद रखने के मामले में नगर निगम ने नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को ए टू जैड कम्पनी की शिकायत लगाई है। जिस पर फैसला शुक्रवार को सुनाए जाने की उम्मीद है। यहां बताना उचित होगा कि बठिंडा में लगे रहे सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट प्लांट को लेकर हुई शिकायत की सुनवाई के दौरान एन.जी.टी. ने पूरे पंजाब की रिपोर्ट तलब की हुई है, जिसमें ट्रिब्यूनल द्वारा कूड़े के रख-रखाव बारे तय नियमों का पालन होने को लेकर भी जवाबतलबी की गई।

जहां केस की सुनवाई के दौरान लुधियाना की बात आई तो ए-टू-जैड कम्पनी ने निगम पर कई महीनों तक कूड़े की लि के चार्जिस रोके रखने सहित प्लांट लगाने के लिए केन्द्र से आई ग्रांट रिलीज न करने का आरोप लगाया। इस पर पलटवार करते हुए निगम ने ए-टू-जैड कम्पनी के खिलाफ आरोपों की झड़ी लगा दी है जिसमें पहले तो कम्पनी द्वारा किए गए अब तक 34 करोड़ खर्च करने के दावे को झुठलाया गया है। साथ ही उस पर आरोप लगाया गया कि एग्रीमैंट होने के 6 साल बाद अब तक सिर्फ 40 फीसदी एरिया में ही कूड़े की डोर-टू-डोर लिफ्टिंग शुरू हो पाई है। इसी तरह टर्मीनेशन नोटिस वापस लेते समय तय हुई शर्तों के मुताबिक कम्पनी ने प्लांट पूरा करने संबंधी टाइम शैड्यूल तो क्या देना था, जुलाई से काम ही बंद किया हुआ है। 

खर्च न होने के कारण केन्द्र वापस मांग रहा है ग्रांट
सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट की दशकों से लटक रही योजना को सिरे चढ़ाने के लिए केन्द्र ने 2007 के दौरान 98.50 करोड़ की लागत वाली योजना मंजूरी की थी। इसमें 50 फीसदी हिस्सा केन्द्र से मिलना था और 17.50 करोड़ रिलीज भी हो गए। लेकिन शर्तें पूरी न होने के अलावा केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा हिस्सा न डालने के कारण योजना पर अमल नहीं हो पाया। जब केन्द्र ने हिसाब मांगा तो निगम ने कंपैक्टर लगाने व लिफ्टिंग के लिए छोटे टैम्पो खरीदने पर 10.50 करोड़ खर्च कर दिए। लेकिन उसका यूटेलाइजेशन सर्टीफिकेट नहीं भेजा, जिस कारण केन्द्र ने पैंडिंग पहले से पड़ी ग्रांट वापस मंगवा ली और आगे पैसा देने से इंकार कर दिया है।

रिवाइज्ड डी.पी.आर. के चक्कर में ग्रांट पर चलेगी कैंची
सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट प्रोजैक्ट की योजना को सिरे चढ़ाने के लिए निगम द्वारा अब रिवाइज्ड डी.पी.आर. तैयार की जा रही है। जिसे स्वच्छ भारत मिशन या स्मार्ट सिटी के तहत ग्रांट लेने के लिए केन्द्र के पास भेजा जाएगा लेकिन इस चक्कर में ग्रांट पर पहले के मुकाबले कैंची चलेगी, क्योंकि अब आबादी के हिसाब से ग्रांट देने का पैट्रन बनाया गया है और उसमें केन्द्र का हिस्सा भी पहले के मुकाबले कम हो गया है।
 

कूड़े पर बढ़ा जी.एस.टी. का बोझ 
जी.एस.टी. के चक्कर में आज हर आम-खास परेशान नजर आ रहा है तो सरकारी विभागों में नगर निगम भी इससे अछूता नहीं रहेगा। क्योंकि पहले ही खजाना खाली होने कारण निगम द्वारा कई महीनों तक कूड़े की लिङ्क्षफ्टग के चार्जिस नहीं दिए जाते। अब उस पर 18 फीसदी जी.एस.टी. भी लग गया है। ऐसे में 359 रुपए के हिसाब से रोजाना करीब 1100 टन कूड़े की लिङ्क्षफ्टग के चलते निगम पर 25 लाख का बोझ बढ़ गया है।

बिजली के रेटों का भी चल रहा है विवाद
सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट को लेकर ए-टू-जैड कम्पनी का विवाद सिर्फ नगर निगम के साथ नहीं। बल्कि बिजली विभाग के साथ भी चल रहा है, क्योंकि लुधियाना के कूड़े में से निकलते प्लास्टिक, रबड़, कपड़े आदि से बनने वाली आर.डी.एफ. का प्रयोग पावर प्लांट चलाने में किया जा रहा है। जिस बिजली के बदले कम्पनी को 6.37 रुपए प्रति यूनिट मिलते हैं और कम्पनी द्वारा लागत पूरी न होने का हवाला देते 7.92 रुपए की डिमांड की जा रही है। जिसका फैसला भी एन.जी.टी. द्वारा किया जाएगा। 

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